कर प्रणाली (Tax System)
परिचय: कर क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों है?
कर (Tax) वह धनराशि है जो सरकार नागरिकों और व्यवसायों से वसूलती है ताकि जनकल्याण, विकास कार्यों, प्रशासन और सुरक्षा जैसी गतिविधियों को संचालित किया जा सके।
हर नागरिक का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अपने आय स्तर और व्यावसायिक गतिविधियों के अनुसार कर का भुगतान करे।
बिना कर के सरकार कार्य नहीं कर सकती, क्योंकि यही वह स्रोत है जिससे सरकार सड़कें, अस्पताल, विद्यालय, रक्षा, और सामाजिक योजनाएँ चलाती है।
संविधान में कराधान की शक्तियाँ (Taxation Powers) केंद्र और राज्य दोनों को दी गई हैं —
इसीलिए भारत की कर प्रणाली संघीय प्रकृति (Federal Structure) की है।
भारतीय कर प्रणाली का महत्व (Importance of Tax System)
कर प्रणाली (Tax System) किसी भी राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ (Economic Backbone) होती है।
इसका महत्व निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट होता है:
- राजस्व सृजन (Revenue Generation): सरकार के कुल आय का मुख्य स्रोत कर ही है।
- सामाजिक समानता (Social Equality): प्रगतिशील करों से अमीरों पर अधिक कर लगाकर आय असमानता कम की जाती है।
- आर्थिक स्थिरता (Economic Stability): कर नीति के माध्यम से मुद्रास्फीति और मंदी को नियंत्रित किया जा सकता है।
- विकास को गति देना: कर से प्राप्त धन से बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, और स्वास्थ्य पर निवेश होता है।
- लोकतांत्रिक जवाबदेही: नागरिकों को पता होता है कि उनकी कमाई का हिस्सा देश के विकास में कहाँ उपयोग हो रहा है।
भारतीय कर प्रणाली की संरचना (Structure of Indian Tax System)
भारत की कर प्रणाली मुख्यतः दो भागों में विभाजित है:
1. प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes)
वे कर जो सीधे व्यक्ति या संस्था की आय पर लगाए जाते हैं, प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) कहलाते हैं।
इनका बोझ वही व्यक्ति वहन करता है जिस पर कर लगाया जाता है।
प्रमुख प्रत्यक्ष कर:
- आयकर (Income Tax): व्यक्तियों की आय पर लगाया जाने वाला कर।
- कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax): कंपनियों और उद्योगों की आय पर लगाया जाता है।
- पूंजी लाभ कर (Capital Gains Tax): संपत्ति की बिक्री से हुई आय पर।
- संपत्ति कर (Wealth Tax): अब समाप्त हो चुका है, पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था।
👉 उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक आय ₹10 लाख है, तो वह अपने अनुसार आयकर का भुगतान करेगा।
2. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes)
अप्रत्यक्ष कर वे हैं जो वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर लगाए जाते हैं।
इनका भुगतान अंततः उपभोक्ता करता है, लेकिन वसूली व्यापारी या निर्माता द्वारा की जाती है।
प्रमुख अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes):
- वस्तु एवं सेवा कर (GST – Goods and Services Tax):
- 1 जुलाई 2017 से लागू, इसने केंद्र और राज्य के कई करों को एकीकृत कर दिया।
- सीमा शुल्क (Custom Duty): विदेश से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
- उत्पाद शुल्क (Excise Duty): देश में निर्मित वस्तुओं पर लगाया जाता था, अब अधिकांश रूप में GST में शामिल।
👉 उदाहरण: जब आप किसी उत्पाद को ₹1000 में खरीदते हैं और उस पर 18% GST है, तो कुल कीमत ₹1180 बनती है।
कर प्रणाली में सुधार और विकास (Evolution and Reforms in Tax System)
भारत की कर प्रणाली में समय-समय पर कई सुधार (Reforms) हुए हैं ताकि यह अधिक पारदर्शी, सरल और कुशल बन सके।
1. स्वतंत्रता के बाद प्रारंभिक दौर
- 1947 के बाद भारत ने ब्रिटिश काल की कर प्रणाली को अपनाया।
- उच्च दरें और जटिल प्रक्रिया आम नागरिकों के लिए कठिन थीं।
2. 1991 के आर्थिक सुधार (Economic Reforms)
- उदारीकरण के बाद कर संरचना में बड़े परिवर्तन हुए।
- कॉर्पोरेट कर दरें घटाई गईं और प्रत्यक्ष कर दायरा बढ़ाया गया।
3. 2000 के दशक में आधुनिकीकरण
- PAN कार्ड (Permanent Account Number) और TIN प्रणाली लागू की गई।
