जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक समझौते

 जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक समझौते

(World Convention on Climate Change)

परिचय(Introduction)

जलवायु परिवर्तन आज विश्व की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौती है। इसके प्रभावों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई समझौते और पहल की गई हैं। इनका उद्देश्य है – ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा का प्रोत्साहन और सतत विकास सुनिश्चित करना।


प्रमुख वैश्विक समझौते

1. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC), 1992

  • रियो डी जेनेरो में आयोजित "Earth Summit" के दौरान अपनाया गया।
  • उद्देश्य: ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को स्थिर करना।
  • यह सभी आगे के समझौतों का आधार ढांचा है।


2. क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol), 1997

  • जापान के क्योटो शहर में स्वीकृत, 2005 से लागू।
  • विकसित देशों के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के बाध्यकारी लक्ष्य निर्धारित।
  • "कार्बन ट्रेडिंग" और "क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म (CDM)" की शुरुआत।


3. पेरिस समझौता (Paris Agreement), 2015

  • COP-21, पेरिस (फ्रांस) में ऐतिहासिक समझौता।
  • लक्ष्य: औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से कम रखना और प्रयास करना कि यह वृद्धि 1.5°C तक सीमित रहे।
  • प्रत्येक देश को अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत करना अनिवार्य।
  • विकसित देशों को विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष की वित्तीय सहायता देने का वादा।


4. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol), 1987

  • ओजोन परत को बचाने हेतु किया गया समझौता।
  • इसमें ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले पदार्थों (ODS) जैसे CFCs के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध।
  • जलवायु परिवर्तन से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा, क्योंकि ODS भी ग्रीनहाउस गैसें हैं।


5. ग्लासगो जलवायु समझौता (Glasgow Climate Pact), 2021

  • COP-26, स्कॉटलैंड में आयोजित।
  • 2030 तक उत्सर्जन में कटौती, "कोयले के उपयोग में कमी" और "मीथेन उत्सर्जन घटाने" पर जोर।
  • विकसित देशों से विकासशील देशों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता की पुनः पुष्टि।


6. COP-28 (दुबई, 2023)

  • पहली बार "फॉसिल फ्यूल" (जीवाश्म ईंधन) से धीरे-धीरे बाहर निकलने (Phase-down) पर चर्चा।
  • ग्रीन क्लाइमेट फंड और लॉस एंड डैमेज फंड को मजबूत करने पर सहमति।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 2030 तक तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य।


निष्कर्ष

जलवायु परिवर्तन पर हुए वैश्विक समझौते जैसे UNFCCC, क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ग्लासगो समझौता और COP-28 की पहलें यह दर्शाती हैं कि पूरी दुनिया इस संकट को गंभीरता से ले रही है। हालांकि, इन समझौतों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि देश अपने प्रतिबद्ध लक्ष्यों (Commitments) को कितनी निष्ठा और समय पर लागू करते हैं।


यहाँ जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक समझौते से संबंधित 10 महत्वपूर्ण FAQ दिए जा रहे हैं, जो परीक्षा और सामान्य अध्ययन के लिए बेहद उपयोगी होंगे:


FAQ

Q1. UNFCCC क्या है और कब अपनाया गया था?

➡️ UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) 1992 में रियो डी जेनेरो "Earth Summit" में अपनाया गया था।

Q2. क्योटो प्रोटोकॉल का मुख्य उद्देश्य क्या था?

➡️ विकसित देशों के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के बाध्यकारी लक्ष्य तय करना।

Q3. क्योटो प्रोटोकॉल कब लागू हुआ?

➡️ यह 1997 में अपनाया गया और 2005 से लागू हुआ।

Q4. पेरिस समझौते (2015) का मुख्य लक्ष्य क्या है?

➡️ वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से कम और 1.5°C तक सीमित रखने का प्रयास।

Q5. पेरिस समझौते के तहत देशों को क्या करना होता है?

➡️ प्रत्येक देश को अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत करना और उत्सर्जन घटाने की योजना लागू करनी होती है।

Q6. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल किस समस्या के समाधान हेतु लाया गया था?

➡️ ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले रसायनों (CFCs, ODS) के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए।

Q7. ग्लासगो जलवायु समझौते (2021) में क्या प्रमुख निर्णय लिए गए?

➡️ कोयले के उपयोग में कमी, 2030 तक उत्सर्जन में कटौती और मीथेन उत्सर्जन कम करने की प्रतिबद्धता।

Q8. COP-28 (2023, दुबई) का मुख्य फोकस क्या रहा?

➡️ जीवाश्म ईंधनों से बाहर निकलने (Phase-down), नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तीन गुना बढ़ाने और लॉस एंड डैमेज फंड को मजबूत करना।

Q9. ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) क्या है?

➡️ यह एक अंतरराष्ट्रीय फंड है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वित्तीय सहायता देना है।

Q10. क्यों कहा जाता है कि जलवायु समझौतों की सफलता देशों की निष्ठा पर निर्भर करती है?

➡️ क्योंकि लक्ष्यों को तय करना आसान है, लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन और समय पर कार्रवाई ही वास्तविक बदलाव ला सकती है।



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