कचरा पुनर्चक्रण(Waste Recycle)

कचरा पुनर्चक्रण(Waste Recycle)

 परिचय( Introduction)

तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और उपभोग की आदतों के कारण आज कचरे की मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। यदि इसका सही प्रबंधन न किया जाए, तो यह पर्यावरण प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याएँ और संसाधनों की बर्बादी का कारण बनता है। इसीलिए कचरा संग्रहण (Collection), पुनर्चक्रण (Recycling) और निपटान (Disposal) की प्रक्रिया को वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से अपनाना अत्यंत आवश्यक है।


1. कचरा संग्रहण (Waste Collection)

1.1 प्राथमिक संग्रहण

  • घरों, दुकानों और कार्यालयों से कचरे को इकट्ठा करना।
  • गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डस्टबिन (हरा और नीला) का उपयोग।
  • अस्पतालों और उद्योगों के लिए विशेष डिब्बे और थैले।

1.2 द्वितीयक संग्रहण

  • नगर निगम या स्थानीय निकाय द्वारा कचरे को संग्रहण केंद्रों तक ले जाना।
  • कचरा गाड़ियों, कंटेनरों और ट्रॉलियों का उपयोग।

1.3 चुनौतियाँ

  • लोग कचरा पृथक्करण नहीं करते।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अवसंरचना की कमी।
  • अनियमित संग्रहण प्रणाली।


2. कचरा पुनर्चक्रण (Waste Recycling)

2.1 परिभाषा

पुनर्चक्रण का अर्थ है – कचरे को नई उपयोगी वस्तुओं या उत्पादों में बदलना।

2.2 पुनर्चक्रण योग्य कचरा

  • कागज – पुराने अखबार, किताबें, पैकेजिंग।
  • प्लास्टिक – बोतलें, पैकेट, कंटेनर।
  • धातु – लोहा, एल्युमिनियम, तांबा।
  • काँच – बोतलें और शीशे।
  • ई-कचरा – कंप्यूटर, मोबाइल, बैटरी।

2.3 पुनर्चक्रण की प्रक्रिया

  1. संग्रहण और पृथक्करण – पुनर्चक्रण योग्य और अपुनर्चक्रण योग्य कचरे को अलग करना।
  2. प्रसंस्करण (Processing) – कचरे को छोटे टुकड़ों में तोड़ना, पिघलाना या साफ करना।
  3. निर्माण (Manufacturing) – नए उत्पाद बनाना (जैसे प्लास्टिक से पाइप, कागज से कार्डबोर्ड)।
  4. बाजार में उपयोग (Re-use) – पुनः उपभोक्ताओं तक पहुँचाना।

2.4 पुनर्चक्रण के लाभ

  • प्राकृतिक संसाधनों की बचत।
  • ऊर्जा की खपत कम होना।
  • पर्यावरण प्रदूषण में कमी।
  • रोजगार के अवसर।


3. कचरा निपटान (Waste Disposal)

3.1 परिभाषा

कचरा निपटान का अर्थ है – बचा हुआ और अपुनर्चक्रण योग्य कचरे को सुरक्षित तरीके से समाप्त करना

3.2 निपटान के तरीके

(क) लैंडफिल

  • कचरे को जमीन में गहराई तक दबाना।
  • आधुनिक लैंडफिल में लाइनर सिस्टम और गैस कलेक्शन तकनीक का प्रयोग।

(ख) दहन (Incineration)

  • कचरे को उच्च तापमान पर जलाना।
  • इससे बिजली और ऊर्जा भी प्राप्त की जा सकती है।

(ग) कम्पोस्टिंग

  • गीले कचरे (जैविक अपशिष्ट) से खाद तैयार करना।
  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपयोगी।

(घ) बायोगैस उत्पादन

  • रसोई और कृषि कचरे से मीथेन गैस बनाना।
  • खाना पकाने और बिजली उत्पादन में प्रयोग।

(ङ) वैज्ञानिक निपटान

  • बायोमेडिकल और खतरनाक कचरे के लिए विशेष उपचार।
  • रासायनिक विधियों और सुरक्षित कंटेनरों का प्रयोग।


4. भारत में कचरा प्रबंधन से जुड़ी पहल

  • स्वच्छ भारत मिशन (2014) – घर-घर में डस्टबिन और कचरा पृथक्करण।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (2016, संशोधित 2022) – सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम (2016)
  • नगर निकायों द्वारा डोर-टू-डोर कलेक्शन सिस्टम
  • वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स – दिल्ली, हैदराबाद, पुणे आदि शहरों में।


5. निष्कर्ष

कचरा संग्रहण, पुनर्चक्रण और निपटान केवल सफाई की प्रक्रिया नहीं बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, संसाधन बचत और सतत विकास से जुड़ा हुआ मुद्दा है। यदि हर नागरिक कचरे को अलग-अलग करके निकाले और सरकार आधुनिक तकनीक व नीतियों को सही ढंग से लागू करे तो हम न केवल स्वच्छ भारत बल्कि स्वस्थ और सतत भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।



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