राज्य के नीति निर्देशक तत्व

राज्य के नीति निर्देशक तत्व 

(Directive Principles of State Policy)

राज्य के नीति निर्देशक तत्व


भारतीय संविधान के मूल्यों की नींव 


लेख का खाका (Table of Content)

क्रमांक शीर्षक (Headings/Subheadings)
1 परिचय: नीति निर्देशक तत्व क्या हैं?
2 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
3 संविधान में स्थान
4 नीति निर्देशक तत्वों की विशेषताएँ
5 नीति निर्देशक तत्वों के उद्देश्य
6 नीति निर्देशक तत्वों के प्रकार
7 सामाजिकवादी तत्व
8 गांधीवादी तत्व
9 उदार-लोकतांत्रिक तत्व
10 प्रमुख अनुच्छेद
11 नीति निर्देशक तत्व और मौलिक अधिकार
12 न्यायपालिका का दृष्टिकोण
13 आलोचनाएँ
14 संशोधन और सुधार
15 वर्तमान परिप्रेक्ष्य
16 निष्कर्ष
17 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    परिचय: नीति निर्देशक तत्व क्या हैं?

    भारतीय संविधान का भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) नीति निर्देशक तत्वों (Directive Principles of State Policy – DPSP) से संबंधित है। ये तत्व सरकार को जनकल्याणकारी नीतियाँ बनाने में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

    नीति निर्देशक तत्व अनुच्छेदवार 

    अनुच्छेद 36

    • नीति निर्देशक तत्वों में प्रयुक्त शब्दों की परिभाषा।

    अनुच्छेद 37

    • DPSP को लागू न किए जा सकने योग्य (Non-Justiciable) बताया गया, लेकिन राज्य के लिए ये मौलिक मार्गदर्शन हैं।

    अनुच्छेद 38

    • राज्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय पर आधारित समाज की स्थापना करेगा।
    • असमानताओं को कम करने के लिए कार्य करेगा।

    अनुच्छेद 39

    राज्य निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करेगा:

    • नागरिकों को पर्याप्त जीवनयापन के साधन मिलें।
    • धन और उत्पादन के साधन कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित न हों।
    • पुरुष और महिला को समान वेतन मिले।
    • श्रमिकों के स्वास्थ्य और बच्चों के विकास की रक्षा हो।

    अनुच्छेद 39A

    • गरीबों और कमजोर वर्गों को मुफ्त विधिक सहायता (Free Legal Aid)
    • सभी के लिए न्याय सुलभ बनाना।

    अनुच्छेद 40

    • ग्राम पंचायतों की स्थापना और सशक्तिकरण।

    अनुच्छेद 41

    • बेरोजगारी, बुढ़ापा, बीमारी आदि की स्थिति में सार्वजनिक सहायता

    अनुच्छेद 42

    • उचित और मानवीय कार्य दशाएँ।
    • प्रसूति अवकाश (Maternity Leave)।

    अनुच्छेद 43

    • मजदूरों को उचित वेतन और सम्मानजनक जीवन स्तर।
    • सहकारी उद्योगों का प्रोत्साहन।

    अनुच्छेद 43A (42वाँ संशोधन, 1976)

    • श्रमिकों की उद्योग प्रबंधन में भागीदारी

    अनुच्छेद 44

    • पूरे भारत में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)

    अनुच्छेद 45 (86वाँ संशोधन, 2002 के बाद)

    • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा।

    अनुच्छेद 46

    • अनुसूचित जाति, जनजाति और कमजोर वर्गों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों का संवर्धन।

    अनुच्छेद 47

    • पोषण स्तर और जन स्वास्थ्य में सुधार।
    • नशाबंदी (Drugs & Alcohol Ban)।

    अनुच्छेद 48

    • कृषि और पशुपालन का आधुनिकीकरण।
    • गौ-संवर्धन और संरक्षण

    अनुच्छेद 48A (42वाँ संशोधन, 1976)

    • पर्यावरण, वन और वन्यजीवों का संरक्षण।

    अनुच्छेद 49

    • राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और धरोहरों की सुरक्षा।

    अनुच्छेद 50

    • न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करना।

    अनुच्छेद 51

    • अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का संवर्धन।
    • न्यायपूर्ण और सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंध।
    • अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान।
    • अंतरराष्ट्रीय कानून और संधियों का सम्मान।


    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    • इन तत्वों का विचार आयरलैंड के संविधान से लिया गया।
    • संविधान सभा ने इन्हें भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक समझा।
    • डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इन्हें "भारतीय संविधान की आत्मा" कहा।


    संविधान में स्थान

    • नीति निर्देशक तत्व संविधान के भाग IV में शामिल हैं।
    • इन्हें न्यायालय में लागू नहीं कराया जा सकता (non-justiciable)
    • ये सरकार के लिए नीति निर्धारण के दिशा-निर्देश हैं।


