संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय(UNFCCC)
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक संधि
परिचय: UNFCCC क्या है?
UNFCCC केवल कागज़ी समझौता नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ सरकारें, वैज्ञानिक, उद्योगपति और नागरिक संगठन मिलकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए टिकाऊ समाधान खोजते हैं।
जलवायु परिवर्तन और इसकी वैश्विक चुनौती
पिछले कुछ दशकों में धरती का औसत तापमान तेजी से बढ़ा है। ग्रीनहाउस गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के अत्यधिक उत्सर्जन से मौसम के पैटर्न बिगड़े हैं।
- बर्फ की चादरें पिघल रही हैं।
- समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
- अत्यधिक गर्मी, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएँ सामान्य हो गई हैं।
इन्हीं कारणों से UNFCCC की आवश्यकता पड़ी ताकि सभी देश मिलकर जिम्मेदारी निभाएँ और एक साझा रणनीति बना सकें।
UNFCCC का इतिहास और स्थापना
संयुक्त राष्ट्र और पर्यावरण सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कर रहा है। 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन से लेकर 1992 की पृथ्वी शिखर बैठक तक, पर्यावरण सुरक्षा को वैश्विक प्राथमिकता बनाया गया।
सदस्य देशों की भागीदारी
आज लगभग 198 देश UNFCCC के सदस्य हैं। यह लगभग सार्वभौमिक संधि बन चुकी है, जिससे स्पष्ट होता है कि जलवायु परिवर्तन से निपटना अब सबकी जिम्मेदारी है।
UNFCCC के मुख्य उद्देश्य
UNFCCC का मुख्य लक्ष्य है:
- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को स्थिर करना।
- सतत विकास को बढ़ावा देना।
- जलवायु परिवर्तन के खतरों को वैज्ञानिक तरीके से समझना और उनसे निपटना।
सतत विकास लक्ष्यों से संबंध
UNFCCC का सीधा संबंध संयुक्त राष्ट्र के Sustainable Development Goals (SDGs) से है, खासकर लक्ष्य 13 (जलवायु कार्रवाई)।
महत्वपूर्ण समझौते और प्रोटोकॉल
क्योटो प्रोटोकॉल (1997)
इस प्रोटोकॉल ने विकसित देशों पर ग्रीनहाउस गैसों को घटाने की कानूनी जिम्मेदारी डाली।
पेरिस समझौता (2015)
यह अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी समझौता है। इसका लक्ष्य है वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करना।
भारत की भूमिका UNFCCC में
भारत UNFCCC का सक्रिय सदस्य है और कई बार वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
राष्ट्रीय कार्ययोजना जलवायु परिवर्तन पर
भारत ने 2008 में National Action Plan on Climate Change (NAPCC) शुरू किया, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और टिकाऊ कृषि शामिल हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा पहलें
भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई और 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
विकसित बनाम विकासशील देशों की जिम्मेदारी
UNFCCC में "समान लेकिन भिन्न जिम्मेदारी" (Common but Differentiated Responsibility) का सिद्धांत अपनाया गया।
- विकसित देशों को अधिक जिम्मेदारी दी गई क्योंकि उन्होंने ऐतिहासिक रूप से अधिक उत्सर्जन किया।
- विकासशील देशों को भी योगदान देना है लेकिन उनकी क्षमता और आर्थिक हालात को ध्यान में रखा जाता है।
जलवायु वित्त और ग्रीन क्लाइमेट फंड
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
हालाँकि UNFCCC ने वैश्विक सहयोग को बढ़ाया है, लेकिन इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- कई देश वादों को पूरा नहीं कर पाते।
- वित्तीय सहयोग समय पर नहीं मिलता।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी।
सफलता की कहानियाँ और उपलब्धियाँ
- नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से निवेश।
- कई देशों ने कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य तय किया है।
- जागरूकता बढ़ी है और नागरिक स्तर पर हरित पहलें हो रही हैं।
भविष्य की दिशा और संभावनाएँ
भारत और वैश्विक नागरिकों की भूमिका
- पेड़ लगाना और जल संरक्षण।
- ऊर्जा बचाना।
- टिकाऊ जीवनशैली अपनाना।
हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण है क्योंकि छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव लाते हैं।
निष्कर्ष: आशावादी दृष्टिकोण
👉 अधिक जानकारी के लिए UNFCCC.org देखा जा सकता है।

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