मराठा साम्राज्य

📝 मराठा साम्राज्य(Maratha Empire)

मराठा साम्राज्य

📋 Outline Table – मराठा साम्राज्य

क्रमांक शीर्षक विवरण का सारांश
1 मराठा साम्राज्य का परिचय भारतीय उपमहाद्वीप पर मराठों का प्रभावशाली शासन।
2 शिवाजी महाराज: मराठा साम्राज्य के संस्थापक एक असाधारण योद्धा और कुशल प्रशासक।
3 स्वराज की अवधारणा स्वतंत्र शासन की संकल्पना और इसकी प्रेरणा।
4 मराठा प्रशासन व्यवस्था अष्टप्रधान, किलों का प्रबंधन और न्याय प्रणाली।
5 मराठा सैन्य संगठन हल्की और गति से चलने वाली सेना की रणनीति।
6 पेशवा युग की शुरुआत बाजीराव प्रथम और द्वितीय द्वारा मराठा शक्ति का विस्तार।
7 प्रमुख मराठा युद्ध पानीपत की तीसरी लड़ाई सहित महत्वपूर्ण युद्धों का विवरण।
8 मराठा साम्राज्य का विस्तार उत्तर से दक्षिण तक का भौगोलिक फैलाव।
9 मराठा समाज और संस्कृति भाषा, परिधान, धर्म और त्योहार।
10 मराठा नौसेना और समुद्री शक्ति कोंकण तट पर समुद्री किलों और सुरक्षा नीति।
11 अंग्रेजों से संघर्ष ईस्ट इंडिया कंपनी से संघर्ष और संधियाँ।
12 साम्राज्य का पतन आंतरिक संघर्ष, पेशवा वंश का अंत।
13 मराठा विरासत और आधुनिक भारत में योगदान भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरणा।
14 FAQs मराठा साम्राज्य से जुड़े 10 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।

    1. मराठा साम्राज्य का परिचय

    मराठा साम्राज्य भारत के इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय है, जिसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में शिवाजी महाराज द्वारा की गई थी। इस साम्राज्य ने मुगल शासन को चुनौती दी और दक्षिण भारत से लेकर दिल्ली तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह साम्राज्य सैन्य संगठन, प्रशासनिक दक्षता और स्वराज की भावना का प्रतीक था।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • 1674 में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक रायगढ़ में हुआ।
    • मराठा साम्राज्य की सीमाएं एक समय बंगाल से लेकर अटक (अब पाकिस्तान में) तक फैली थीं।
    • यह साम्राज्य स्थानीय स्वशासन और आर्थिक समृद्धि पर आधारित था।


    2. शिवाजी महाराज: मराठा साम्राज्य के संस्थापक

    छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे नेता थे जिन्होंने छोटी सेना से बड़े साम्राज्यों को चुनौती दी। वे ना सिर्फ वीर योद्धा थे, बल्कि कुशल कूटनीतिज्ञ और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने ‘हिंदवी स्वराज्य’ की स्थापना कर भारतीय राजनीति को नया मोड़ दिया।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध पद्धति को अपनाया।
    • उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और धार्मिक सहिष्णुता पर जोर दिया।
    • मुगलों और आदिलशाही के विरुद्ध साहसिक अभियान चलाए।


    3. स्वराज की अवधारणा

    ‘स्वराज’ का अर्थ है — “अपना शासन अपने हाथों में।” शिवाजी महाराज के नेतृत्व में यह अवधारणा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्वतंत्रता की भी प्रतीक बनी। यह विचार आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नींव बना।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • विदेशी शासन के विरुद्ध आत्मनिर्भर शासन की परिकल्पना।
    • न्याय, सुरक्षा और धर्म के प्रति जिम्मेदारी।
    • जनता-आधारित शासन मॉडल।


