ग्लोबल स्पेक्स (Global SPECS) 2030
WHO की दूरदर्शी नीति और लक्ष्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की SPECS 2030 पहल एक महत्वाकांक्षी और व्यापक वैश्विक नीति है जिसका लक्ष्य है कि refractive error coverage में 40 प्रतिशत अंक की वृद्धि हो। हम मानते हैं कि जब कोई व्यक्ति चश्मा ले सकता है लेकिन उसे नहीं मिल पाता, तो यह सिर्फ स्वास्थ्य का प्रश्न नहीं बल्कि शिक्षा, सामाजिक भागीदारी और आर्थाइक अवसरों का भी प्रश्न है।
यह नीति विशेष रूप से उन देशों के लिए मायने रखती है जहाँ लोगों को अकुशल दृष्टि सुधार सेवाएँ (refractive error services) नहीं मिल पाती। WHO ने इस पहल को लॉन्च किया ताकि हर व्यक्ति, चाहे वह बच्चा हो, युवा हो या वृद्ध हो, को स्पष्ट दृष्टि प्राप्त हो सके।
दृष्टिहीनता: समस्या की गंभीरता
- दुनियाभर में दृष्टिदोष (refractive error) आँखों की सबसे आम समस्याओं में से एक है। इनमें निकटदर्शिता (myopia), दूरदर्शिता (hyperopia) और प्रिस्बायोपिया (presbyopia) शामिल हैं।
- आंकड़ों के अनुसार, दूर दृष्टि दोष वाले लोगों में सिर्फ लगभग 36% को चश्मा मिल पाता है जो उनके दोष का सही-उपचार करता हो। बाकी लोग बिना सुधार के जी रहे हैं।
- करीब 800 मिलियन से ज्यादा लोग ऐसे हैं जिन्हें पास की दृष्टि (near vision) में सुधार के लिए रीडिंग चश्मा (reading spectacles) से लाभ मिल सकता है।
- दृष्टिहीनता के कारण शिक्षा में बाधाएँ, आर्थिक नुकसान, सामाजिक अलगाव, जीवन गुणवत्ता में गिरावट होती है। इसलिए सिर्फ चिकित्सकीय पहल नहीं, बल्कि सामाजिक और नीति-मानक बदलाव आवश्यक हैं।
WHO ने क्यों शुरू की SPECS 2030 पहल
- कारण #1: अत्यधिक अनसुलझे refractive errors का बोझ। WHO ने मान्यता दी है कि यह मानव स्वास्थ्य की एक बड़ी चुनौती है।
- कारण #2: दृष्टि सुधार एक सस्ती, प्रभावी समाधान है — चश्मा लागत-प्रभावी है, तकनीकी रूप से सरल है, लेकिन पहुँच में अवरोध है।
- कारण #3: वैश्विक चुनाव — WHO के 2021 के विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने यह लक्ष्य अपनाया कि 2030 तक refractive error का प्रभावी कवरेज 40% बढ़ाया जाए।
- कारण #4: सहयोग एवं नेटवर्किंग — Global SPECS Network की स्थापना ताकि सभी हितधारक एक साथ आएँ, ज्ञान साझा करें और संसाधन मिल सके।
“SPECS” के पाँच Strategic Pillars
“SPECS” शब्द प्रत्येक अक्षर एक pillar को दर्शाता है जो इस पहल की रीढ़ है:
Services (सेवाएँ)
refractive error सेवाओं की पहुँच बढ़ाना, चश्मा वितरण नेटवर्क मजबूत करना, दूर-दराज के इलाकों में पहुंच सुनिश्चित करना।Personnel (कर्मचारी)
आँखों की देखभाल में प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना — ऑप्टोमेट्रिस्ट्स, दृष्टि परीक्षणकर्ता, अस्पताल कर्मचारियों को कौशल-विकास देना।Education (शिक्षा)
जनता में आंखों की स्वास्थ्य शिक्षा बढ़ाना, जागरूकता अभियान चलाना कि चश्मा पहनना शर्म की बात नहीं बल्कि आवश्यक है। escolas, समुदायों, मीडिया द्वारा।Cost (लागत)
चश्मे और सेवाओं को किफायती बनाना, लागत कम करना, सरकारी सहायता, सामाजिक बीमा योजना या सब्सिडी का उपयोग।Surveillance (निगरानी एवं डेटा संग्रहण)
