अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष


भूमिका, उद्देश्य और भारत के लिए महत्व

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF) 

वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसकी स्थापना 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई थी। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना, वित्तीय स्थिरता बनाए रखना, वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहित करना, रोजगार बढ़ाना और गरीबी कम करने में सदस्य देशों की सहायता करना है। 190 से अधिक देशों की सदस्यता वाला यह संगठन विश्व की वित्तीय प्रणाली के सुचारू संचालन में निर्णायक भूमिका निभाता है।


IMF का मुख्य उद्देश्य

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहित करना और विनिमय दरों की स्थिरता सुनिश्चित करना है। यह देशों को संतुलित और सतत आर्थिक विकास की राह पर लाने में मदद करता है। IMF का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में बाधाओं को दूर करना और संकटग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं को आवश्यक वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना भी है।


IMF की प्रमुख जिम्मेदारियाँ

1. निगरानी (Surveillance)

IMF अपने सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करता है। यह देशों को चेतावनी देता है जब उनकी नीतियां वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। IMF द्वारा हर साल ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक’ जैसी रिपोर्ट प्रकाशित की जाती हैं, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का आकलन प्रस्तुत करती हैं।

2. वित्तीय सहायता (Financial Assistance)

जब कोई देश बैलेंस ऑफ पेमेंट्स संकट का सामना करता है, तो IMF उसे आवश्यक ऋण प्रदान करता है। यह सहायता उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने, मुद्रा पर दबाव कम करने और सुधार कार्यक्रम लागू करने में सहायक होती है। IMF की सहायता शर्तों से जुड़ी होती है, ताकि देश आवश्यक आर्थिक सुधार कर सके और भविष्य में संकट से बच सके।

3. तकनीकी सहयोग (Technical Assistance)

IMF सदस्य देशों को कर प्रणाली सुधार, बैंकिंग निगरानी, आर्थिक सांख्यिकी और आर्थिक प्रशासन में सुधार के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है। यह सहायता विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।


IMF के प्रमुख कार्यक्रम

1. स्टैंडबाय अरेंजमेंट (SBA)

यह सबसे प्रचलित ऋण कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत संकट में फंसे देशों को कम अवधि के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसका उद्देश्य भुगतान संतुलन के संकट को जल्दी दूर करना होता है।

2. विस्तारित फंड सुविधा (EFF)

यह उन देशों के लिए है जो गंभीर संरचनात्मक समस्याओं का सामना कर रहे हैं और लंबी अवधि के सुधारों की जरूरत होती है। इसमें ऋण की अवधि और पुनर्भुगतान की अवधि SBA की तुलना में अधिक होती है।

3. रैपिड फाइनेंसिंग इंस्ट्रूमेंट (RFI)

आपातकालीन स्थितियों में, जैसे प्राकृतिक आपदा या वैश्विक संकट (उदाहरण – कोविड-19), IMF द्वारा तुरंत वित्तीय सहायता RFI के माध्यम से दी जाती है, ताकि देश तत्कालीन आवश्यकताओं को पूरा कर सके।


भारत और IMF का संबंध

भारत 27 दिसंबर 1945 को IMF का संस्थापक सदस्य बना। आज भारत IMF में अपनी भूमिका के कारण वैश्विक आर्थिक मामलों में महत्वपूर्ण आवाज रखता है। IMF ने 1991 के भारी भुगतान संकट के समय भारत को लगभग 2.2 बिलियन डॉलर का ऋण दिया था, जिसने भारत को उदारीकरण की राह पर डालने में निर्णायक भूमिका निभाई। IMF के सहयोग से भारत ने आर्थिक सुधार लागू किए और विदेशी निवेश आकर्षित कर अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया।

भारत IMF के नीतिगत विमर्श में सक्रिय भूमिका निभाता है और जीडीपी के आकार के आधार पर वोटिंग पावर भी रखता है। भारत के लिए IMF का सहयोग आज भी आर्थिक नीतियों के आकलन और सुधार में मार्गदर्शन की तरह काम करता है।


