नाग एम.के. 2 मिसाइल(Nag Mk-2 Missile)
Nag Mk-2 — परिचय और संक्षिप्त अवलोकन
Nag Mk-2 भारतीय स्वदेशी तैनाती-योग्य Anti-Tank Guided Missile (ATGM) का उन्नत संस्करण है। यह Nag परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधि है — जिसे DRDO ने विकसित किया है। Mk-2 का उद्देश्य समकालीन और भविष्य के बख्तरबंद वाहनों, आर्मर्ड ट्रेनिंग टारगेट्स व फोर्थ जेनरेशन रक्षा प्रणालियों के खिलाफ प्रभावी निष्पादन देना है। Mk-2 ने शृंखला-वार परीक्षण और फ़ील्ड-एवैल्यूएशन पार किए हैं, जिससे इसे ऑपरेशनल टैस्टेड और फोर्स-इंडक्शन-रेडी माना जा रहा है।
विकासकर्ता और कार्यक्रम स्थिति
Nag Mk-2 DRDO (Defence Research and Development Organisation) और संबंधित प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित किया गया है, जबकि उत्पादन-समर्थन के लिए Bharat Dynamics Limited (BDL) तथा अन्य रक्षा-PSU/ओ.एफ.बी. साझेदार हैं। जनवरी 2025 में Pokhran फ़ील्ड रेंज पर सफल फ़ील्ड-एवैल्यूएशन आयोजित हुई, जहाँ मिसाइल ने अधिकतम व न्यूनतम रेंजों पर लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट किया। NAMICA Mk-2 जैसी लॉन्चिंग प्लेटफ़ॉर्मों के साथ संयुक्त परीक्षण भी सफल रहे, और सरकारी अनुबंध एवं खरीद-प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
तकनीकी विशेषताएँ — मार्गदर्शन और सीकर (seeker)
Nag Mk-2 में इमेजिंग-इन्फ्रारेड (IIR) प्रकार का seeker तथा उन्नत ऑन-बोर्ड प्रोसेसिंग है जो टारगेट को लॉक-ऑन-एफ़्टर-लॉन्च (LOAL) की सुविधा देता है। Mk-2 में हेलिना/HELINA से विकसित हुए एलिमेंट्स और MPATGM-संचारित सुधारों का समावेश है, जिससे इंटेलिजेंस-डाटा-असिमिलेशन व टारगेट-डिस्क्रिमिनेशन बेहतर हुआ है। दो-तरफ़ा डेटालिंक, इंफ्रा-रेड इमेज कोरिलेशन और स्वचालित ट्रैकिंग से रात व धुंध जैसे चुनौतीपूर्ण हालात में भी सटीकता बढ़ती है।
वॉरहेड और युद्ध प्रभाव (warhead capabilities)
Nag Mk-2 टेंडेम-HEAT (High-Explosive Anti-Tank) वॉरहेड का उपयोग करता है, जो ERA (Explosive Reactive Armor) और RHA (Rolled Homogeneous Armor) पर प्रभावी प्रवेश देता है। टेंडेम-चार्ज प्रारूप सामने के ERA-प्लेट को हटाने के बाद पेनिट्रेशन के लिए प्राथमिक चार्ज का उपयोग सुनिश्चित करता है। Mk-2 की पोषणकारी हानिकारक क्षमता आधुनिक टैंक फ्रंटलाइन के खिलाफ निर्णायक क्षति देने के लिए डिज़ाइन की गई है, और छोटा-सा विफल मार्जिन भी काफी कम है।
प्रोपल्शन, रेंज और प्रदर्शन
Mk-2 ने सुधारित प्रोपल्शन प्रणाली अपनाई है — इसमें एमपीएटीजीएम से प्रेरित प्रणोदन समाधान और रेट्रैक्टेबल विंग्स जैसी यांत्रिकी शामिल है, जो लॉन्च के समय कॉम्पैक्टनेस और उड़ान के दौरान स्थिरता दोनों देती है। परिशोधित रेंज रिपोर्टें 7–10 km के कटेगरी में दर्शाती हैं (वेरिएंट एवं लॉन्च-प्लेटफ़ॉर्म पर निर्भर)। फ़ील्ड-एवैल्यूएशन के दौरान मिसाइल ने अपनी घोषित रेंज पर लक्ष्यों का सटीक उच्च-प्रभावी विनाश दिखाया।
