राज्य विधान परिषद (Vidhan Parishad)
भारत में कुछ राज्यों में विधानमंडल द्विसदनीय (Bicameral) होता है। इसमें एक सदन राज्य विधानसभा (Vidhan Sabha) कहलाता है और दूसरा राज्य विधान परिषद (Vidhan Parishad)। विधान परिषद को राज्य का उच्च सदन (Upper House) भी कहा जाता है।
राज्य विधान परिषद की विशेषताएँ
- संवैधानिक आधार – अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधानमंडल की संरचना और कार्यों का वर्णन किया गया है।
- उच्च सदन – यह राज्य का ऊपरी सदन है, जैसे संसद में राज्यसभा।
- स्थायी सदन – विधानसभा की तरह यह कभी भंग नहीं होती।
- आंशिक चुनाव – प्रत्येक दो वर्ष में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं और नए सदस्य चुने जाते हैं।
विधान परिषद की संरचना
- विधान परिषद के सदस्यों को विधान परिषद सदस्य (MLC) कहा जाता है।
- इसकी कुल सदस्य संख्या, संबंधित राज्य विधानसभा की संख्या का 1/3 से अधिक नहीं और 40 से कम नहीं हो सकती।
- सदस्यों का चुनाव और नामांकन इस प्रकार होता है –
विधान परिषद सदस्य का चयन | प्रतिशत |
---|---|
स्थानीय निकायों द्वारा चुने गए | 1/3 |
राज्य विधान सभा द्वारा चुने गए | 1/3 |
विश्वविद्यालयों/शैक्षणिक संस्थानों द्वारा चुने गए | 1/12 |
शिक्षकों द्वारा चुने गए | 1/12 |
राज्यपाल द्वारा नामित (साहित्य, कला, विज्ञान, समाजसेवा आदि से) | 1/6 |
विधान परिषद का कार्यकाल
- विधान परिषद स्थायी सदन है।
- इसके प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
- प्रत्येक दो वर्ष में 1/3 सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
विधान परिषद के अधिकारी
- अध्यक्ष (Chairman) – सदन की कार्यवाही का संचालन करता है।
- उपाध्यक्ष (Deputy Chairman) – अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यवाही का संचालन करता है।
विधान परिषद के कार्य और शक्तियाँ
1. विधायी कार्य
- विधान परिषद विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों की समीक्षा करती है।
- यह केवल विलंबकारी (Delaying Chamber) के रूप में कार्य कर सकती है।
- धन विधेयक (Money Bill) केवल विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है, परिषद केवल उस पर सुझाव दे सकती है।
2. वित्तीय कार्य
- विधान परिषद वित्तीय मामलों में निर्णायक नहीं है।
- बजट और धन विधेयक पर अंतिम निर्णय विधानसभा का ही होता है।
3. नियंत्रण संबंधी कार्य
- विधान परिषद राज्य सरकार को सीधे उत्तरदायी नहीं बना सकती।
- सरकार विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी रहती है।
4. सलाहकार कार्य
- यह विधायी प्रस्तावों की समीक्षा कर सुझाव देती है।
- विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधित्व के कारण परिषद में गहन चर्चा होती है।
विधान परिषद का महत्व
- यह राज्य की विधान प्रक्रिया को संतुलित और परिपक्व बनाती है।
- विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को शासन प्रणाली में योगदान का अवसर मिलता है।
- यह जनता के विभिन्न वर्गों के विचारों को राज्य की नीतियों में स्थान देती है।
विधान परिषद से संबंधित राज्यों की सूची
भारत में वर्तमान में केवल 6 राज्यों में विधान परिषद है –
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- महाराष्ट्र
- कर्नाटक
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
निष्कर्ष
राज्य विधान परिषद एक स्थायी और परामर्शदायी सदन है, जिसका उद्देश्य कानून बनाने की प्रक्रिया को संतुलित और विचारपूर्ण बनाना है। यद्यपि इसकी शक्तियाँ विधानसभा से कम हैं, फिर भी यह राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक व्यापक और प्रभावी बनाती है।
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