सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court)
गठन, शक्तियाँ और कर्तव्य (Powers and Duties)
सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है, जिसे संविधान द्वारा स्थापित किया गया है। यह न केवल न्याय प्रणाली का शीर्ष संस्थान है, बल्कि संविधान का संरक्षक, विधायिका व कार्यपालिका पर नियंत्रण रखने वाला और नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने वाला प्रमुख स्तंभ भी है। इसकी स्थापना भारत में एक एकीकृत न्याय प्रणाली की आधारशिला है, जो न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक व्याख्या जैसे कार्यों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🔷 सर्वोच्च न्यायालय का गठन (Formation of the Supreme Court)
स्थापना तिथि:
28 जनवरी 1950 को भारत का सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में आया।
संवैधानिक प्रावधान:
भारतीय संविधान के भाग V, अध्याय IV (अनुच्छेद 124 से 147) तक में सर्वोच्च न्यायालय के गठन, संरचना, शक्तियों और कार्यों का उल्लेख किया गया है।
मुख्यालय:
नई दिल्ली, जोकि भारत की राजधानी है।
संरचना:
- मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI)
- अन्य न्यायाधीश, जिनकी संख्या अधिकतम 33 तक हो सकती है (कुल मिलाकर 34 न्यायाधीश)।
- इन न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और सीनियरिटी तथा कॉलेजियम प्रणाली के आधार पर चयन होता है।
🔷 सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ (Powers of the Supreme Court)
1. मौलिक अधिकारों की रक्षा
- संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कोई भी नागरिक जब अपने मूल अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत करता है, तो वह सीधे सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
- इसे "संविधान का हृदय और आत्मा" कहा गया है।
2. परामर्श शक्ति (Advisory Jurisdiction)
- अनुच्छेद 143 के अंतर्गत राष्ट्रपति, किसी भी संवैधानिक या कानूनी विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकते हैं।
3. मूल क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction)
- राज्यों के बीच विवाद या राज्य और केंद्र के बीच विवादों को सर्वोच्च न्यायालय सीधे सुन सकता है।
- यह अधिकार अनुच्छेद 131 में वर्णित है।
4. अपीलीय अधिकार (Appellate Jurisdiction)
यह उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुन सकता है –- सिविल अपील
- दंड अपील
- संवैधानिक अपील
5. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)
- सर्वोच्च न्यायालय संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा बनाए गए कानूनों की वैधता की जांच कर सकता है, और यदि वे संविधान के विरुद्ध हों तो उन्हें अवैध घोषित कर सकता है।
6. विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition - SLP)
- अनुच्छेद 136 के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय किसी भी न्यायालय या ट्राइब्यूनल के निर्णय के विरुद्ध विशेष अनुमति से अपील सुन सकता है।
🔷 सर्वोच्च न्यायालय के कर्तव्य (Duties of the Supreme Court)
1. संविधान की रक्षा करना
- सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख दायित्व है संविधान की रक्षा और व्याख्या करना।
- यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कानून या कार्य संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन न करे।
2. नागरिकों को न्याय दिलाना
- न्यायपालिका का सर्वोच्च संस्थान होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय का प्राथमिक कार्य है – न्याय का निष्पक्ष और शीघ्र वितरण।
3. केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखना
- सर्वोच्च न्यायालय संघीय ढांचे में संतुलन बनाए रखने हेतु राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारों का निर्धारण करता है।
4. संवैधानिक व्याख्या करना
- किसी भी संवैधानिक जटिलता या अस्पष्टता की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय उसका निर्णायक व्याख्या प्रस्तुत करता है।
5. जनहित याचिकाओं (PIL) की सुनवाई
- जब किसी सामाजिक मुद्दे पर कोई नागरिक न्याय की मांग करता है, तब सर्वोच्च न्यायालय PIL के माध्यम से न्याय देता है, चाहे याचिकाकर्ता सीधे प्रभावित न भी हो।
🔷 न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल और निष्कासन
- न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, कॉलेजियम प्रणाली के तहत।
- सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष है।
- निष्कासन केवल संसद द्वारा महाभियोग (Impeachment) के माध्यम से संभव है, जिसमें दोनों सदनों से विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
🔷 निष्कर्ष
सर्वोच्च न्यायालय केवल एक न्यायिक संस्था नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। यह नागरिकों को न्याय देने के साथ-साथ संविधान की रक्षा करता है, कानूनों की वैधता की समीक्षा करता है, और राज्य व केंद्र के बीच संतुलन बनाए रखता है। इसकी शक्तियाँ और कर्तव्य देश को संवैधानिक दिशा में आगे ले जाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर: भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 28 जनवरी 1950 को हुई थी।
प्रश्न 2: सर्वोच्च न्यायालय कहां स्थित है?
उत्तर: भारत का सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में स्थित है।
प्रश्न 3: भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश कौन थे?
उत्तर: भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हरिलाल जे. कानिया थे।
प्रश्न 4: सर्वोच्च न्यायालय में कितने न्यायाधीश होते हैं?
उत्तर: संविधान में संशोधन के बाद वर्तमान में एक मुख्य न्यायाधीश सहित अधिकतम 34 न्यायाधीश हो सकते हैं।
प्रश्न 5: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर: न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो कॉलेजियम प्रणाली के तहत की जाती है।
प्रश्न 6: सर्वोच्च न्यायालय में कौन-कौन से अधिकार होते हैं?
उत्तर:
- मूल अधिकारों की रक्षा
- न्यायिक समीक्षा
- परामर्श शक्ति
- अपीलीय और विशेष अनुमति अधिकार
- मूल क्षेत्राधिकार
प्रश्न 7: सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए कौन सा अनुच्छेद उपयोगी होता है?
उत्तर: अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सर्वोच्च न्यायालय में सीधे याचिका दायर कर सकते हैं।
प्रश्न 8: क्या सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय बाध्यकारी होते हैं?
उत्तर: हां, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय सभी निचली अदालतों और सरकारों पर बाध्यकारी होते हैं।
प्रश्न 9: सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा क्यों करता है?
उत्तर: यह सुनिश्चित करने के लिए कि संसद या राज्य विधानसभा द्वारा बनाया गया कोई कानून संविधान के विरुद्ध न हो, सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा करता है।
प्रश्न 10: सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) क्या है?
उत्तर: जनहित याचिका एक ऐसी याचिका होती है, जिसे कोई भी व्यक्ति सामाजिक हित या जनकल्याण के लिए दायर कर सकता है, भले ही वह खुद प्रभावित न हो।
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