ई हंसा

ई हंसा(E-Hansa)

ई हंसा


भारत की हरित उड्डयन क्रांति 


लेख का खाका (Outline in Table Format)

क्रमांक शीर्षक (Headings/Subheadings)
1 परिचय: E-Hansa क्या है?
2 परियोजना का ऐतिहासिक संदर्भ
3 ई-हंसा का महत्व
4 विकासकर्ता (CSIR-NAL)
5 लागत और किफायती विकल्प
6 तकनीकी विशेषताएँ
7 हरित उड्डयन में योगदान
8 जनता एवं नीति निर्माण की भूमिका
9 वैश्विक प्रभाव और आत्मनिर्भर भारत
10 भविष्य की दिशा
11 निष्कर्ष
12 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    परिचय: E-Hansa क्या है?

    E-Hansa एक दो-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान है जिसे भारत की हरित विमानन पहल के तहत विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य पायलट प्रशिक्षण को स्वदेशी, किफायती और पर्यावरण हितैषी बनाना है।
    घोषणा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने की थी।


    परियोजना का ऐतिहासिक संदर्भ

    E-Hansa परियोजना HANSA-3 (Next Generation) ट्रेनर विमान कार्यक्रम के अंतर्गत आती है और इसका विकास CSIR-NAL, Bengaluru द्वारा किया जा रहा है। 

    ई-हंसा का महत्व

    यह विमान विदेशी ट्रेनर विमानों के मुकाबले लगभग ₹2 करोड़ की अनुमानित लागत पर, करीब आधी कीमत में उपलब्ध होगा, जिससे पायलट प्रशिक्षण ज्यादा किफायती हो जाएगा। 

    विकासकर्ता (CSIR-NAL)

    इस पहल की केंद्रीय भूमिका CSIR-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज़ (NAL), बेंगलुरु निभा रहा है, जो भारत में विमान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान है। 


    लागत और किफायती विकल्प

    E-Hansa प्रशिक्षण विमानों की लागत को लगभग 50 % तक कम कर देगा, जिससे एयर ट्रेनिंग संस्थानों को भारी बचत होगी और पायलटों के लिए सुलभ विकल्प बनेगा।


    तकनीकी विशेषताएँ

    • यह एक बैटरी संचालित, शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला विमान होगा।
    • इसकी उड़ान अवधि 2 घंटे, अधिकतम गति 200-250 किमी/घंटा, और बैटरी 1-2 घंटे में चार्ज होने जैसी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। 


    हरित उड्डयन में योगदान

    E-Hansa भारत के ग्रीन एविएशन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ऊंचे कार्बन उत्सर्जन वाले विमानन को पर्यावरण अनुकूल विकल्पों से प्रतिस्थापित करेगा। 


    जनता एवं नीति निर्माण की भूमिका

    इस परियोजना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने की बात रखी गई है। NRDC को DBT-BIRAC और IN-SPACe मॉडल अपनाने निर्देशित किए गए हैं। 


    वैश्विक प्रभाव और आत्मनिर्भर भारत

    E-Hansa परियोजना आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के सपने को साकार होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, साथ ही वैश्विक ग्लोबल ग्रीन एविएशन ट्रेंड से भारत को जोड़ता है।


    भविष्य की दिशा

    भविष्य में इस विमान को अधिक उन्नत टेक्नोलॉजी, विस्तारित प्रशिक्षण माडल और कमर्शियल उत्पादन में लाने की संभावनाएँ तलाशने पर विचार किया जा सकता है।


    निष्कर्ष

    E-Hansa भारत की आत्मनिर्भर और हरित विमानन दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह न केवल पायलट प्रशिक्षण को सुलभ और पर्यावरण अनुकूल बनाएगा बल्कि भारत की तकनीकी क्षमताओं को भी नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।


    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. E-Hansa क्या है?

    यह एक दो-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान है जिसे भारत में विकसित किया जा रहा है।

    2. यह परियोजना किसने लॉन्च की?

    इसका विकास CSIR-NAL, Bengaluru द्वारा किया जा रहा है और इसकी घोषणा डॉ. जितेन्द्र सिंह ने की। 

    3. इसकी अनुमानित लागत कितनी होगी?

    लगभग ₹2 करोड़, जो विदेशी विकल्पों की तुलना में लगभग आधी है। 

    4. E-Hansa का पर्यावरणीय लाभ क्या है?

    यह शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला विमान है, जो भारत के ग्रीन एविएशन लक्ष्यों के अनुरूप है।

    5. इसे किस कार्यक्रम का हिस्सा माना जाता है?

    यह HANSA-3 (Next Generation) ट्रेनर विमान कार्यक्रम का हिस्सा है। 


    बाहरी स्रोत

    1. PIB
    2. Chronicle India – इलेक्ट्रिक हंसा के विकास की जानकारी (Chronicle India)
    3. Adda247 (English) – E-Hansa और ग्रीन एविएशन पहल (adda247)
    4. Wikipedia

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