बैरम खान(Bairam Khan)
परिचय
बैरम ख़ाँ मुग़ल साम्राज्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था, जिसने भारत में मुग़ल सत्ता को मज़बूती देने में मुख्य भूमिका निभाई। वह एक कुशल सेनापति, राजनैतिक सलाहकार और अकबर के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। बाबर और हुमायूं के समय से लेकर अकबर के प्रारंभिक शासन काल तक बैरम ख़ाँ ने मुग़ल सत्ता के लिए समर्पित कार्य किया।
बैरम ख़ाँ का प्रारंभिक जीवन
- बैरम ख़ाँ का जन्म मध्य एशिया में हुआ था और वह तुर्क मूल के थे।
- वह एक शिया मुस्लिम थे और प्रारंभिक जीवन में ही बाबर के दरबार से जुड़े।
- हुमायूं के समय में उन्होंने अपना राजनीतिक और सैन्य कद बहुत ऊँचा कर लिया था।
हुमायूं के विश्वासपात्र
- हुमायूं के निर्वासन के दौरान बैरम ख़ाँ ने उन्हें ईरान में मदद दिलाने में सहयोग किया।
- ईरान के शाह तहमास से हुमायूं की सहायता करवाने में बैरम ख़ाँ की अहम भूमिका थी।
- भारत लौटने पर जब हुमायूं ने पुनः दिल्ली पर अधिकार किया, तो बैरम ख़ाँ को उनका मुख्य सेनापति बना दिया गया।
अकबर के संरक्षक के रूप में भूमिका
- 1556 में हुमायूं की मृत्यु के बाद जब अकबर मात्र 13 वर्ष के थे, तब बैरम ख़ाँ ने मुग़ल साम्राज्य की बागडोर संभाली।
- उन्हें “वकील-ए-सल्तनत” (राज्य का संरक्षक) की उपाधि दी गई।
- उन्होंने अकबर की ओर से शासन का संचालन किया और उनके शासन को आरंभिक सुरक्षा प्रदान की।
पानीपत की दूसरी लड़ाई (1556)
- जब अकबर गद्दी पर बैठे, तभी अफगान नेता हेमू ने दिल्ली और आगरा पर कब्ज़ा कर लिया था।
- बैरम ख़ाँ ने अकबर की सेना का नेतृत्व करते हुए पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू को हराया।
- यह विजय मुग़ल साम्राज्य के लिए निर्णायक सिद्ध हुई और अकबर की गद्दी को स्थायित्व मिला।
बैरम ख़ाँ की गिरावट
- कुछ समय बाद अकबर ने स्वयं शासन चलाने का निर्णय लिया और बैरम ख़ाँ को सत्ता से हटने को कहा।
- बैरम ख़ाँ ने हज यात्रा के लिए मक्का की ओर प्रस्थान किया, लेकिन रास्ते में उन्हें विद्रोही पठानों द्वारा मार दिया गया।
बैरम ख़ाँ का व्यक्तित्व और योगदान
- बैरम ख़ाँ एक बहुत ही योग्य सैन्य नेता थे।
- वह न केवल युद्ध में बल्कि राजनीतिक रणनीति में भी पारंगत थे।
- उन्होंने हुमायूं और अकबर दोनों की सत्ता को स्थायित्व दिलाने में योगदान दिया।
- उनका व्यवहार कभी-कभी कठोर था, जिससे दरबारी वर्ग में कुछ विरोध भी उत्पन्न हुआ।
बैरम ख़ाँ का परिवार और उत्तराधिकार
- बैरम ख़ाँ का पुत्र अब्दुल रहीम ख़ान-ए-खाना बाद में अकबर के दरबार में एक प्रमुख विद्वान और कवि बने।
- रहीम को हिन्दी साहित्य में विशेष स्थान प्राप्त है और उनके दोहे आज भी प्रसिद्ध हैं।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. बैरम ख़ाँ कौन था?
बैरम ख़ाँ मुग़ल साम्राज्य का एक प्रमुख सेनापति और अकबर का संरक्षक था, जिसने पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू को हराया।
2. बैरम ख़ाँ का अकबर से क्या संबंध था?
अकबर के पिता हुमायूं की मृत्यु के बाद बैरम ख़ाँ ने अकबर के संरक्षक के रूप में शासन की बागडोर संभाली और उन्हें सिंहासन पर स्थिर किया।
3. बैरम ख़ाँ की मृत्यु कैसे हुई?
बैरम ख़ाँ को मक्का की यात्रा पर जाते समय अफगान विद्रोहियों ने गुजरात में हत्या कर दी थी।
4. बैरम ख़ाँ का पुत्र कौन था?
बैरम ख़ाँ का पुत्र अब्दुल रहीम ख़ान-ए-खाना था, जो अकबर के नवरत्नों में से एक और प्रसिद्ध कवि बने।
5. बैरम ख़ाँ का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
बैरम ख़ाँ ने मुग़ल साम्राज्य की नींव को मज़बूती दी और अकबर के प्रारंभिक शासन को सुरक्षित बनाया। उनकी रणनीति और सैन्य नेतृत्व आज भी इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
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