अरब सागर(Arabian Sea)

अरब सागर(Arabian Sea) 

अरब सागर


भौगोलिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व

अरब सागर (Arabian Sea) भारत और एशिया महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है, जो न केवल प्राकृतिक दृष्टि से बल्कि व्यापार और सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे भारतीय उपमहाद्वीप और अरब देशों को जोड़ने वाला समुद्री मार्ग कहा जाता है।


अरब सागर का परिचय

  • स्थान: अरब सागर हिंद महासागर का उत्तरी भाग है।
सीमाएँ
  • पूर्व में भारत
  • पश्चिम में अरब प्रायद्वीप (ओमान, यमन, UAE)
  • उत्तर में पाकिस्तान और ईरान
  • दक्षिण में यह हिंद महासागर से जुड़ा है।
क्षेत्रफल: 
  • लगभग 38.62 लाख वर्ग किमी
  • औसत गहराई: लगभग 2,734 मीटर
  • अधिकतम गहराई: लगभग 4,652 मीटर

अरब सागर के प्रमुख तट

  1. भारत का पश्चिमी तट – गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल
  2. पाकिस्तान का तट – कराची बंदरगाह
  3. ओमान और यमन – खाड़ी क्षेत्र से जुड़ाव
  4. सोमालिया और अफ्रीका का पूर्वी तट


अरब सागर के प्रमुख बंदरगाह

देश प्रमुख बंदरगाह
भारत मुंबई, मंगळुरु, कांडला, कोचीन
पाकिस्तान कराची, ग्वादर
ओमान मस्कट, सलालाह
ईरान चाबहार
यमन एडन

अरब सागर का ऐतिहासिक महत्व

  • प्राचीन काल से अरब सागर व्यापार का मुख्य मार्ग रहा है।
  • भारत से मसाले, कपास, रत्न और रेशम अरब देशों और यूरोप तक पहुंचते थे।
  • अरब व्यापारी भारत और पूर्वी अफ्रीका के बीच समुद्री व्यापार करते थे।
  • मध्यकाल में अरब सागर के माध्यम से इस्लाम का प्रसार भी भारत में हुआ।


आर्थिक महत्व

व्यापार और नौवहन

  • अरब सागर भारत को मध्य पूर्व, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ता है।
  • यह विश्व के तेल निर्यात और आयात के लिए प्रमुख मार्ग है।

मत्स्य उद्योग
  • अरब सागर मछली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां की पलमोन (Pomfret), टूना (Tuna), और सार्डिन (Sardine) मछलियाँ विश्व प्रसिद्ध हैं।
पर्यटन
  • गोवा और केरल जैसे राज्यों के समुद्र तट पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
भूराजनीतिक महत्व
  • अरब सागर में भारत, चीन और अमेरिका की नौसैनिक गतिविधियाँ इसे रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती हैं।

अरब सागर की खाड़ियाँ और द्वीप

  • खाड़ियाँ: कच्छ की खाड़ी, कंबे की खाड़ी, अदन की खाड़ी।
  • द्वीप: लक्षद्वीप द्वीप समूह (भारत), सोकोट्रा द्वीप (यमन)।


निष्कर्ष

अरब सागर केवल एक समुद्री क्षेत्र नहीं बल्कि भारत और विश्व की आर्थिक धुरी है। इसका महत्व प्राचीन काल से लेकर आज तक बना हुआ है। व्यापार, मत्स्य उद्योग, पर्यटन और सामरिक दृष्टि से यह सागर भारत और विश्व की प्रगति में अहम भूमिका निभाता है। इसे सही मायने में भारत का पश्चिमी समुद्री द्वार कहा जा सकता है।



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