उच्चतम न्यायालय और इसके न्यायिक कार्य
भारत का उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) देश की न्यायिक प्रणाली का सर्वोच्च और अंतिम न्यायालय है। यह न केवल संविधान का संरक्षक (Guardian of the Constitution) है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने वाला सबसे बड़ा न्यायिक प्राधिकरण भी है। इसका गठन 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ हुआ।
उच्चतम न्यायालय की संरचना
- मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) और अन्य न्यायाधीश शामिल होते हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 124 के अनुसार अधिकतम संख्या 34 न्यायाधीशों तक सीमित है।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं।
- सेवानिवृत्ति की आयु: 65 वर्ष।
उच्चतम न्यायालय के अधिकार और कार्य
1. मौलिक अधिकारों की रक्षा
उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक सीधे उच्चतम न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। इसे संविधान की आत्मा कहा गया है।
2. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)
न्यायालय संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों की जांच करता है कि वे संविधान के अनुरूप हैं या नहीं। यदि कोई कानून संविधान का उल्लंघन करता है, तो न्यायालय उसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
3. विवाद निवारण
संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत उच्चतम न्यायालय को केंद्र और राज्यों के बीच, तथा राज्यों के आपसी विवादों को सुलझाने का अधिकार है। यह इसे संघीय न्यायालय का स्वरूप प्रदान करता है।
4. अपील सुनवाई (Appellate Jurisdiction)
उच्च न्यायालयों और अन्य अधीनस्थ न्यायालयों से आने वाली अपीलों की सुनवाई करना इसका महत्वपूर्ण कार्य है। यह दीवानी, आपराधिक और संवैधानिक मामलों की अपीलों को सुनता है।
5. विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition - SLP)
अनुच्छेद 136 के तहत उच्चतम न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी न्यायालय या ट्रिब्यूनल से आने वाले मामलों की सुनवाई कर सकता है।
6. सल्लाहकारी अधिकार (Advisory Jurisdiction)
अनुच्छेद 143 के अनुसार राष्ट्रपति यदि किसी विधिक या संवैधानिक प्रश्न पर राय चाहते हैं, तो वे इसे उच्चतम न्यायालय को भेज सकते हैं। न्यायालय अपनी सलाह देता है, हालांकि यह बाध्यकारी नहीं होती।
7. विधान और प्रशासन पर नियंत्रण
उच्चतम न्यायालय कार्यपालिका और विधायिका के कार्यों की समीक्षा करता है, ताकि वे संविधान के दायरे से बाहर न जाएं।
उच्चतम न्यायालय के प्रमुख न्यायिक कार्य
संवैधानिक व्याख्या करना
संविधान की धारा और प्रावधानों का अंतिम अर्थ निर्धारित करना।लोकतंत्र की रक्षा करना
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, मौलिक अधिकार, तथा विधिक प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करना।सार्वजनिक हित याचिका (Public Interest Litigation - PIL)
1980 के दशक से उच्चतम न्यायालय ने आम जनता के हितों की रक्षा हेतु PIL को मान्यता दी। इसके माध्यम से गरीब, वंचित और शोषित वर्ग भी न्याय प्राप्त कर सकते हैं।न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism)
समाज और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हेतु न्यायालय सक्रिय भूमिका निभाता है।उच्चतम न्यायालय की महत्ता
- यह भारत का अंतिम अपील का न्यायालय है।
- लोकतंत्र, संविधान और मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
- समाज में कानून का राज (Rule of Law) स्थापित करता है।
- यह नागरिकों को कार्यपालिका और विधायिका की मनमानी से बचाता है।
निष्कर्ष
भारत का उच्चतम न्यायालय न केवल न्यायिक प्रणाली का सर्वोच्च निकाय है, बल्कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान की आत्मा भी है। इसके कार्य भारतीय लोकतंत्र को सुदृढ़ और नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करते हैं।
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