अकबर का साम्राज्य(Akhbar Empire)
मुगल युग का स्वर्णिम अध्याय
अकबर महान (शासनकाल: 1556 – 1605 ई.) मुगल साम्राज्य का तीसरा और सबसे प्रभावशाली शासक था। उसका शासन भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम युग माना जाता है, जिसमें राजनीतिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता, प्रशासनिक नवाचार, और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्वितीय संगम दिखाई देता है। अकबर ने न केवल मुग़ल सत्ता को सुदृढ़ किया, बल्कि भारत की विविधता को अपनाकर एक स्थायी साम्राज्य की नींव रखी।
अकबर का राज्याभिषेक और प्रारंभिक शासन
- अकबर का राज्याभिषेक 1556 ई. में 13 वर्ष की आयु में हुआ, जब उसके पिता हुमायूँ की मृत्यु हो गई।
- आरंभिक शासन में उसके संरक्षक बैरम ख़ाँ ने उसके लिए कई विजयी युद्ध लड़े, विशेषकर पानीपत का द्वितीय युद्ध (1556 ई.), जिसमें अकबर ने हेमू को पराजित किया।
अकबर के साम्राज्य का विस्तार
उत्तर भारत में विजय:
- राजपूताना में अकबर ने रणथंभौर, चित्तौड़ और मेवाड़ जैसे दुर्गों को जीत कर अपनी शक्ति स्थापित की।
- उसने राजपूत राजाओं के साथ युद्ध भी किए और समझौते भी, जैसे आमेर के राजा भारमल की पुत्री जोधा बाई से विवाह कर एकता की मिसाल पेश की।
मध्य और दक्षिण भारत में विस्तार:
- गुजरात (1572), बंगाल (1574), काबुल (1581), कंधार (1595), और अहमदनगर (1600) जैसे प्रमुख क्षेत्र अकबर के साम्राज्य में सम्मिलित हुए।
- उसका साम्राज्य हिमालय से गोदावरी तक और सिंध से ब्रह्मपुत्र तक फैला हुआ था।
प्रशासनिक संरचना
1. केंद्रीय प्रशासन:
- अकबर ने मध्यवर्ती और केंद्रीकृत प्रशासन की स्थापना की।
- उसने "मनसबदारी प्रणाली" लागू की जिसमें अधिकारियों को मनसब (पद) और सवारों की संख्या के अनुसार रैंक दी जाती थी।
2. सूबों का विभाजन:
- अकबर ने साम्राज्य को 15 सूबों में विभाजित किया।
- प्रत्येक सूबे में सूबेदार (राज्यपाल), दीवान (राजस्व अधिकारी), बख्शी (सेना अधिकारी), काज़ी (न्यायाधीश) नियुक्त होते थे।
3. राजस्व व्यवस्था (टोडरमल की प्रणाली):
- अकबर के वित्त मंत्री राजा टोडरमल ने दहसाला प्रणाली लागू की, जिसमें फसल के औसत उत्पादन और कीमत के आधार पर कर तय होता था।
- भूमि मापने के लिए "गज़-ए-इलाही" का प्रयोग किया गया।
धार्मिक नीति और दीन-ए-इलाही
धार्मिक सहिष्णुता:
- अकबर ने "सुलह-ए-कुल" (सभी धर्मों से मेल-जोल) की नीति अपनाई।
- उसने जज़िया कर (गैर-मुस्लिमों पर लगाया गया कर) को समाप्त किया।
दीन-ए-इलाही:
- 1582 में अकबर ने दीन-ए-इलाही नामक एक नया धर्म शुरू किया, जो हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई आदि धर्मों के तत्वों का संगम था।
- यह धर्म व्यापक नहीं हो पाया, लेकिन उसकी धार्मिक समावेशिता का प्रतीक बन गया।
इबादत खाना:
- अकबर ने फतेहपुर सीकरी में एक इबादत खाना बनवाया जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वानों को आमंत्रित कर धार्मिक संवाद आयोजित किए।
सांस्कृतिक और स्थापत्य योगदान
कला और साहित्य:
- अकबर ने फारसी, हिंदी और संस्कृत साहित्य को प्रोत्साहन दिया।
- प्रसिद्ध विद्वानों और लेखकों जैसे अब्दुल फ़ज़ल, बीरबल, अबुल फ़ैज़ी, तानसेन, और राजा मानसिंह को संरक्षण दिया।
- "आइन-ए-अकबरी" और "अकबरनामा" जैसे ग्रंथ इस युग की धरोहर हैं।
स्थापत्य कला:
- अकबर के शासनकाल में मुग़ल स्थापत्य ने नये आयाम छुए।