    नीति निर्देशक तत्वों की विशेषताएँ

    1. गैर-न्यायिक (Non-Justiciable)
    2. नैतिक बाध्यता (Moral Obligation)
    3. लोकतांत्रिक समाज की आधारशिला
    4. समानता और न्याय पर आधारित


    नीति निर्देशक तत्वों के उद्देश्य

    • आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना
    • समानता और न्याय आधारित समाज
    • राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा
    • कल्याणकारी राज्य की स्थापना


    नीति निर्देशक तत्वों के प्रकार

    संविधान विशेषज्ञों ने नीति निर्देशक तत्वों को तीन श्रेणियों में बाँटा है:

    1. सामाजिकवादी तत्व
    2. गांधीवादी तत्व
    3. उदार-लोकतांत्रिक तत्व


    सामाजिकवादी तत्व

    • समान न्याय और मुफ्त विधिक सहायता (अनुच्छेद 39A)
    • जीवनयापन का उचित साधन (अनुच्छेद 39)
    • शिक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार
    • समान वेतन और श्रमिक अधिकार


    गांधीवादी तत्व

    • पंचायतों की स्थापना (अनुच्छेद 40)
    • ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा
    • मवेशियों और कृषि का संरक्षण
    • नशाबंदी (अनुच्छेद 47)


    उदार-लोकतांत्रिक तत्व

    • अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा (अनुच्छेद 51)
    • समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44)
    • अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों की सुरक्षा
    • न्यायपूर्ण प्रशासन


    प्रमुख अनुच्छेद

    • अनुच्छेद 36–51 नीति निर्देशक तत्वों से संबंधित हैं।
    • अनुच्छेद 44: समान नागरिक संहिता
    • अनुच्छेद 47: नशामुक्ति और स्वास्थ्य सुधार
    • अनुच्छेद 48A: पर्यावरण संरक्षण


    नीति निर्देशक तत्व और मौलिक अधिकार

    • मौलिक अधिकार न्यायालय में लागू कराए जा सकते हैं, जबकि नीति निर्देशक तत्व नहीं।
    • परंतु दोनों का उद्देश्य समानता और न्याय स्थापित करना है।
    • सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं


    न्यायपालिका का दृष्टिकोण

    केस: केशवानंद भारती बनाम राज्य केरल (1973)

    DPSP और Fundamental Rights दोनों संविधान की मूल संरचना हैं।

    केस: मिनर्वा मिल्स (1980)

    DPSP और मौलिक अधिकार में संतुलन आवश्यक है।


    आलोचनाएँ

    • गैर-न्यायिक होने के कारण इनका कोई कानूनी बल नहीं।
    • सरकारें इनका पालन करने में लापरवाही कर सकती हैं।
    • कई बार मौलिक अधिकार और DPSP में टकराव होता है।


    संशोधन और सुधार

    • 42वाँ संशोधन (1976): समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गए।
    • पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और न्याय जैसे कई नए DPSP शामिल किए गए।


    वर्तमान परिप्रेक्ष्य

    आज DPSP भारत की नीतियों, पंचवर्षीय योजनाओं, कल्याणकारी योजनाओं और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का आधार हैं।
    स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण जैसी नीतियाँ DPSP से ही प्रेरित हैं।


    निष्कर्ष

    नीति निर्देशक तत्व भारतीय संविधान की आत्मा हैं। ये राज्य को दिशा देते हैं और जनता के कल्याण के लिए आवश्यक नीतियाँ बनाने में मदद करते हैं। हालांकि ये न्यायालय में लागू नहीं होते, लेकिन इनका नैतिक महत्व बहुत बड़ा है।


    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. नीति निर्देशक तत्व कहाँ से लिए गए हैं?

    इनका विचार आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।

    2. नीति निर्देशक तत्व संविधान के किस भाग में हैं?

    भाग IV (अनुच्छेद 36–51)।

    3. क्या नीति निर्देशक तत्व न्यायालय में लागू कराए जा सकते हैं?

    नहीं, ये गैर-न्यायिक हैं।

    4. नीति निर्देशक तत्व का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    जनकल्याणकारी राज्य की स्थापना और सामाजिक-आर्थिक न्याय।

    5. गांधीवादी तत्वों के अंतर्गत क्या आता है?

    पंचायत, ग्रामीण उद्योग, नशाबंदी और कृषि सुधार।

    6. मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व में क्या अंतर है?

    मौलिक अधिकार न्यायालय में लागू कराए जा सकते हैं, पर नीति निर्देशक तत्व केवल मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।


    📖 अधिक जानकारी के लिए देखें: भारतीय संविधान, भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट


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