उड़ान-प्रोफ़ाइल और Top-Attack क्षमता
Nag Mk-2 में टॉप-अटैक प्रोफ़ाइल उपलब्ध है — लक्ष्य के ऊपर से आक्रमण कर के कम-कवचित छत पर वार करता है, जो आधुनिक टैंकों की कमजोर बिंदु है। मिसाइल की उड़ान-डायनामिक्स और एक्टिव मैनुएवराबिलिटी (जेट-वेन नियंत्रणतंत्र) उच्च-एंगुलर मैचिंग की अनुमति देती है, जिससे गतिशील लक्ष्य (चलते टैंक) पर भी असाधारण एक्यूरेसी बनी रहती है। यह प्रोफ़ाइल ठोस लौजिस्टिक और टैक्टिकल लाभ देती है, विशेषकर खुली-भूमि संघर्षों में।
NAMICA Mk-2 और लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म इंटीग्रेशन
NAMICA Mk-2 (Nag Missile Carrier — दूसरे वर्शन) को Mk-2 के साथ तालमेल में और अधिक अनुकूल बनाया गया है। NAMICA Mk-2 में 6-रॉकेट रैडी-एक्शन लांचर तथा संशोधित मिसाइल-स्टोरेज व्यवस्था हो सकती है; उसे 30mm ऑटो-कैनन संयोजन भी दिया गया है ताकि प्लेटफ़ॉर्म स्वयं-रक्षा कर सके। NAMICA और Mk-2 के साथ संयुक्त फायर-सेक्वेंस और त्वरित-रिफ़्लेक्स फायर क्षमता ने प्रणाली को ब्रिगेड-स्तर के टैंक-नाशक आयुध के रूप में प्रभावी बनाया है।
फायर-एंड-फॉरगेट (Fire-and-Forget) क्या है
Fire-and-Forget (F&F) तकनीक का अर्थ है कि लॉन्च के बाद मिसाइल स्वायत्त रूप से लक्ष्य का पीछा कर पूंछ-निश्चित करती है; ऑपरेटर को ऑन-टारगेट बने रहने की आवश्यकता नहीं रहती। Mk-2 की F&F क्षमता से शूटर-एक्सपोजर कम होता है, पुनः तैनाती और मूव-ऑफ सुरक्षित बनता है, और मल्टी-शूट ऑपरेशन में टीटी-गतिशीलता बनी रहती है। यह आधुनिक स्टैंड-ऑफ-टैक्टिक्स के लिए मौजूदा फ़ोर्स संरचना को अधिक जीवंत बनाता है।
मुकाबला-क्षमता बनाम आधुनिक टैंक और ERA कवच
Mk-2 का टेंडेम-HEAT और टॉप-अटैक प्रोफ़ाइल आधुनिक ERA-सुसज्जित टैंकों के खिलाफ प्रभावी है। कई रिपोर्टों और फ़ील्ड-टेस्टों ने यह संकेत दिया है कि Mk-2 आधुनिक रक्षा कवच प्रणालियों को चुनौती देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पर वास्तविक युद्ध-स्थिति में लक्ष्य की गतिशीलता, सुरक्षा-इकाइयों की काउंटर-डिफेंस रणनीतियाँ और वातावरण सभी प्रभाव डालते हैं; फिर भी Mk-2 ब्रिगेड-स्तर पर टैंक-नाशक सामर्थ्य बढ़ाता है।
ऑपरेशनल प्रभाव
Nag Mk-2 को NAMICA-आधारित यूनिटों के साथ जोड़ा जाने पर फील्ड-फ़ोर्सेज़ की सीमा-क्षमता बढ़ती है। इसकी रेंज और फायर-एंड-फॉरगेट लक्षण से अग्रिम पोस्टो पर कम जोखिम में दुश्मन बख्तरबंद स्तंभ को रोकने या नष्ट करने की क्षमता आती है। बटालियन-स्तर पर यह इन्फैंट्री-कवर, एंटी-मिसाइल कवच, और गतिशील रक्षा-कंपोनेंट्स के साथ समन्वय कर के इलाके-पराध नियंत्रण में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
इंडिजिनाइज़ेशन और विनिर्माण (Make in India)