    4. मराठा प्रशासन व्यवस्था

    मराठों की प्रशासनिक प्रणाली अत्यंत संगठित और प्रभावशाली थी। अष्टप्रधान (आठ मंत्रियों की परिषद) शासन संचालन की रीढ़ थी। न्यायपालिका, किलों का नियंत्रण और भूमि व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता था।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • अष्टप्रधानों में पेशवा, अमात्य, सेनापति, सुमंत, मंत्रियों की भूमिकाएँ।
    • ‘चौथ’ और ‘सरदेशमुखी’ कर व्यवस्था।
    • किलों का रणनीतिक महत्त्व – जैसे सिंहगढ़, प्रतापगढ़।


    5. मराठा सैन्य संगठन

    मराठा सेना की ताकत उसकी गतिशीलता और गुरिल्ला रणनीति में निहित थी। छोटी टुकड़ियों में हमले और दुश्मन को भ्रमित करना इनकी विशेषता थी। शिवाजी ने युद्धनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन किए।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • हल्की घुड़सवार सेना और तेज आक्रमण।
    • किलों का प्रयोग शरणस्थली के रूप में।
    • पेशवा काल में संगठित तोपखाना और पैदल सेना।


    6. पेशवा युग की शुरुआत

    पेशवा का पद सबसे शक्तिशाली बन गया जब छत्रपति शिवाजी के उत्तराधिकारियों के समय शासन की बागडोर पेशवाओं के हाथ में आ गई। विशेषकर बाजीराव प्रथम के काल में मराठा शक्ति चरम पर पहुँची। उन्होंने दिल्ली तक मराठा परचम फहराया।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • पेशवा बालाजी विश्वनाथ से पेशवा युग की शुरुआत हुई।
    • बाजीराव प्रथम ने कभी युद्ध नहीं हारा।
    • पेशवा प्रशासन पुणे से संचालित होता था।


    7. प्रमुख मराठा युद्ध

    मराठा साम्राज्य ने कई निर्णायक युद्ध लड़े, जिनमें मुगलों, निजामों और अंग्रेजों से संघर्ष शामिल था। पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठा साम्राज्य की दिशा बदलने वाला युद्ध सिद्ध हुआ।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • सिंधुदुर्ग का युद्ध, दिल्ली आक्रमण, और पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761) ऐतिहासिक।
    • अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली से हार के बाद मराठों की सैन्य शक्ति कमज़ोर पड़ी।
    • युद्धों में हजारों सैनिकों की जान गई।


    8. मराठा साम्राज्य का विस्तार

    पेशवा काल में मराठों ने अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक कर लिया था। बंगाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश और मैसूर जैसे क्षेत्र भी उनके नियंत्रण में आ गए थे।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उड़ीसा, मध्य भारत तक विस्तार।
    • उत्तर भारत में रोहिलखंड और दिल्ली तक प्रभाव।
    • अन्य राजपूत रियासतों से गठजोड़ और सैन्य दबाव।


    9. मराठा समाज और संस्कृति

    मराठा समाज दृढ़ संकल्पित, परिश्रमी और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत था। मराठी भाषा, लोकगीत, पारंपरिक परिधान और त्योहारों ने इस समाज की सांस्कृतिक पहचान बनाई।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • गणेशोत्सव, दशहरा और होली बड़े उत्सव के रूप में मनाए जाते थे।
    • मराठी साहित्य और लोकसंस्कृति का उत्कर्ष।
    • जातिगत विविधता, फिर भी एकता की भावना।


    10. मराठा नौसेना और समुद्री शक्ति

    शिवाजी महाराज ने समुद्री रक्षा की महत्ता समझते हुए मराठा नौसेना का निर्माण किया। सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग जैसे किले इस नीति के प्रमाण हैं।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • कान्होजी आंग्रे जैसे नौसेना प्रमुखों ने समुद्री डाकुओं को पराजित किया।
    • अंग्रेजों, पुर्तगालियों और डच से समुद्री टकराव।
    • मालाबार तट पर सुरक्षा और व्यापार पर नियंत्रण।