नीति निर्धारकों, स्वास्थ्य संगठनों द्वारा नियमित डेटा संग्रह करना, निगरानी मापदंड निर्धारित करना, प्रगति ट्रैक करना।कर्यवाही मॉडल: Global SPECS Network का गठन
- Global SPECS Network WHO द्वारा संचालित ऐसा नेटवर्क है जिसमें संगठनों, सरकारों, शैक्षणिक संस्थाओं, स्वास्थ्य एवं नेत्र देखभाल क्षेत्र की इकाइयों का समावेश है।
- नेटवर्क का उद्देश्य है साझा नीति-रचना, ज्ञान एवं संसाधन साझा करना, देश-स्तर की रणनीतियों को विश्व मानकों से जोड़ना।
- सदस्यता के मानदंड हैं कि संस्था को आँख की देखभाल या सार्वजनिक स्वास्थ्य में कम से कम तीन वर्षों का सक्रिय अनुभव हो; संस्थागत वैधानिक स्थिति हो etc.
नेशनल स्तर पर क्रियान्वयन की रणनीति
- हर देश को राष्ट्रीय नीति बनानी होगी जो SPECS 2030 के लक्ष्यों को अपनी स्वास्थ्य नीति में शामिल करे।
- देशीय स्वास्थ्य प्रणालियों (health systems) में refractive error सेवा को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूल समुदायों और दंत-मुख स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ जोड़ा जाए।
- ऑप्टिकल सेवाएँ सुनिश्चित हों: चश्मे बनाने वाले, वितरण चैनल, सर्विस सेंटर, मोबाइल आँख परीक्षण बिंदु (mobile eye camps) इत्यादि।
- सरकारों को बजट आबंटन करना चाहिए, सब्सिडी आधारित योजनाएँ लागू करनी चाहिए तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (private-public partnerships) को प्रोत्साहन देना चाहिए।
छात्रों और बच्चों में दृष्टि परीक्षण और शिक्षा
- स्कूलों से शुरू करें: प्रत्येक स्कूल में नियमित दृष्टि परीक्षण (vision screening) की व्यवस्था हो।
- शिक्षकों को प्रशिक्षण देना चाहिए कि वे दृष्टि-सम्बंधित लक्षण पहचान सकें।
- बच्चों में myopia की बढ़ती घटनाएँ देखते हुए बचावात्मक उपाय जैसे आँखों की दूरी बनाए रखना, screen time सीमित करना, पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश।
लागत घटाना एवं लागत-प्रभावी समाधान
- चश्मे के कच्चे माल, लेन्स उत्पादन लागत में सुधार लाएं।
- स्थानीय उत्पादन बढ़ाएं ताकि आयात निर्भरता कम हो।
- सामाजिक बीमा, सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाएँ चश्मे-सेवा को लागत पूर्ति में शामिल करें।
- टेक्नोलॉजी और डिज़ाइन नवाचार: हल्के, टिकाऊ, सस्ते फ्रेम-डिज़ाइन, लेन्स मटेरियल में नवाचार।
डेटा संग्रहण व निगरानी: Surveillance की भूमिका
- नियमित जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षण (population-based surveys) करना चाहिए।
- WHO द्वारा प्रस्तावित मापदंड (indicators) का उपयोग करें जैसे कि “effective refractive error coverage rate” इत्यादि।
- स्वास्थ्य सूचना प्रणालियों (health information systems) में आँखों की देखभाल के डेटा को इंटीग्रेट करें।
- देश-स्तर पर रिपोर्टिंग तंत्र हो जो प्रगति के आंकड़े सार्वजनिक करें।
निजी सेक्टर एवं साझेदारी (Public-Private Partnerships)
- निजी उद्योग जैसे ऑप्टिकल मैन्युफैक्चरर्स, चश्मा उत्पादक, NGOs, तकनीकी स्टार्ट-अप आदि को भागीदार बनाएं।
