भारत का आकार और क्षेत्रफल
भौगोलिक विशेषताएँ और वैश्विक महत्व
परिचय
भारत, दक्षिण एशिया का विशाल और विविधताओं से भरा राष्ट्र, अपनी भौगोलिक संरचना, आकार और क्षेत्रफल के कारण न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका विस्तृत भूभाग समुद्र, पर्वत, रेगिस्तान, मैदान और पठार जैसी विभिन्न प्राकृतिक भौगोलिक इकाइयों से बना है, जो इसे अद्वितीय बनाते हैं।
भारत का आकार
1. त्रिकोणीय आकार
- भारत का मुख्य भूभाग उत्तर में चौड़ा और दक्षिण में संकरा है, जो एक उल्टे त्रिकोण जैसा दिखाई देता है।
- दक्षिणी छोर पर कन्याकुमारी और उत्तरी सीमा पर जम्मू-कश्मीर का इलाका इस त्रिकोण के सिरों को दर्शाता है।
2. अक्षांशीय एवं देशांतर विस्तार
- अक्षांशीय विस्तार: 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक।
- देशांतर विस्तार: 68°7′ पूर्वी देशांतर से 97°25′ पूर्वी देशांतर तक।
- यह विस्तार भारत को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में विभाजित करता है।
3. मुख्यभूमि और द्वीप समूह
- मुख्यभूमि के अलावा भारत में लक्षद्वीप द्वीप समूह (अरब सागर में) और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (बंगाल की खाड़ी में) स्थित हैं।
भारत का क्षेत्रफल
1. कुल क्षेत्रफल
- भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है।
- यह विश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है।
2. वैश्विक तुलना
- क्षेत्रफल के हिसाब से भारत रूस, कनाडा, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया के बाद आता है।
- यह विश्व के कुल भूभाग का लगभग 2.4% हिस्सा कवर करता है, लेकिन इसमें विश्व की लगभग 17.7% जनसंख्या निवास करती है।
3. आंतरिक विस्तार
- उत्तर-दक्षिण लंबाई: लगभग 3214 किलोमीटर।
- पूर्व-पश्चिम चौड़ाई: लगभग 2933 किलोमीटर।
भौगोलिक विविधता और महत्व
1. पर्वतीय क्षेत्र
- उत्तर में हिमालय पर्वत श्रृंखला भारत की प्राकृतिक सीमा और जलवायु नियंत्रक है।
2. मैदान
- गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों के उपजाऊ मैदान कृषि के लिए प्रसिद्ध हैं।
3. पठार
- दक्कन का पठार खनिज संसाधनों से भरपूर है।
4. तटीय क्षेत्र
- भारत की समुद्री तटरेखा लगभग 7,516 किलोमीटर लंबी है, जो व्यापार, मत्स्य पालन और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत की सामरिक स्थिति
- भारत हिंद महासागर के मध्य में स्थित है, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्गों पर नियंत्रण और निगरानी की क्षमता रखता है।
- एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र।
निष्कर्ष
भारत का आकार और क्षेत्रफल न केवल इसकी भौगोलिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि इसके सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक महत्व को भी परिभाषित करता है। इसकी विविध भौगोलिक संरचना, विशाल जनसंख्या और सामरिक स्थिति इसे विश्व मंच पर एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राष्ट्र बनाती है।
 
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