- ऑनलाइन कर भुगतान और फाइलिंग की सुविधा दी गई।
4. 2017: GST क्रांति
- GST (Goods and Services Tax) ने अप्रत्यक्ष करों की लंबी सूची को समाप्त कर एकीकृत प्रणाली बनाई।
- “एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार” की अवधारणा साकार हुई।
5. हाल के वर्षों के सुधार
- फेशलेस असेसमेंट (Faceless Assessment) प्रणाली लागू की गई।
- ई-इनवॉइसिंग और ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी से पारदर्शिता बढ़ाई गई।
- छोटे व्यवसायों के लिए संवेदनशील कर छूट और स्टार्टअप प्रोत्साहन लागू हुए।
भारतीय संविधान और कर प्रणाली (Taxation in Indian Constitution)
भारत का संविधान कराधान शक्तियों को केंद्र और राज्य में बाँटता है।
यह विभाजन सातवीं अनुसूची (Seventh Schedule) के तहत किया गया है।
| सूचियाँ | कराधान शक्तियाँ | 
|---|---|
| केंद्रीय सूची (Union List) | आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क आदि | 
| राज्य सूची (State List) | भूमि राजस्व, बिजली कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प ड्यूटी आदि | 
| समवर्ती सूची (Concurrent List) | शिक्षा और सामाजिक कल्याण से जुड़े कुछ कर विषय | 
👉 इसका अर्थ है कि केंद्र और राज्य दोनों के पास कर लगाने का अधिकार है, परंतु विषय-वार सीमाओं के साथ।
कर प्रणाली की चुनौतियाँ (Challenges in Indian Tax System)
- कर चोरी (Tax Evasion): उच्च दरों और जटिलता के कारण कर चोरी की प्रवृत्ति।
- कर आधार का सीमित होना (Narrow Tax Base): बहुत कम लोग नियमित करदाता हैं।
- प्रशासनिक जटिलता: नियमों और प्रक्रियाओं की अधिकता।
- अप्रत्यक्ष करों का बोझ: गरीब और अमीर दोनों पर समान दर से प्रभाव।
- डिजिटल साक्षरता की कमी: छोटे व्यापारी अभी भी पूरी तरह ऑनलाइन प्रणाली नहीं अपना पाए हैं।
कर प्रणाली के लाभ (Advantages of an Efficient Tax System)
- राजकोषीय स्थिरता: सरकार के खर्चों को नियंत्रित और संतुलित रखने में मदद।
- आर्थिक समानता: प्रगतिशील कर व्यवस्था से समाज में संतुलन।
- निवेश प्रोत्साहन: स्थिर कर नीति से निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।
- सामाजिक कल्याण: कर राजस्व से गरीब वर्गों के लिए योजनाएँ चलाई जाती हैं।
- प्रौद्योगिकीय पारदर्शिता: ई-गवर्नेंस और डिजिटल टैक्स फाइलिंग से भ्रष्टाचार कम होता है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points for Exams)
- GST लागू होने की तिथि: 1 जुलाई 2017
- पहला आयकर कानून: 1860 में ब्रिटिश सरकार द्वारा
- वर्तमान आयकर अधिनियम: 1961
- GST परिषद (GST Council): अनुच्छेद 279A के तहत
- GST के प्रकार: CGST, SGST, IGST
- कर लगाने की शक्ति का स्रोत: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची
- फेशलेस असेसमेंट लॉन्च वर्ष: 2020
- कॉर्पोरेट टैक्स दर (2025 तक): 22% (घरेलू कंपनियों के लिए सामान्य दर)
- करदाता पहचान: PAN (Permanent Account Number)
- FRBM Act, 2003: राजकोषीय अनुशासन और घाटा नियंत्रण हेतु
कर प्रणाली और शासन (Role of Tax System in Governance)
कर प्रणाली केवल राजस्व जुटाने का साधन नहीं, बल्कि शासन, विकास और लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व का आधार है।
एक संतुलित और पारदर्शी कर प्रणाली सरकार को वह शक्ति देती है जिससे वह —
- शिक्षा, स्वास्थ्य, और आधारभूत ढाँचे में निवेश कर सके,
- गरीबी उन्मूलन योजनाएँ चला सके,
- और देश की आर्थिक नीतियों को मजबूत बना सके।
कर नीति, आर्थिक न्याय और विकास दोनों का मार्गदर्शन करती है।
यदि कर प्रणाली पारदर्शी और सरल हो, तो जनता का सरकार पर विश्वास बढ़ता है और देश तेज़ी से आगे बढ़ता है।
निष्कर्ष: कर प्रणाली — राष्ट्र निर्माण की आधारशिला
भारत की कर प्रणाली केवल आर्थिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा है।
यह जनता से लिए गए संसाधनों को जनता के कल्याण में परिवर्तित करने का माध्यम है।
एक न्यायपूर्ण, पारदर्शी और सरल कर व्यवस्था न केवल सरकार की विश्वसनीयता बढ़ाती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाती है।
वास्तव में, कर व्यवस्था जितनी प्रभावी होगी, राष्ट्र उतना ही समृद्ध और संतुलित होगा।
 
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