उष्णकटिबंधीय जलवायु

उष्णकटिबंधीय जलवायु(Tropical Climate)

विशेषताएँ, प्रकार और प्रभाव

परिचय

उष्णकटिबंधीय जलवायु (Tropical Climate) पृथ्वी की भूमध्य रेखा के दोनों ओर 23½° उत्तर अक्षांश (कर्क रेखा) से 23½° दक्षिण अक्षांश (मकर रेखा) तक पाई जाती है। यह क्षेत्र सूर्य की किरणों को सबसे अधिक सीधा प्राप्त करता है, जिसके कारण यहाँ पूरे वर्ष उच्च तापमान और प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। यही कारण है कि इसे पृथ्वी का सबसे अधिक ऊर्जा-समृद्ध और जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र कहा जाता है।


भौगोलिक स्थिति

  • उष्णकटिबंधीय जलवायु मुख्यतः एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बड़े हिस्सों में पाई जाती है।
  • विश्व के प्रमुख वर्षावन, मरुस्थल और घासभूमियाँ इसी क्षेत्र में स्थित हैं।

उदाहरण:
  • अमेज़न वर्षावन (दक्षिण अमेरिका)
  • कांगो बेसिन (अफ्रीका)
  • इंडोनेशिया और भारत के तटीय क्षेत्र (एशिया)

मुख्य विशेषताएँ

  • तापमान: औसतन 20°C से 30°C के बीच।
  • मौसम: सालभर गर्म और आर्द्र।
  • वर्षा: वार्षिक वर्षा अधिकतर 150 से 200 सेमी। कुछ क्षेत्रों में 300 सेमी से भी अधिक।
  • वनस्पति: घने सदाबहार वन (Evergreen Forests), घासभूमियाँ और कृषि योग्य भूमि।
  • जैव विविधता: पौधों और जीव-जंतुओं की अत्यधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।


उष्णकटिबंधीय जलवायु के प्रकार

1. उष्णकटिबंधीय वर्षावन जलवायु (Tropical Rainforest Climate)

  • क्षेत्र: अमेज़न बेसिन, कांगो बेसिन, इंडोनेशिया।

विशेषताएँ:
  • पूरे वर्ष उच्च तापमान और भारी वर्षा।
  • घने सदाबहार वन।
  • दुनिया की सबसे समृद्ध जैव विविधता

2. उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु (Tropical Monsoon Climate)

  • क्षेत्र: भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड।

विशेषताएँ:
  • ग्रीष्म ऋतु में अधिक वर्षा, शीत ऋतु अपेक्षाकृत शुष्क।
  • मानसून पवनों पर निर्भर।
  • कृषि (विशेषकर चावल की खेती) के लिए अनुकूल।

3. उष्णकटिबंधीय सवाना जलवायु (Tropical Savanna Climate)

  • क्षेत्र: अफ्रीका का साहेल, ब्राज़ील का सेराडो।

विशेषताएँ:

  • गर्म जलवायु, ग्रीष्म ऋतु में भारी वर्षा, शीत ऋतु में सूखा।
  • लम्बी घास और विरल वृक्ष।
  • शेर, हाथी, जिराफ़, ज़ेब्रा जैसे वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध।

4. उष्णकटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु (Tropical Desert Climate)

  • क्षेत्र: सहारा (अफ्रीका), कालाहारी, अरब मरुस्थल।

विशेषताएँ:
  • अत्यधिक गर्म दिन और ठंडी रातें।
  • वार्षिक वर्षा 25 सेमी से भी कम।
  • विरल वनस्पति और रेगिस्तानी जीव।

प्राकृतिक संसाधन और आर्थिक महत्व

  • कृषि: धान, गन्ना, कॉफी, रबर, केले जैसी उष्णकटिबंधीय फसलें।
  • खनिज संसाधन: सोना, हीरा, बॉक्साइट, तेल।
  • जैव विविधता: औषधीय पौधों और दुर्लभ जीव-जंतुओं का भंडार।
  • पर्यटन: वर्षावन, सफारी और समुद्री तट।


मानव जीवन पर प्रभाव

  • जीवन शैली मुख्यतः कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित।
  • तटीय क्षेत्रों में मछली पालन और समुद्री व्यापार
  • वर्षा पर निर्भर अर्थव्यवस्था।
  • स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ – मलेरिया, डेंगू, पीत ज्वर जैसी बीमारियाँ।


समस्याएँ और चुनौतियाँ

  • वनों की कटाई: कृषि विस्तार और शहरीकरण के कारण।
  • जलवायु परिवर्तन: वर्षा चक्र में असंतुलन।
  • जैव विविधता का ह्रास: अनेक प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर।
  • मरुस्थलीकरण: अत्यधिक चराई और वनों की कमी के कारण।


👉 निष्कर्ष

उष्णकटिबंधीय जलवायु पृथ्वी का सबसे समृद्ध और विविधतापूर्ण क्षेत्र है। यह न केवल जैव विविधता का घर है, बल्कि मानव सभ्यता की आर्थिक और सांस्कृतिक नींव भी इसी क्षेत्र में विकसित हुई। किंतु वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इस क्षेत्र के लिए गंभीर खतरा हैं। सतत विकास और संरक्षण से ही उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की प्राकृतिक धरोहर को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है।



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