क्रिप्स मिशन 1942 (Cripps Mission)
आज़ादी से पहले का अधूरा वादा – 15 ठोस तथ्यों में पूरी कहानी
✅ Outline: क्रिप्स मिशन (1942) – ब्रिटिश रणनीति या भारत की आज़ादी का एक और अधूरा अध्याय?
क्रमांक | शीर्षक |
---|---|
1 | क्रिप्स मिशन क्या था? एक संक्षिप्त परिचय |
2 | मिशन भेजने की पृष्ठभूमि: ब्रिटेन की मज़बूरी या भारत का दबाव? |
3 | सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स: ब्रिटिश राज का खास प्रतिनिधि |
4 | मिशन के मुख्य उद्देश्य |
5 | प्रस्ताव की प्रमुख बातें |
6 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिक्रिया |
7 | मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया |
8 | गांधी जी का दृष्टिकोण और आलोचना |
9 | प्रेस, जनता और अन्य राजनीतिक संगठनों की राय |
10 | मिशन की विफलता के प्रमुख कारण |
11 | क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन का संबंध |
12 | क्रिप्स मिशन बनाम अगस्त प्रस्ताव: एक तुलना |
13 | अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और ब्रिटिश संसद की भूमिका |
14 | मिशन की ऐतिहासिक भूमिका और शिक्षाएँ |
15 | निष्कर्ष: क्या यह मौका था या सिर्फ दिखावा? |
1. क्रिप्स मिशन क्या था? एक संक्षिप्त परिचय
क्रिप्स मिशन 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल था, जिसका उद्देश्य था — द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सहयोग प्राप्त करना और इसके बदले भारत को युद्ध के बाद स्वतंत्रता का आश्वासन देना।
इस मिशन के प्रमुख थे सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स (Sir Stafford Cripps), जो ब्रिटेन की युद्धकालीन सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य और श्रमिक पार्टी से संबंधित थे।
2. मिशन भेजने की पृष्ठभूमि: ब्रिटेन की मज़बूरी या भारत का दबाव?
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन को भारत से सहयोग की ज़रूरत थी।
- अमेरिका और चीन जैसे मित्र राष्ट्रों ने ब्रिटेन पर दबाव डाला कि वह भारत को राजनीतिक रियायतें दे।
- भारत में कांग्रेस लगातार स्वतंत्रता की मांग कर रही थी और ब्रिटेन को डर था कि बिना रियायतों के भारत में विद्रोह हो सकता है।
- इसलिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने मार्च 1942 में स्टैफ़र्ड क्रिप्स को भारत भेजा।
3. सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स: ब्रिटिश राज का खास प्रतिनिधि
- सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स उस समय ब्रिटेन की युद्ध कैबिनेट के सदस्य थे।
- उन्हें गांधी जी और नेहरू का "समर्थक और ईमानदार" व्यक्ति माना जाता था।
- उनके पास यह जिम्मेदारी थी कि वे भारत को ब्रिटिश पक्ष में बनाए रखें, विशेष रूप से जापानी आक्रमण की आशंका के समय।
4. मिशन के मुख्य उद्देश्य
- भारत में एक नई संवैधानिक योजना प्रस्तुत करना।
- भारतीय नेताओं को युद्ध में ब्रिटेन का साथ देने के लिए मनाना।
- यह दिखाना कि ब्रिटिश सरकार भारतीय स्वराज्य के लिए गंभीर है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन बना रहे।
5. प्रस्ताव की प्रमुख बातें
बिंदु | विवरण |
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1 | युद्ध समाप्त होने के बाद भारत को पूर्ण प्रभुत्व वाला डोमिनियन स्टेटस मिलेगा |
2 | भारत में संविधान सभा गठित की जाएगी, जिसमें भारतीय ही शामिल होंगे |
3 | किसी प्रांत को इस संघ से अलग होने और अपनी सरकार बनाने का अधिकार होगा |
4 | अल्पसंख्यकों को विशेष सुरक्षा दी जाएगी |
5 | जब तक नया संविधान लागू नहीं होता, तब तक ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास अधिकार रहेंगे |
6. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिक्रिया
- कांग्रेस ने क्रिप्स मिशन को अस्वीकार कर दिया।
- उनकी मांग थी कि स्वतंत्रता युद्ध के बाद नहीं, युद्ध के पहले दी जाए।
- गांधी जी ने इसे कहा: "A post-dated cheque on a failing bank" (डूबते बैंक का भविष्य तारीख वाला चेक)।