    11. अंग्रेजों से संघर्ष

    18वीं सदी के अंत तक मराठों और अंग्रेजों के बीच अनेक टकराव हुए। तीन एंग्लो–मराठा युद्धों ने मराठा साम्राज्य की शक्ति को कमजोर कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी धीरे-धीरे भारत पर अपना नियंत्रण मजबूत करती गई।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • पहला एंग्लो–मराठा युद्ध (1775–82) में मराठों की जीत।
    • दूसरे और तीसरे युद्ध (1803–1818) में अंग्रेजों की विजय और पेशवा सत्ता का अंत।
    • 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय ने आत्मसमर्पण किया।


    12. साम्राज्य का पतन

    मराठा साम्राज्य का पतन अनेक कारणों से हुआ: आंतरिक कलह, पेशवा-सरदारों की प्रतिस्पर्धा, अंग्रेजों से संधियाँ और युद्धों में लगातार हार। यह एक शक्तिशाली साम्राज्य का दुखद अंत था।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • पेशवा और मराठा सरदारों के बीच समन्वय की कमी।
    • पानीपत युद्ध के बाद से साम्राज्य लगातार कमजोर होता गया।
    • 1818 में अंग्रेजों ने पूर्णतः मराठों को पराजित किया।


    13. मराठा विरासत और आधुनिक भारत में योगदान

    मराठा साम्राज्य केवल युद्धों और विस्तार तक सीमित नहीं था, बल्कि उसने भारतीय राष्ट्रवाद की भावना को भी जन्म दिया। शिवाजी महाराज की छवि स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा बनी।

    🔹 मुख्य बिंदु:

    • भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में “स्वराज्य” की प्रेरणा।
    • भारतीय सैन्य रणनीति और प्रशासनिक ढांचे पर मराठों की छाप।
    • शिवाजी महाराज को भारत रत्न दिए जाने की मांग लगातार होती रही है।


    14. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    1. मराठा साम्राज्य की स्थापना कब और किसने की थी?

    👉 मराठा साम्राज्य की स्थापना 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी।

    2. पेशवा किसे कहा जाता था?

    👉 पेशवा मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री होते थे, जो शासन का संचालन करते थे।

    3. पानीपत की तीसरी लड़ाई कब लड़ी गई?

    👉 यह युद्ध 14 जनवरी 1761 को मराठों और अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ था।

    4. कौन थे कान्होजी आंग्रे?

    👉 कान्होजी आंग्रे मराठा नौसेना के प्रमुख थे, जिन्हें "समुद्र का शेर" कहा जाता था।

    5. अष्टप्रधान में कौन-कौन से मंत्री शामिल थे?

    👉 पेशवा, सेनापति, सुमंत, मन्त्री, अमात्य, न्यायाधीश, पंडितराव, सचिव।

    6. शिवाजी महाराज की सबसे प्रसिद्ध युद्धनीति क्या थी?

    👉 गुरिल्ला युद्ध पद्धति – छापामार युद्ध, तेज़ हमला और तत्काल वापसी।

    7. मराठा साम्राज्य का अंतिम पेशवा कौन था?

    👉 पेशवा बाजीराव द्वितीय।

    8. क्या मराठों ने दिल्ली पर शासन किया?

    👉 हाँ, 18वीं सदी में कुछ समय के लिए मराठों का दिल्ली पर भी प्रभाव था।

    9. मराठा साम्राज्य का पतन कब हुआ?

    👉 1818 में तीसरे एंग्लो-मराठा युद्ध के बाद।

    10. मराठा समाज की कौन-सी विशेषताएं थीं?

    👉 स्वाभिमान, साहस, युद्ध कौशल, और सांस्कृतिक एकता इसकी विशेषताएं थीं।


    निष्कर्ष

    मराठा साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। यह केवल एक राजनीतिक शक्ति नहीं थी, बल्कि स्वराज, स्वतंत्रता और आत्मबल का प्रतीक भी थी। आज भी शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य की गाथाएं हमें प्रेरणा देती हैं।


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