- उदाहरण: WHO-OneSight EssilorLuxottica की साझेदारी जिसने अनुमान लगाया कि तकनीकी इनपुट व डेटा साझेदारी से दृष्टि सुधार में तेजी आ सकती है।
- स्थानीय बीमाकर्ताओं और सामाजिक संगठनों को शामिल करना चाहिए ताकि लोगों को सस्ती सेवाएँ मिलें।
स्वास्थ्य प्रणाली में क्षमता निर्माण (Capacity Building)
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: ऑप्टोमेट्रिस्ट, दृष्टि परीक्षण कर्मी, प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को मजबूत प्रशिक्षण।
- टेक्नोलॉजी और उपकरणों की उपलब्धता: टेस्ट चार्ट, लेंस मीटर, स्लिट-लैंप आदि।
- जिम्मेदार सरकारी निकायों द्वारा निगरानी और मानक निर्धारण।
शिक्षा और सार्वजनिक जागरूकता अभियान
- मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से “आँखों की देखभाल” के बारे में जागरूकता फैलाना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश: चश्मा पहनना, आँखों को सामान्य व्यायाम, screen time नियंत्रण।
- समुदायों में दृष्टि परीक्षण शिविरों का आयोजन करना।
विशेष समूहों के लिए रणनीतियाँ
- गाँव-घर के लोग जिनके पास स्वास्थ्य सुविधाएँ कम हों: माई-मोबाइल क्लीनिक, दूरस्थ दृष्टि परीक्षण।
- बुज़ुर्ग जिन्हें प्रिस्बायोपिया या अन्य उम्र-सम्बंधित दृष्टिदोष हो।
- आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग जिन्हें लागत कारणों से सेवाएँ न मिलें।
- विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष पहुँच और सहायक उपकरण।
चुनौतियाँ और बाधाएँ
- वित्तीय संसाधनों का अभाव: बजट, सब्सिडी, सरकारी समर्थन।
- भौगोलिक दूरियाँ: ग्रामीण, पहाड़ी या द्वीपों जैसे इलाकों में सेवाएँ नहीं पहुँच पातीं।
- मनो-सांस्कृतिक बाधाएँ: लोग चश्मा पहनने से कतराते हैं, धारणाएँ (myths) रहे हैं।
- आपूर्ति श्रृंखला में समस्याएँ: सामग्री, लेन्स, फ्रेम की डिलीवरी में देरी।
- डेटा की कमी: उचित आंकड़े नहीं मिलने से नीति निर्धारण में बाधाएँ।
मील के पत्थर और सफलता की कहानियाँ
- WHO द्वारा जारी संसाधन जैसे Summary guide on quality standards for spectacles.
- Global SPECS Network के माध्यम से अनेक देशों में नीति निर्माण की शुरुआत।
- OneSight-EssilorLuxottica Foundation की साझेदारी ने कई दूरगामी समुदायों में चश्मों की पहुंच बढ़ाई।
- कुछ देशों ने स्कूल-स्तर पर दृष्टि परीक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जहाँ छात्र समय रहते दृष्टिदोष पहचान कर उपचार कर पाते हैं।
भविष्य की दिशाएँ और निरंतरता
- 2030 के बाद भी यह कार्य जारी रखना होगा — हर देश को अपनी आँखों की स्वास्थ्य रणनीति स्थापित करनी होगी।
- शोध एवं नवाचार (research & innovation) को प्रोत्साहित करना चाहिए — नयी लेंस टेक्नोलॉजी, दूरस्थ परीक्षण, AI-आधारित दृष्टि मूल्यांकन आदि।
- सरकारी और गैर-सरकारी सेक्टरों के बीच मजबूत सहयोग सुनिश्चित करना।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन एवं वित्त पोषण को बढ़ाना ताकि कम-आय वाले देशों में संसाधन हों।
- आँखों की स्वास्थ्य को समग्र स्वास्थ्य नीति का हिस्सा बनाना — Universal Health Coverage में शामिल करना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: SPECS 2030 क्या है?
