महंगाई के प्रकार

 महंगाई के प्रकार(Types of Inflation)

प्रस्तावना

महंगाई (Inflation) किसी भी अर्थव्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक समस्या है। सरल शब्दों में, जब किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ लगातार बढ़ती हैं, तो उसे महंगाई कहा जाता है। महंगाई का सीधा असर आम जनता की क्रय शक्ति (Purchasing Power), जीवन स्तर और देश की आर्थिक स्थिरता पर पड़ता है।

महंगाई कई प्रकार की होती है, जिन्हें विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं –


1. दर (Rate) के आधार पर महंगाई के प्रकार

(क) रेंगती महंगाई (Creeping Inflation)

  • जब कीमतें धीरे-धीरे और सीमित स्तर पर बढ़ती हैं।
  • महंगाई की दर 2% से 3% प्रतिवर्ष होती है।
  • यह सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक नहीं, बल्कि विकास के लिए उपयोगी होती है।

(ख) चालू महंगाई (Walking Inflation)

  • जब महंगाई की दर 3% से 10% के बीच होती है।
  • कीमतें तेज़ी से बढ़ने लगती हैं और जनता को बोझ महसूस होता है।
  • यदि नियंत्रण न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकती है।

(ग) दौड़ती महंगाई (Running Inflation)

  • जब महंगाई की दर 10% से 20% या उससे अधिक हो जाती है।
  • वस्तुओं की कीमतें तेजी से बदलती हैं।
  • आम जनता और उद्योग दोनों प्रभावित होते हैं।

(घ) अति-महंगाई (Hyper Inflation)

  • जब महंगाई की दर 100% से भी अधिक हो जाती है।
  • मुद्रा का मूल्य तेजी से गिरता है।
  • ऐतिहासिक उदाहरण – 1923 में जर्मनी और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हंगरी।


2. कारण (Cause) के आधार पर महंगाई के प्रकार

(क) माँग खींच महंगाई (Demand-Pull Inflation)

  • जब माँग आपूर्ति से अधिक हो जाती है।
  • उदाहरण: त्योहारों के समय या आर्थिक उछाल के दौरान कीमतों का बढ़ना।

(ख) लागत धकेल महंगाई (Cost-Push Inflation)

  • जब उत्पादन की लागत (कच्चा माल, मजदूरी, बिजली आदि) बढ़ जाती है।
  • इससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं।

(ग) संरचनात्मक महंगाई (Structural Inflation)

  • जब अर्थव्यवस्था की संरचना (जैसे कृषि पर निर्भरता, आपूर्ति की कमी, वितरण तंत्र की कमजोरी) के कारण महंगाई होती है।
  • यह प्रायः विकासशील देशों में पाई जाती है।


3. मूल्य स्तर (Price Level) के आधार पर महंगाई के प्रकार

(क) खुली महंगाई (Open Inflation)

  • जब कीमतों में वृद्धि स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
  • इसे आम जनता महसूस कर सकती है।

(ख) दबाई गई महंगाई (Suppressed Inflation)

  • जब सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रण और सब्सिडी का प्रयोग करती है।
  • वास्तविक महंगाई छिपी रहती है, लेकिन काले बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं।


4. नियंत्रण के आधार पर महंगाई

(क) नियंत्रित महंगाई (Controlled Inflation)

  • जब सरकार नीतिगत उपायों द्वारा महंगाई को सीमित रखती है।
  • यह अर्थव्यवस्था के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित होती है।

(ख) अनियंत्रित महंगाई (Uncontrolled Inflation)

  • जब महंगाई पर नियंत्रण के सभी उपाय असफल हो जाते हैं।
  • यह गंभीर सामाजिक और आर्थिक संकट उत्पन्न करती है।


5. अन्य महत्वपूर्ण प्रकार

(क) आयातित महंगाई (Imported Inflation)

  • जब किसी देश में आयातित वस्तुओं की कीमत बढ़ने से घरेलू कीमतें बढ़ती हैं।
  • उदाहरण: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत में पेट्रोल-डीज़ल महँगा होना।

(ख) क्षेत्रीय महंगाई (Sectoral Inflation)

  • जब किसी विशेष क्षेत्र (जैसे – कृषि, उद्योग, रियल एस्टेट) में महंगाई होती है।

(ग) मंदीजनित महंगाई (Stagflation)

  • जब आर्थिक विकास धीमा हो जाता है लेकिन कीमतें फिर भी बढ़ती रहती हैं।
  • यह सबसे खतरनाक स्थिति मानी जाती है।


महंगाई के परिणाम

सकारात्मक परिणाम

उत्पादन और निवेश को प्रोत्साहन।
सरकार को अधिक राजस्व प्राप्ति।

नकारात्मक परिणाम

गरीब और मध्यम वर्ग पर बोझ।
बचत और क्रय शक्ति में कमी।
आय में असमानता और सामाजिक असंतोष।


निष्कर्ष

महंगाई के प्रकार समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे सरकार और नीति-निर्माता सही आर्थिक कदम उठा सकते हैं। नियंत्रित और सीमित महंगाई आर्थिक विकास के लिए उपयोगी होती है, जबकि अति-महंगाई और अनियंत्रित महंगाई अर्थव्यवस्था को अस्थिर बना देती है। अतः आवश्यक है कि सरकार समय-समय पर राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों के माध्यम से महंगाई को नियंत्रित करे, ताकि विकास और स्थिरता दोनों सुनिश्चित हो सकें।



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