रामसर कन्वेंशन

रामसर कन्वेंशन

रामसर कन्वेंशन

वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की महान पहल और 10 महत्वपूर्ण तथ्य


लेख का खाका (Outline in Table Format)

क्रमांक शीर्षक (Headings/Subheadings)
1 परिचय: रामसर कन्वेंशन क्या है?
2 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
3 रामसर कन्वेंशन के उद्देश्य
4 विश्व आर्द्रभूमि दिवस
5 भारत और रामसर कन्वेंशन
6 भारत की पहली रामसर साइट्स
7 भारत की प्रमुख रामसर साइट्स
8 आर्द्रभूमियों का महत्व
9 रामसर कन्वेंशन की चुनौतियाँ
10 आधुनिक भारत में रामसर कन्वेंशन का प्रभाव
11 निष्कर्ष: वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की धरोहर
12 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    परिचय: रामसर कन्वेंशन क्या है?

    रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमियों (Wetlands) की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए बनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका पूरा नाम है –
    “Convention on Wetlands of International Importance especially as Waterfowl Habitat.”

    👉 यह 2 फरवरी 1971 को ईरान के शहर रामसर में हस्ताक्षरित हुई थी और 1975 में प्रभावी हुई।


    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

    20वीं शताब्दी के मध्य में पक्षियों और आर्द्रभूमियों का तेजी से हो रहा क्षरण एक वैश्विक चिंता बन गया। इस पृष्ठभूमि में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से यह संधि बनी।

    • इसका मुख्य केंद्र बिंदु जलपक्षियों और आर्द्रभूमियों का संरक्षण था।
    • यह विश्व की सबसे पुरानी पर्यावरणीय संधि मानी जाती है।


    रामसर कन्वेंशन के उद्देश्य

    रामसर कन्वेंशन के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

    1. आर्द्रभूमियों का संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग
    2. अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाली आर्द्रभूमियों की सूची तैयार करना।
    3. सदस्य देशों के बीच सहयोग और तकनीकी ज्ञान साझा करना।


    विश्व आर्द्रभूमि दिवस

    • हर साल 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
    • इसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों के महत्व और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।


    भारत और रामसर कन्वेंशन

    • भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए।
    • आज भारत में कुल 75 रामसर साइट्स हैं।
    • ये साइट्स लगभग 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हैं।


    भारत की पहली रामसर साइट्स

    भारत की पहली रामसर साइट्स (1981-82) थीं:

    1. चिल्का झील (ओडिशा)
    2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)


    भारत की प्रमुख रामसर साइट्स

    • लोकटक झील (मणिपुर) – प्रसिद्ध फूमदी (तैरते द्वीप)।
    • वुलर झील (जम्मू-कश्मीर) – एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील।
    • सुंदरबन आर्द्रभूमि (पश्चिम बंगाल) – विश्व की सबसे बड़ी मैंग्रोव वनस्पति।
    • अष्टमुड़ी झील (केरल) – बैकवाटर के लिए प्रसिद्ध।
    • हैदरपुर आर्द्रभूमि (उत्तर प्रदेश) – गंगा नदी पर स्थित, पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण।


    आर्द्रभूमियों का महत्व

    आर्द्रभूमियाँ मानव और प्रकृति दोनों के लिए आवश्यक हैं।

    • जलवायु संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
    • भूजल स्तर को नियंत्रित करती हैं।
    • जैव विविधता और पक्षियों का आवास हैं।
    • बाढ़ और सूखे से बचाव करती हैं।
    • मत्स्य पालन और आजीविका का साधन हैं।


    रामसर कन्वेंशन की चुनौतियाँ

    • शहरीकरण और औद्योगिकीकरण से आर्द्रभूमियों पर खतरा।
    • प्रदूषण और अतिक्रमण की समस्या।
    • स्थानीय स्तर पर जागरूकता की कमी।
    • जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक क्षरण।


    आधुनिक भारत में रामसर कन्वेंशन का प्रभाव

    भारत ने इस संधि से जुड़े कदम उठाकर आर्द्रभूमियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

    • 75 साइट्स को अंतर्राष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिला।
    • केंद्र और राज्य स्तर पर कई संरक्षण परियोजनाएँ शुरू हुईं।
    • जैव विविधता संरक्षण और पर्यटन में वृद्धि हुई।


    निष्कर्ष: 

    रामसर कन्वेंशन केवल एक संधि नहीं बल्कि एक वैश्विक पर्यावरणीय आंदोलन है। भारत ने इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाकर अपनी आर्द्रभूमियों को सुरक्षित करने और जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

    👉 आने वाले समय में इसका महत्व और भी बढ़ेगा क्योंकि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण से आर्द्रभूमियों को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है।


    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. रामसर कन्वेंशन कब और कहाँ हुई थी?

    2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में।

    2. भारत ने रामसर कन्वेंशन में कब शामिल हुआ?

    भारत 1982 में इस संधि में शामिल हुआ।

    3. भारत की पहली रामसर साइट्स कौन-सी थीं?

    चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)।

    4. भारत में कुल कितनी रामसर साइट्स हैं?

    2025 तक भारत में 75 रामसर साइट्स हैं।

    5. रामसर साइट्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?

    वे जैव विविधता, जलवायु संतुलन और जल संसाधनों के संरक्षण के लिए आवश्यक हैं।

    6. विश्व आर्द्रभूमि दिवस कब मनाया जाता है?

    हर साल 2 फरवरी को।


    बाहरी स्रोत

    Convention on Wetlands (Ramsar) Official Website





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