प्रमुख निर्माण:
फतेहपुर सीकरी
बुलंद दरवाजा
पंच महल
जहांगीरी महल
अकबर की न्याय व्यवस्था
- अकबर न्यायप्रिय शासक था।
- न्यायालयों में इस्लामी क़ानून और स्थानीय परंपराओं का समावेश था।
- उसने अधिकारियों की निगरानी, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, और लोकहितकारी नीतियों पर ज़ोर दिया।
अकबर की मृत्यु और उत्तराधिकार
- अकबर का निधन 1605 ई. में हुआ।
- उसके बाद उसका पुत्र सलीम (जहांगीर) मुग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना।
निष्कर्ष
अकबर का साम्राज्य भारतीय इतिहास में राजनीतिक स्थिरता, धार्मिक सहिष्णुता, प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है। उसकी नीतियाँ, निर्णय और दूरदृष्टि ने न केवल मुग़ल साम्राज्य को मज़बूती दी, बल्कि एक बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक भारत की नींव भी रखी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) हिंदी में:
प्रश्न 1: अकबर का राज्याभिषेक कब हुआ था?
उत्तर: अकबर का राज्याभिषेक 1556 ई. में केवल 13 वर्ष की आयु में हुआ था, जब उसके पिता हुमायूँ की मृत्यु हुई।
प्रश्न 2: अकबर के साम्राज्य का विस्तार कहाँ तक था?
उत्तर: अकबर का साम्राज्य उत्तर में काबुल से लेकर दक्षिण में गोदावरी तक, और पश्चिम में सिंध से पूर्व में बंगाल और ब्रह्मपुत्र घाटी तक फैला हुआ था।
प्रश्न 3: मनसबदारी प्रणाली क्या थी?
उत्तर: यह एक प्रशासनिक और सैन्य रैंक प्रणाली थी, जिसमें अधिकारियों को उनकी योग्यता और कार्य के आधार पर "मनसब" (पद) और "सवार" (घुड़सवारों की संख्या) दी जाती थी।
प्रश्न 4: अकबर की राजस्व प्रणाली का क्या नाम था और इसे किसने लागू किया?
उत्तर: अकबर की राजस्व प्रणाली को "दहसाला प्रणाली" कहते हैं और इसे राजा टोडरमल ने लागू किया था।
प्रश्न 5: दीन-ए-इलाही क्या था?
उत्तर: दीन-ए-इलाही अकबर द्वारा 1582 ई. में शुरू किया गया एक नया धार्मिक दर्शन था, जो विभिन्न धर्मों के तत्वों को मिलाकर बनाया गया था। इसका उद्देश्य धार्मिक एकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना था।
प्रश्न 6: अकबर ने जज़िया कर क्यों हटाया?
उत्तर: अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति के अंतर्गत गैर-मुस्लिमों पर लगाए गए जज़िया कर को समाप्त कर दिया ताकि सभी धर्मों के लोग समान रूप से सम्मानित महसूस करें।
प्रश्न 7: अकबर ने फतेहपुर सीकरी क्यों बसाई?
उत्तर: अकबर ने फतेहपुर सीकरी को अपने धार्मिक विचारों के केंद्र के रूप में बसाया था। यहाँ पर इबादत खाना बनवाया गया जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वानों के साथ संवाद होते थे।
प्रश्न 8: अकबर के प्रमुख दरबारी कौन थे?
उत्तर: अकबर के प्रमुख दरबारी "नवरत्न" कहलाते थे, जिनमें बीरबल, तानसेन, अबुल फ़ज़ल, राजा टोडरमल, राजा मानसिंह आदि प्रमुख थे।
प्रश्न 9: अकबर का सबसे बड़ा प्रशासनिक योगदान क्या था?
उत्तर: अकबर का सबसे बड़ा प्रशासनिक योगदान मनसबदारी प्रणाली और दहसाला राजस्व व्यवस्था था, जिसने मुग़ल शासन को संगठित और स्थायी बनाया।
प्रश्न 10: अकबर की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी?
उत्तर: अकबर की मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 ई. को फतेहपुर सीकरी में हुई थी।
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