उत्तर प्रदेश विधान सभा (Uttar Pradesh Legislative Assembly) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की निम्न सदन (Lower House) है। यह भारत की सबसे बड़ी विधान सभा है और राज्य की विधायिका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
🏛️ उत्तर प्रदेश विधान सभा का संक्षिप्त परिचय
विषय | विवरण |
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स्थापना | 1937 (ब्रिटिश शासनकाल में, Government of India Act 1935 के अंतर्गत) |
कुल सदस्य | 403 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में) |
विधानसभा का कार्यकाल | 5 वर्ष (यदि पूर्व में भंग न की जाए) |
बैठक स्थल | विधान भवन, लखनऊ |
अध्यक्ष | विधानसभा का संचालन करने वाला अधिकारी |
उपाध्यक्ष | अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यभार संभालता है |
प्रमुख दल | भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), कांग्रेस आदि |
🔹 विधान सभा की संरचना
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403 निर्वाचित सदस्य – जनता द्वारा सीधे चुने जाते हैं।
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राज्य को 403 विधानसभा क्षेत्रों में बांटा गया है।
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हर निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है।
🔹 मुख्य पदाधिकारी (Key Office Bearers)
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विधान सभा अध्यक्ष (Speaker) – विधानसभा सत्र का संचालन करते हैं।
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मुख्य मंत्री (Leader of the House) – सत्तारूढ़ दल का नेता।
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विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) – विपक्षी दल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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सचिवालय अधिकारी – विधानसभा की प्रक्रिया और दस्तावेजों का प्रबंधन करते हैं।
🔹 विधान सभा के कार्य
1. कानून बनाना (Legislation)
राज्य से संबंधित विषयों पर कानून बनाना, जैसे –
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शिक्षा
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स्वास्थ्य
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कृषि
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पुलिस
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स्थानीय प्रशासन
2. राज्य सरकार पर नियंत्रण
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मंत्रियों से प्रश्न पूछना (Question Hour)
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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव आदि लाना
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बजट पर चर्चा
3. बजट पारित करना
राज्य का वार्षिक बजट पास किया जाता है और सरकार को धन खर्च की अनुमति दी जाती है।
4. जनता की समस्याओं को उठाना
विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याएँ विधानसभा में उठाते हैं।
🔹 विधान सभा सत्र (Sessions)
वर्ष में आमतौर पर तीन सत्र होते हैं:
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बजट सत्र – फरवरी/मार्च में
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मानसून सत्र – जुलाई/अगस्त में
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शीतकालीन सत्र – नवम्बर/दिसम्बर में
🔹 राजनीतिक महत्व
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उत्तर प्रदेश की विधान सभा का भारतीय राजनीति में बहुत महत्त्व है क्योंकि यह देश की सबसे बड़ी विधानसभा है।
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यहां की राजनीति राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालती है।
📌 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश विधान सभा राज्य के लोकतंत्र का मूल आधार है। यह न केवल कानून बनाने वाली संस्था है बल्कि सरकार की जवाबदेही तय करने वाली शक्ति भी है। विधानसभा के माध्यम से जनता की आवाज़ सरकार तक पहुँचती है और राज्य की प्रशासनिक दिशा तय होती है।
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