Nag Mk-2 परियोजना भारत की रक्षा-आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की प्रतिमूर्ति रही है। DRDO-BDL-OFB सहयोग ने डिजाइन, टेस्टिंग और उत्पादन-पूर्व इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया। मार्च 2025 तक सरकार ने Nag Missile System (NAMIS) और संबंधित साधनों के लिए खरीद अनुबंध किए हैं, जो घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देंगे। यह औद्योगिक एकोसिस्टम और टेक-टू-टेक साझेदारी के लिये भी मार्ग प्रशस्त करता है।
लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर
नए आयुध की प्रभावी परिनियोजन के लिए लॉजिस्टिक्स चैनलों, रियर-अreas व्यवस्थाओं और परफॉर्मेंस-मैनेजमेंट का सुदृढ़ होना आवश्यक है। Nag Mk-2 के लिए यूनिट-लेवल प्रशिक्षण, शास्त्रीय व ई-सिमुलेटर अभ्यास तथा NAMICA-संचालन और मरम्मत-साझेदारों के लिए टूलकिटों का वितरण शुरू हो चुका है। फील्ड-सपोर्ट के साथ-साथ स्पेयर-पार्ट्स और मैनटेनेंस-प्रोसीज़र पर भी फोकस आवश्यक रहेगा।
रणनीतिक निहितार्थ और क्षेत्रीय बैलेंस
देश के पास Mk-2 जैसे उन्नत ATGM-सिस्टम होने से न केवल मोर्चागत परिचालन क्षमता बढ़ती है, बल्कि सीमापार शत्रुता में प्रतिध्वनि के रूप में भी यह बल-प्रक्षेपण सीमाओं को प्रभावित करता है। यह पड़ोसी राष्ट्रों के बख्तरबंद समूहों के विरुद्ध रोकथाम-क्षमता बढ़ा कर क्षेत्रीय बैलेंस में अहम भूमिका निभाता है। सतत परिचालन और डिट्रैरोर के कारण यह राजनैतिक और रणनीतिक विमर्श में भी योगदान करेग।
परीक्षण और फ़ील्ड-एवैल्यूएशन की उपलब्धियाँ
जनवरी 2025 के Pokhran फ़ील्ड-रेंज परीक्षणों में Nag Mk-2 ने सभी निर्धारित लक्ष्यों पर सफल निशाना साधा — न्यूनतम और अधिकतम दोनों सीमा पर। NAMICA Mk-2 के साथ एकीकृत परीक्षण भी सफल रहे, जिससे सिस्टम की फायर रेट, मिसाइल-इंटीग्रेशन और परिचालन विश्वसनीयता का स्थायित्व सिद्ध हुआ। इन परीक्षणों ने Mk-2 की तैनाती के लिए मार्ग साफ किया और उत्पादन-आधार की नींव मजबूत की।
सीमाएँ, चुनौतियाँ और सुधार के रास्ते
Nag Mk-2 के पास प्रतिस्पर्धी ताकतें हैं, पर चुनौतियाँ भी हैं — अत्याधुनिक एंटी-आत्मीयता (Active Protection Systems), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर का प्रभाव, उच्च-गति गतिशील लक्ष्य और बेहद कठिन मौसम में seeker-अवरोध। इसके अलावा बड़े पैमाने पर उत्पादन, तेज़ सर्विस-लाइफक्रोन तथा निर्यात-संगत प्रमाणन भी चुनौतीपूर्ण पहलू हैं। सुधार हेतु निरंतर R&D, हार्डवेयर-अपग्रेड और बहु-प्लेटफ़ॉर्म एकीकरण पर ध्यान आवश्यक है।
निष्कर्ष और आगे की राह
Nag Mk-2 भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी मील-का पत्थर है — यह न सिर्फ़ स्वदेशी क्षमताओं को दर्शाता है बल्कि सीमाओं पर परिचालनात्मक ताकत भी बढ़ाता है। सफल फ़ील्ड-ट्रायल और NAMICA Mk-2 समेकन से यह स्पष्ट है कि राजनैतिक-रणनीतिक और सैन्य-स्तर पर Mk-2 का प्रवेश निकट भविष्य की वास्तविकता है। आगे का रास्ता उत्पादन-विस्तार, निर्यात-योग्यता और सतत् सुधार के साथ संयोजित होगा।
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