- कांग्रेस को यह भी आपत्ति थी कि ब्रिटिश गवर्नर जनरल के पास अब भी विशेषाधिकार रहेंगे।
7. मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया
- मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव का आंशिक समर्थन किया।
- जिन्ना ने इस बात का स्वागत किया कि प्रांतों को अलग होने का अधिकार मिलेगा।
- इससे पाकिस्तान की मांग को बल मिला।
- लेकिन लीग ने यह भी कहा कि मुस्लिम हितों की स्पष्ट रूपरेखा नहीं दी गई।
8. गांधी जी का दृष्टिकोण और आलोचना
- गांधी जी ने क्रिप्स मिशन को "धोखा और भ्रम" बताया।
- उन्होंने साफ कहा कि भारतीयों के बलिदान की अनदेखी की जा रही है।
- उन्हें यह भी आपत्ति थी कि असहमति की स्थिति में ब्रिटिश संसद को अंतिम निर्णयकर्ता बनाया गया।
9. प्रेस, जनता और अन्य राजनीतिक संगठनों की राय
- भारतीय प्रेस ने क्रिप्स प्रस्ताव को “अधूरा और अस्पष्ट” बताया।
- कई संगठनों ने कहा कि यह सिर्फ ब्रिटेन की टाइम पास रणनीति है।
- हालांकि कुछ उदार नेताओं ने इसे “प्रगति की दिशा में पहला कदम” भी कहा।
10. मिशन की विफलता के प्रमुख कारण
- कांग्रेस और लीग के बीच विश्वास की कमी।
- गांधी जी और नेहरू का प्रस्तावों से असंतोष।
- ब्रिटिश सरकार की गैर-लचीलापन नीति।
- क्रिप्स का स्पष्ट कर देना कि प्रस्तावों में कोई संशोधन नहीं हो सकता।
11. क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन का संबंध
- क्रिप्स मिशन की असफलता ने कांग्रेस को यह विश्वास दिला दिया कि ब्रिटिश सरकार गंभीर नहीं है।
- इसी निराशा और असंतोष से प्रेरित होकर गांधी जी ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की।
- कहा गया — “अब बहुत हो चुका। करो या मरो!”
12. क्रिप्स मिशन बनाम अगस्त प्रस्ताव: एक तुलना
पहलू | अगस्त प्रस्ताव (1940) | क्रिप्स मिशन (1942) |
---|---|---|
समय | युद्ध की शुरुआत में | युद्ध के मध्य में |
स्वरूप | अस्पष्ट और रूढ़ | स्पष्ट लेकिन अस्वीकार्य |
समर्थन | सभी ने नकारा | लीग ने आंशिक समर्थन दिया |
परिणाम | असंतोष | भारत छोड़ो आंदोलन की नींव |
13. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और ब्रिटिश संसद की भूमिका
- अमेरिका और चीन ने ब्रिटेन की नीति की आलोचना की।
- ब्रिटिश संसद में भी कुछ सांसदों ने सवाल उठाया कि भारत के साथ "औपनिवेशिक व्यवहार" क्यों किया जा रहा है।
- लेकिन चर्चिल सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया।
14. मिशन की ऐतिहासिक भूमिका और शिक्षाएँ
- इस मिशन ने साफ कर दिया कि भारतीय स्वतंत्रता के लिए समझौते की सीमा तय हो चुकी थी।
- इससे ब्रिटिश साम्राज्य की गिरती साख सामने आई।
- यह भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को आखिरी चरण में पहुँचाने वाला अहम मोड़ था।
15. निष्कर्ष: क्या यह मौका था या सिर्फ दिखावा?
क्रिप्स मिशन ब्रिटिश राज की एक ऐसी कोशिश थी, जो दिखने में एक प्रस्ताव था, लेकिन असल में भारतीयों को एक बार फिर टालने की नीति थी। इस मिशन की विफलता ने भारत को सीधी टक्कर की राह पर डाल दिया — और नतीजा निकला भारत छोड़ो आंदोलन, जिसने आज़ादी की अंतिम गूंज को जन्म दिया।
🔍 FAQs – क्रिप्स मिशन (1942) से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. क्रिप्स मिशन कब आया था?
➡ मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया था।
2. इसके प्रमुख कौन थे?
➡ सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स, ब्रिटेन की युद्ध कैबिनेट के सदस्य।
3. इसका उद्देश्य क्या था?
➡ भारतीयों से युद्ध में सहयोग प्राप्त करना और स्वतंत्रता का आश्वासन देना।
4. गांधी जी की प्रतिक्रिया क्या थी?
➡ उन्होंने इसे “डूबते बैंक का भविष्य दिनांक वाला चेक” बताया।
5. क्या मुस्लिम लीग ने इसे स्वीकार किया था?
➡ उन्होंने आंशिक समर्थन दिया, खासकर प्रांतों के अलग होने के अधिकार को लेकर।
6. क्या यह मिशन सफल हुआ?
➡ नहीं, इसे कांग्रेस और अन्य दलों ने अस्वीकार कर दिया, और यह पूरी तरह असफल रहा।
🔗 बाहरी स्रोत:
Wikipedia - Cripps Mission (हिंदी)
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