विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में अभिवृत्ति का प्रभाव(The influence of attitude on thought and behaviour)
परिचय: मनुष्य की सोच और व्यवहार में अभिवृत्ति की भूमिका
अभिवृत्ति (Attitude) किसी व्यक्ति की विचारधारा, भावना और व्यवहार को निर्धारित करने वाली एक मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है। यह हमारी मानसिकता को ढालती है और हमें यह तय करने में सहायता करती है कि किसी परिस्थिति, व्यक्ति या विचार के प्रति हमारा दृष्टिकोण कैसा होगा — सकारात्मक, नकारात्मक या उदासीन।
विचार (Thinking) व्यक्ति के मानसिक आकलन की प्रक्रिया है, जबकि आचरण (Behavior) उन विचारों का बाह्य प्रदर्शन होता है। इन दोनों में अभिवृत्ति की सीधी भूमिका होती है, जो हमारी सोच को आकार देती है और हमारे कार्यों को दिशा प्रदान करती है।
1. विचार प्रक्रिया पर अभिवृत्ति का प्रभाव
व्यक्ति किस प्रकार किसी बात को समझता है, विश्लेषण करता है और निष्कर्ष पर पहुंचता है, यह उसकी अभिवृत्ति पर निर्भर करता है।
सकारात्मक अभिवृत्ति और रचनात्मक सोच
जब व्यक्ति के पास किसी विषय के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण होता है, तो वह समस्याओं को अवसर के रूप में देखता है। वह नकारात्मक परिस्थितियों में भी समाधान खोजने की कोशिश करता है।
उदाहरण:
नकारात्मक अभिवृत्ति और पूर्वग्रहपूर्ण सोच
नकारात्मक अभिवृत्ति व्यक्ति को पूर्वधारणाओं और मिथ्या विश्वासों से ग्रसित करती है। वह किसी भी परिस्थिति को नकारात्मक रोशनी में देखता है और निष्पक्ष सोच नहीं कर पाता।
उदाहरण:
2. आचरण पर अभिवृत्ति का प्रभाव
आचरण हमारे भीतर मौजूद अभिवृत्तियों का बाह्य रूप होता है। हम जिस प्रकार की सोच रखते हैं, वैसा ही हमारा व्यवहार बनता है।
सामाजिक व्यवहार में प्रभाव
अभिवृत्ति से यह तय होता है कि हम दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं—सम्मानजनक, सहयोगी या टकरावपूर्ण।
उदाहरण:
नैतिक आचरण में प्रभाव
सत्य, न्याय, कर्तव्य जैसे मूल्यों के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्ति उसके नैतिक आचरण को निर्धारित करती है।
उदाहरण:
राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी में प्रभाव
व्यक्ति की राजनैतिक अभिवृत्ति उसके मतदान, आंदोलनों में भागीदारी, तथा सामाजिक सक्रियता को प्रभावित करती है।
उदाहरण:
3. कार्यस्थल पर अभिवृत्ति का प्रभाव
टीमवर्क और सहयोग
सकारात्मक अभिवृत्ति वाले कर्मचारी टीम भावना से कार्य करते हैं, जबकि नकारात्मक अभिवृत्ति असहयोग और विवाद को जन्म देती है।
प्रेरणा और उत्पादकता
सकारात्मक सोच वाला कर्मचारी कार्य को चुनौती की तरह लेता है, जिससे उसकी उत्पादकता, सृजनात्मकता और परिणामों में सुधार होता है।
उदाहरण:
4. अभिवृत्ति परिवर्तन और इसका प्रभाव
जब व्यक्ति की सोच में परिवर्तन आता है, तो उसका व्यवहार भी बदलता है। यह परिवर्तन जानकारी, अनुभव, या सामाजिक प्रभाव से हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से:
कॉग्निटिव डिसोनेंस थ्योरी के अनुसार जब किसी के विचार और व्यवहार में विरोध होता है, तो वह अपनी अभिवृत्ति बदलने की कोशिश करता है।उदाहरण:
5. अभिवृत्ति का सामाजिक प्रभाव
सामाजिक समरसता
सकारात्मक सामाजिक अभिवृत्तियाँ जैसे सहिष्णुता, समानता, और भाईचारा एक समरस और संगठित समाज की स्थापना करती हैं।
भेदभाव और संघर्ष
जातिवाद, लिंग भेद, धर्मान्धता जैसी नकारात्मक अभिवृत्तियाँ समाज में संघर्ष और असमानता को जन्म देती हैं।
उदाहरण:
6. अभिवृत्ति के सुधार की दिशा
शिक्षा और जागरूकता
शिक्षा व्यक्ति की सोच को विस्तृत करती है और उसे पूर्वग्रहों से मुक्त करती है।
संवाद और समावेशिता
विचारों का आदान-प्रदान और विविधता को स्वीकारना अभिवृत्तियों में सुधार लाता है।
मीडिया की सकारात्मक भूमिका
मीडिया यदि निष्पक्ष और तथ्यपरक जानकारी दे, तो सामाजिक दृष्टिकोण में संतुलन आता है।
निष्कर्ष: अभिवृत्ति—विचार से आचरण तक की कड़ी
अभिवृत्ति मनुष्य के व्यक्तित्व का मूल तत्व है, जो उसके विचारों को गहराई देता है और आचरण को स्थिरता प्रदान करता है।
यदि समाज में सकारात्मक, समावेशी और न्यायप्रिय अभिवृत्तियों का विकास हो, तो सामाजिक सामंजस्य, व्यक्तिगत उन्नति और राष्ट्रीय विकास सुनिश्चित हो सकता है। इसलिए, व्यक्ति और समाज दोनों के स्तर पर अभिवृत्तियों को समझना, सुधारना और दिशा देना अत्यंत आवश्यक है।
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