जल संसाधन

जल संसाधन(Water Resources)

महत्व, वितरण और प्रबंधन

जल संसाधन पृथ्वी पर जीवन और विकास की सबसे महत्वपूर्ण नींव हैं। मानव सभ्यता का इतिहास, कृषि, उद्योग और शहरीकरण—सभी जल पर ही आधारित हैं। विश्व भूगोल के दृष्टिकोण से जल संसाधनों का वितरण असमान है, जिसके कारण कई क्षेत्रों में जल संकट और जल संघर्ष जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इस लेख में हम जल संसाधनों के प्रकार, वैश्विक वितरण, महत्व और प्रबंधन की विस्तृत चर्चा करेंगे।


जल संसाधनों का महत्व

  • जल मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता है।
  • यह कृषि उत्पादन का आधार है।
  • उद्योग, बिजली उत्पादन और परिवहन के लिए अनिवार्य है।
  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में जल का विशेष योगदान है।


जल संसाधनों के प्रकार

1. सतही जल (Surface Water)

  • नदियाँ, झीलें, तालाब और हिमनद इसमें शामिल हैं।
  • कृषि और पीने के पानी के लिए मुख्य स्रोत।
  • गंगा, नील, अमेज़न और यांग्त्से जैसी नदियाँ मानव सभ्यता की जननी रही हैं।

2. भूमिगत जल (Groundwater)

  • पृथ्वी की सतह के नीचे जलभृत (Aquifers) में संग्रहित।
  • भारत और चीन जैसे देशों में सिंचाई का मुख्य आधार।
  • अत्यधिक दोहन से कई क्षेत्रों में भूजल स्तर घट रहा है।

3. खारे जल संसाधन (Salt Water Resources)

  • महासागर और समुद्र पृथ्वी के लगभग 97% जल का भंडार हैं।
  • सीधा उपयोग सीमित है, लेकिन लवणीयता हटाने (Desalination) की आधुनिक तकनीक से पीने योग्य बनाया जा रहा है।


विश्व में जल संसाधनों का वितरण

  • पृथ्वी पर कुल जल का लगभग 97% समुद्रों और महासागरों में है।
  • शुद्ध जल मात्र 2.7% है, जिसमें से भी अधिकांश हिमनदों और बर्फ की चादरों में बंद है।
  • मानव के लिए उपलब्ध जल केवल 1% से भी कम है।

असमान वितरण

  • दक्षिण अमेरिका और एशिया में जल संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं।
  • मध्य एशिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में जल की भारी कमी है।
  • यूरोप और उत्तरी अमेरिका में जल प्रबंधन बेहतर है, लेकिन औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण बड़ी चुनौती है।


भारत में जल संसाधन

भारत जल संपन्न देश है, परंतु इसका वितरण असमान है।

  • उत्तर भारत की नदियाँ हिमालय से निकलती हैं और सालभर जल प्रवाह बनाए रखती हैं।
  • दक्षिण भारत की नदियाँ मानसून पर निर्भर करती हैं।
  • भारत में प्रमुख नदियाँ: गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और कावेरी।

भारत की चुनौतियाँ

  • तेजी से बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण।
  • भूजल का अत्यधिक दोहन।
  • नदी प्रदूषण और औद्योगिक अपशिष्ट।
  • राज्यों के बीच जल विवाद (जैसे कावेरी विवाद, सतलज-यमुना लिंक नहर)।


जल संसाधन और कृषि

  • विश्व की लगभग 70% ताजे जल खपत कृषि में होती है।
  • सिंचाई पद्धतियाँ जैसे नहरें, ट्यूबवेल, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम का उपयोग बढ़ रहा है।
  • हरित क्रांति के बाद जल का उपयोग और बढ़ा, परंतु इससे भूजल संकट भी गहरा हुआ।


जल संसाधन और ऊर्जा उत्पादन

  • जलविद्युत परियोजनाएँ (Hydroelectric Projects) जल का बड़ा उपयोग करती हैं।
  • चीन की थ्री गॉर्जेस डैम और भारत की भाखड़ा-नांगल परियोजना इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  • जल से ऊर्जा उत्पादन स्वच्छ और नवीकरणीय है।


जल प्रदूषण: एक वैश्विक संकट

  • औद्योगिक अपशिष्ट, रासायनिक उर्वरक और प्लास्टिक प्रदूषण से जल की गुणवत्ता बिगड़ रही है।
  • गंगा, यमुना और नील जैसी नदियाँ अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं।
  • प्रदूषण से न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि जलीय जीवन और पारिस्थितिकी पर भी खतरा बढ़ा है।


जल संसाधन प्रबंधन

  • वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
  • पानी का पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग
  • कृत्रिम झीलों और तालाबों का निर्माण
  • भूजल पुनर्भरण तकनीक (Groundwater Recharge)
  • नदी जोड़ परियोजनाएँ (River Linking Projects)


जल और भविष्य की चुनौतियाँ

  • 21वीं सदी को जल संकट की सदी कहा जा रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2050 तक विश्व की 50% से अधिक आबादी जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में रह सकती है।
  • जल संघर्ष और Hydro Politics वैश्विक शांति के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।


निष्कर्ष

जल संसाधन मानव जीवन और विश्व भूगोल के लिए अनमोल धरोहर हैं। यदि हम इनके सतत और संतुलित उपयोग की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तो भविष्य में जल संकट और गहरा सकता है। वैश्विक सहयोग, वैज्ञानिक तकनीक और स्थानीय सहभागिता से ही जल संसाधनों का संरक्षण संभव है।



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