थार मरुस्थल

थार मरुस्थल

भारत का सुनहरा रेगिस्तान

परिचय

थार मरुस्थल, जिसे महान भारतीय मरुस्थल भी कहा जाता है, भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित एक विस्तृत और अनोखा भू-भाग है। अपनी रेत के सुनहरे टीले, शुष्क जलवायु, विशिष्ट वन्यजीव और सांस्कृतिक रंगत के लिए यह विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मरुस्थल भारत की भौगोलिक विविधता का एक अहम हिस्सा है और राजस्थान की पहचान माना जाता है।


भौगोलिक स्थिति और विस्तार

थार मरुस्थल मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में फैला हुआ है, जबकि इसका कुछ भाग गुजरात, पंजाब और हरियाणा में भी आता है। इसका अंतरराष्ट्रीय विस्तार पाकिस्तान के सिंध प्रांत तक है।
इसका क्षेत्रफल लगभग 2,00,000 वर्ग किलोमीटर है।
उत्तर और पूर्व में अरावली पर्वतमाला, पश्चिम में पाकिस्तान का सिंध प्रदेश और दक्षिण में कच्छ का रण इसकी सीमाएँ बनाते हैं।


जलवायु विशेषताएँ

थार मरुस्थल की जलवायु उष्णकटिबंधीय शुष्क प्रकार की है।
गर्मियों में तापमान 50°C तक पहुँच सकता है, जबकि सर्दियों में यह 0°C के आसपास गिर जाता है।
वर्षा औसतन 100–500 मिमी होती है, जो मुख्य रूप से मानसून के समय ही प्राप्त होती है। दिन और रात के तापमान में भारी अंतर इसकी विशेषता है।


भू-आकृति और मृदा

इस क्षेत्र में बड़े-बड़े रेतीले टीले पाए जाते हैं, जिनमें चलते-फिरते (बार्खान) और स्थायी टीले शामिल हैं।
मृदा बलुई होती है, जिसमें जल धारण क्षमता बहुत कम होती है।
तेज़ हवाओं के कारण यहाँ रेत की तरंगाकार आकृतियाँ और दीवारें बन जाती हैं।


वनस्पति और जीव-जंतु

थार मरुस्थल की वनस्पति मरुस्थलीय प्रकार की है, जिसमें खेजड़ी, बेर, रोहिड़ा जैसे झाड़ियाँ और कैक्टस, थोर जैसे कांटेदार पौधे पाए जाते हैं। सेवान और मूंगा जैसी घासें यहाँ की चरागाह संस्कृति का हिस्सा हैं।
जीव-जंतुओं में ऊंट (रेगिस्तान का जहाज), काला हिरण, चिंकारा, लोमड़ी, रेगिस्तानी बिल्ली, गोडावण और रेगिस्तानी तीतर प्रमुख हैं।


नदियाँ और जल संसाधन

थार मरुस्थल में स्थायी नदियाँ लगभग नहीं हैं, लेकिन लूणी नदी यहाँ की प्रमुख नदी है।
मानसून के दौरान अस्थायी धाराएँ और तालाब बनते हैं।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना ने इस क्षेत्र के पश्चिमी भाग में हरित क्रांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


मानव जीवन और बसावट

थार मरुस्थल का जनसंख्या घनत्व अपेक्षाकृत कम है, लेकिन कुछ प्रमुख कस्बों और शहरों का विकास हुआ है।
जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर और जोधपुर इसके महत्वपूर्ण शहरी केंद्र हैं।
पारंपरिक मिट्टी के घर (झोपड़ियाँ) और हवेलियाँ यहाँ की पहचान हैं।


आर्थिक गतिविधियाँ

कृषि में बाजरा, मूंग, ग्वार, चना और सरसों प्रमुख फसलें हैं।
पशुपालन में ऊंट, भेड़ और बकरी का पालन अधिक होता है।
खनिज संपदा में जिप्सम, चूना पत्थर और लिग्नाइट प्रमुख हैं।
पर्यटन उद्योग भी यहाँ की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है, जिसमें रेगिस्तान सफारी, जैसलमेर का किला, लोक नृत्य और संगीत शामिल हैं।


सांस्कृतिक महत्व

थार मरुस्थल का सांस्कृतिक जीवन बेहद रंगीन है। यहाँ के लोग रंग-बिरंगे परिधान पहनते हैं और कालबेलिया, मांड़ जैसे लोक संगीत और नृत्य की समृद्ध परंपरा रखते हैं।
प्रमुख त्यौहारों में डेजर्ट फेस्टिवल (जैसलमेर), गणगौर और तीज शामिल हैं। ऊंट मेले और हस्तशिल्प यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।


प्रमुख चुनौतियाँ

इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या जल की कमी और लगातार पड़ने वाले सूखे हैं।
मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और चराई का दबाव पर्यावरणीय संकट पैदा करते हैं।
तापमान में अत्यधिक उतार-चढ़ाव भी जीवन को कठिन बनाता है।


निष्कर्ष

थार मरुस्थल भारत की भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है।
यहाँ के लोग कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत और परंपराओं से इस क्षेत्र को जीवंत बनाए रखते हैं।
इंदिरा गांधी नहर जैसी परियोजनाओं और सतत विकास के प्रयासों से यह मरुस्थल अब एक नए युग की ओर बढ़ रहा है।



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