सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act, 2005)
परिचय(Introduction)
भारतीय लोकतंत्र की शक्ति तभी सशक्त मानी जाती है, जब नागरिकों को शासन से संबंधित जानकारी तक पहुँच (Access to Information) हो। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (Right to Information Act, 2005) लागू किया। यह अधिनियम जनता को शासन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
📜 पृष्ठभूमि
- सूचना का अधिकार की माँग 1990 के दशक में राजस्थान की संस्था मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) के आंदोलन से शुरू हुई।
- इस आंदोलन ने सरकार के खर्च और योजनाओं में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया।
- 2002 में पहली बार RTI अध्यादेश आया, लेकिन यह प्रभावी नहीं रहा।
- अंततः 15 जून 2005 को संसद द्वारा पारित और 12 अक्टूबर 2005 से लागू हुआ।
⚖️ संवैधानिक आधार
- अनुच्छेद 19(1)(a) – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार → जानकारी तक पहुँच इसका हिस्सा है।
- अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार → पारदर्शी शासन इसके लिए आवश्यक है।
🏛️ अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ
- जानकारी का अधिकार – नागरिक किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी माँग सकते हैं।
- समयसीमा – सामान्य स्थिति में: 30 दिन।
- यदि जानकारी जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित हो: 48 घंटे।
- सूचना का स्वरूप – दस्तावेज़, रिकॉर्ड, ई-मेल, नोट्स, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, आदेश आदि।
- फीस – मामूली शुल्क; गरीबी रेखा से नीचे (BPL) नागरिकों के लिए निःशुल्क।
- लोक सूचना अधिकारी (PIO) – प्रत्येक सरकारी विभाग में नियुक्त।
- अपील प्रणाली – प्रथम अपील – संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के पास।
- द्वितीय अपील – केंद्रीय/राज्य सूचना आयोग के पास।
📊 किन संस्थाओं पर लागू?
- सभी सरकारी विभाग (केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय)।
- संसद, विधानमंडल, न्यायपालिका (कुछ सीमाओं तक)।
- सरकारी वित्त पोषित NGOs।
- राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और विदेश संबंध।
- संसद/विधानसभा के विशेषाधिकार।
- व्यक्तिगत गोपनीयता संबंधी सूचना।
- खुफिया और सुरक्षा एजेंसियाँ (RAW, IB आदि)।
✅ RTI के लाभ
- शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही।
- भ्रष्टाचार नियंत्रण का प्रभावी साधन।
- नागरिकों को सशक्तिकरण।
- योजनाओं और नीतियों की बेहतर निगरानी।
- लोकतंत्र को मजबूत करने में सहायक।
⚠️ चुनौतियाँ
- कई बार विभाग जानकारी देने से बचते हैं।
- RTI कार्यकर्ताओं पर हमले और उत्पीड़न।
- सूचना आयोगों में लंबित मामले।
- अधिनियम में संशोधनों के कारण सूचना आयुक्तों की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न।
- डिजिटल असमानता के कारण सभी नागरिक इसका पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते।
📅 हालिया सुधार (2020–2025 तक)
- RTI ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत (अधिकांश मंत्रालयों और राज्यों में उपलब्ध)।
- ई-गवर्नेंस और डिजिटल रिकॉर्ड के कारण जानकारी तक आसान पहुँच।
- 2023 में चर्चा – सूचना आयुक्तों की नियुक्ति और कार्यकाल पर सरकार के अधिकार बढ़ाने से स्वतंत्रता पर सवाल।
- AI और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग से सूचना प्रबंधन में तेजी।
🌍 निष्कर्ष
RTI अधिनियम भारत में “लोकतंत्र का हथियार” है। इसने नागरिकों को न केवल सवाल पूछने का अधिकार दिया, बल्कि शासन को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया। हालाँकि, इसकी प्रभावशीलता तभी बढ़ेगी जब नागरिक इसका सही उपयोग करेंगे और सरकार इसे और अधिक स्वतंत्र व सरल बनाएगी।
 
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