बैंकों के प्रकार (Types of Banks in India)
🏦 बैंकों के प्रकार – भारत में बैंकिंग प्रणाली का विस्तृत विश्लेषण
परिचय: बैंक क्या है और इसका महत्व
बैंकों की भूमिका केवल पैसे के लेन-देन तक सीमित नहीं है; ये वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion), सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन, और डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रसार में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
भारत में बैंकों का वर्गीकरण (Classification of Banks in India)
🔹 1. वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks)
प्रमुख उप-प्रकार:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks) – जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 50% से अधिक होती है।
- उदाहरण: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) आदि।
- निजी क्षेत्र के बैंक (Private Sector Banks) – जिनका प्रबंधन निजी हाथों में होता है।
- उदाहरण: एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक आदि।
- विदेशी बैंक (Foreign Banks) – जिनका मुख्यालय भारत के बाहर होता है पर शाखाएँ भारत में चलती हैं।
- उदाहरण: सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, एचएसबीसी आदि।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks - RRBs) – ये ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए कार्यरत हैं।
- उदाहरण: प्रत्येक राज्य में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जैसे आर्यावर्त बैंक, केरल ग्रामीण बैंक।
🔹 2. सहकारी बैंक (Cooperative Banks)
प्रमुख प्रकार:
- राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Banks)
- जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (District Central Cooperative Banks)
- प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियाँ (Primary Agricultural Credit Societies)
सहकारी बैंक किसानों, छोटे व्यापारी और ग्रामीण कारीगरों के लिए वित्तीय सहायता का मुख्य स्रोत हैं।
🔹 3. विकास बैंक (Development Banks)
प्रमुख विकास बैंक:
- IDBI (Industrial Development Bank of India)
- NABARD (National Bank for Agriculture and Rural Development)
- SIDBI (Small Industries Development Bank of India)
- EXIM Bank (Export-Import Bank of India)
- NHB (National Housing Bank)
🔹 4. लघु वित्त बैंक (Small Finance Banks)
उदाहरण:
🔹 5. भुगतान बैंक (Payments Banks)
उदाहरण:
🔹 6. सेंट्रल बैंक (Central Bank)
आरबीआई की प्रमुख भूमिकाएँ:
- मुद्रा जारी करना (Issue of Currency)
- मौद्रिक नीति का संचालन (Monetary Policy)
- वित्तीय स्थिरता बनाए रखना (Financial Stability)
- बैंकों का लाइसेंस और पर्यवेक्षण (Supervision of Banks)
बैंकों में समय-समय पर हुए बदलाव और सुधार
🔸 राष्ट्रीयकरण (Nationalization)
1969 और 1980 में कुल 20 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। इसका उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं को आम जनता और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाना था।
🔸 उदारीकरण (Liberalization) – 1991
1991 के आर्थिक सुधारों के बाद निजी क्षेत्र के बैंकों को अनुमति दी गई। इससे बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा, नवाचार और दक्षता बढ़ी।
🔸 डिजिटल बैंकिंग और फिनटेक (Fintech Revolution)
🔸 बैंक विलय (Bank Mergers)
शासन, समाज और लोकतंत्र में बैंकों की भूमिका
बैंक केवल वित्तीय संस्थाएँ नहीं हैं, बल्कि ये देश के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे का अभिन्न हिस्सा हैं।
🔸 शासन (Governance)
सरकार की अधिकांश योजनाएँ जैसे जन धन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना आदि बैंकों के माध्यम से लागू होती हैं।
🔸 समाज (Society)
🔸 लोकतंत्र (Democracy)
एक सशक्त बैंकिंग प्रणाली नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा, न्यायसंगत अवसर, और विश्वसनीय वित्तीय ढाँचा प्रदान करती है, जो लोकतंत्र की स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points for Exams)
- भारत का केंद्रीय बैंक – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
- RBI की स्थापना – 1 अप्रैल 1935
- राष्ट्रीयकरण की तिथियाँ – प्रथम चरण: 1969, द्वितीय चरण: 1980
- विकास बैंक का उदाहरण – NABARD, SIDBI, EXIM Bank
- भुगतान बैंक की अधिकतम जमा सीमा – ₹2 लाख
- पहला लघु वित्त बैंक – Capital Small Finance Bank
- वित्तीय समावेशन योजना – प्रधानमंत्री जन धन योजना (2014)
- UPI का शुभारंभ – वर्ष 2016 में
- NABARD की स्थापना – 1982
- वाणिज्यिक बैंक का मुख्य उद्देश्य – लाभ अर्जन
 
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