उत्तर: WHO की एक पहल है जिसका लक्ष्य है कि 2030 तक refractive error services की पहुंच और प्रभावी कवरेज में 40% अंक की वृद्धि हो।प्रश्न: “refractive error” का मतलब क्या है?
उत्तर: ये आँखों की वह स्थिति है जिसमें दृष्टि स्पष्ट नहीं होती — जैसे मीओपिया (निकटदर्शिता), हाइपरमीयोपिया (दूरदर्शिता), प्रिस्बायोपिया आदि।प्रश्न: SPECS 2030 में कौन-से पाँच pillars शामिल हैं?
उत्तर: Services, Personnel, Education, Cost, Surveillance।प्रश्न: Global SPECS Network क्या है और कैसे शामिल हों?
उत्तर: यह WHO द्वारा संचालित नेटवर्क है जिसमें NGOs, शैक्षणिक संस्थाएँ, सरकारी एजेंसियाँ मिलकर कार्य करती हैं। सदस्यता के लिए संगठन को कुछ मानदण्ड पूरे करने होते हैं जैसे कि सार्वजनिक स्वास्थ्य या नेत्र देखभाल में तीन बरस का अनुभव आदि।प्रश्न: SPECS 2030 का लक्ष्य कब तक पूरा होगा?
उत्तर: लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक यह सुधार हो। इस समय-सीमा के अंत तक वैश्विक दृष्टि सुधार की स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव होना अपेक्षित है।प्रश्न: भारत में यह पहल कैसे काम कर सकती है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में शामिल करना, स्कूलों में eyesight screening बढ़ाना, चश्मे की उपलब्धता और किफ़ायती विकल्पों का निर्माण, सामाजिक जागरूकता बढ़ाना आदि।प्रश्न: लागत का प्रबंधन कैसे होगा?
उत्तर: स्थानीय उत्पादन, सब्सिडी, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, उपकरणों की बजट-खरीद, सामुदायिक हस्तक्षेप आदि से लागत कम होगी।प्रश्न: आँखे खराब न होने दें कैसे बचाव करें?
उत्तर: पर्याप्त नैचुरल लाइट में पढ़ना-लिखना, स्क्रीन-टाइम नियंत्रित करना, आँखों को नियमित विश्राम देना (20-20-20 नियम), आँखों की जाँच समय-समय पर कराना।प्रश्न: डेटा निगरानी क्यों ज़रूरी है?
उत्तर: क्योंकि यह दर्शाती है कि कितने लोगों को चश्मा मिला, कौन से क्षेत्र पीछे हैं, नीति में सुधार कहां होना चाहिए — प्रगति मापने के लिए डेटा ज़रूरी है।प्रश्न: क्या निजी क्षेत्र की भागीदारी सचमुच असर कर सकती है?
उत्तर: हाँ — निजी कंपनियाँ चश्मे, लेन्स, वितरण, तकनीकी नवाचार आदि में योगदान कर सकती हैं। WHO-OneSight-EssilorLuxottica जैसी साझेदारियाँ उदाहरण हैं।निष्कर्ष
SPECS 2030 एक उम्मीद भरी, विशेषज्ञतायुक्त और समयबद्ध नीति है जो विश्व स्तर पर दृष्टिहीनता की चुनौतियों से निपटने का मार्ग प्रशस्त करती है। अगर हम सभी — सरकारें, गैर-सरकारी संगठन, निजी क्षेत्र, समाज — मिलकर काम करें, तो यह लक्ष्य अवश्य पूरा होगा।
हमारा विश्वास है कि जब प्रत्येक व्यक्ति को उचित चश्मा मिले, जब सेवाएँ सब तक पहुँचें, और जब आँखों की स्वास्थ्य शिक्षा सामान्य हो जाए, तब न सिर्फ दृष्टि सुधार होगी, बल्कि शिक्षा, आर्थिक अवसर और जीवन की गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार होगा।

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