IMF का वैश्विक महत्व

IMF वैश्विक वित्तीय संकटों के दौरान देशों के लिए सेफ्टी नेट का काम करता है। इसके बिना, कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में संकट वैश्विक मंदी में बदल सकता है। IMF द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता से केवल सदस्य देश ही नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय बाजार भी स्थिर रहते हैं। IMF विनिमय दरों के स्थिरीकरण, विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन और आर्थिक विषमताओं को कम करने के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित करता है।


IMF की चुनौतियाँ और आलोचना

IMF पर अक्सर यह आरोप लगता है कि वह सहायता देते समय कठोर शर्तें लगाता है, जिससे गरीब और विकासशील देशों की जनता पर बोझ पड़ता है। कई बार IMF की नीतियों को पश्चिमी देशों के हितों के अनुरूप भी माना गया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में IMF ने अपनी नीतियों में लचीलापन दिखाया है और देशों की सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सुधारात्मक कदम उठाए हैं।


IMF की संरचना

IMF का सर्वोच्च निकाय बोर्ड ऑफ गवर्नर्स होता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का एक गवर्नर और उसका एक विकल्प (Alternate) होता है। रोज़मर्रा के कामकाज के लिए एग्जीक्यूटिव बोर्ड जिम्मेदार होता है, जिसमें 24 निदेशक होते हैं। IMF का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी मैनेजिंग डायरेक्टर होता है, जो बोर्ड के निर्णयों के क्रियान्वयन और संगठन के संचालन का नेतृत्व करता है।


निष्कर्ष

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक अनिवार्य संस्था है, जो संकटग्रस्त देशों के लिए वित्तीय सहारा बनता है और सदस्य देशों को दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में मदद करता है। भारत के लिए IMF का सहयोग ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है और आगे भी यह भारत के आर्थिक विकास और नीतिगत सुधारों के मार्गदर्शन में सहायक रहेगा।


अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का गहन अध्ययन, उसकी कार्यप्रणाली, और भारत के विकास में उसके योगदान को समझना हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है, जो आर्थिक मामलों में गंभीर रुचि रखता है। 

बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) 


1. IMF की स्थापना कब हुई थी?

A) 1919
B) 1944
C) 1956
D) 1965

उत्तर: B) 1944


2. IMF का मुख्यालय कहाँ स्थित है?

A) पेरिस
B) न्यूयॉर्क
C) वाशिंगटन डी.सी.
D) जिनेवा

उत्तर: C) वाशिंगटन डी.सी.


3. IMF का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

A) सैन्य सहयोग
B) वित्तीय स्थिरता
C) शिक्षा का विकास
D) पर्यावरण संरक्षण

उत्तर: B) वित्तीय स्थिरता


4. IMF के वर्तमान सदस्य देशों की संख्या कितनी है? (2025 के अनुसार)

A) 150
B) 160
C) 180
D) 190

उत्तर: D) 190


5. IMF की सर्वोच्च संस्था कौन सी है?

A) एग्जीक्यूटिव बोर्ड
B) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स
C) जनरल असेम्बली
D) फाइनेंशियल कमिटी

उत्तर: B) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स


6. भारत IMF का सदस्य कब बना था?

A) 1945
B) 1950
C) 1962
D) 1971

उत्तर: A) 1945


7. IMF के प्रमुख ऋण कार्यक्रम का नाम क्या है, जो अल्पकालिक संकट के लिए दिया जाता है?

A) EFF
B) SBA
C) RFI
D) SDR

उत्तर: B) SBA


8. IMF के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी को क्या कहा जाता है?

A) प्रेसिडेंट
B) चेयरमैन
C) मैनेजिंग डायरेक्टर
D) सेक्रेटरी जनरल

उत्तर: C) मैनेजिंग डायरेक्टर


9. IMF किस रिपोर्ट के माध्यम से वैश्विक आर्थिक पूर्वानुमान जारी करता है?

A) वर्ल्ड फाइनेंस रिपोर्ट
B) ग्लोबल इकोनॉमिक इंडेक्स
C) वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
D) इंटरनेशनल ट्रेड रिपोर्ट

उत्तर: C) वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक


10. IMF द्वारा सदस्य देशों को ऋण किस मुद्रा में दिया जाता है?

A) अमेरिकी डॉलर
B) यूरो
C) स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR)
D) जापानी येन

उत्तर: C) स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR)



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