भारत के वन्यजीव अभयारण्य
संरक्षण, प्रकार और महत्व
भारत अपनी जैव विविधता (Biodiversity) के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ हिमालय की ऊँची चोटियों से लेकर दक्षिण के सघन वनों तक, रेगिस्तान से लेकर तटीय क्षेत्रों तक विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु और पक्षी पाए जाते हैं। इनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए देशभर में वन्यजीव अभयारण्यों (Wildlife Sanctuaries) की स्थापना की गई है।
वन्यजीव अभयारण्य क्या है?
वन्यजीव अभयारण्य ऐसे संरक्षित क्षेत्र होते हैं जहाँ वन्य पशु-पक्षियों और उनके प्राकृतिक आवास की रक्षा की जाती है। इन क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियाँ सीमित होती हैं और शिकार पर प्रतिबंध होता है।
भारत में वन्यजीव अभयारण्यों का वितरण
- भारत में वर्तमान में 500 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं।
- इनका क्षेत्रफल लगभग 1,20,000 वर्ग किलोमीटर है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 3.6% है।
- प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम एक वन्यजीव अभयारण्य है।
भारत के प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य
| अभयारण्य का नाम | राज्य | प्रमुख प्रजातियाँ | विशेषता | 
|---|---|---|---|
| जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य | उत्तराखंड | बंगाल टाइगर, हाथी, घड़ियाल | भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान (1936) | 
| केवलादेव घाना (भरतपुर अभयारण्य) | राजस्थान | साइबेरियन क्रेन, सारस, बत्तखें | विश्व प्रसिद्ध पक्षी विहार | 
| गिर अभयारण्य | गुजरात | एशियाई शेर | विश्व में शेर का एकमात्र प्राकृतिक आवास | 
| पेरियार अभयारण्य | केरल | हाथी, बाइसन, बाघ | झील और नाव से सफारी के लिए प्रसिद्ध | 
| काजीरंगा अभयारण्य | असम | एक सींग वाला गैंडा | यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | 
| सुंदरबन अभयारण्य | पश्चिम बंगाल | रॉयल बंगाल टाइगर, खारे पानी का मगरमच्छ | मैंग्रोव वनों में स्थित | 
| मानेर अभयारण्य | छत्तीसगढ़ | भालू, चीतल, जंगली भैंसा | घने साल वनों से घिरा | 
| सिमलीपाल अभयारण्य | ओडिशा | बाघ, हाथी, गौर | जैवमंडल रिजर्व का हिस्सा | 
| नाल सरोवर पक्षी अभयारण्य | गुजरात | प्रवासी पक्षी, फ्लेमिंगो | प्रवासी पक्षियों का बड़ा केंद्र | 
महत्व
- जैव विविधता संरक्षण – दुर्लभ प्रजातियों को बचाने में सहायक।
- पारिस्थितिकी संतुलन – प्राकृतिक चक्र (जल, कार्बन, नाइट्रोजन) को बनाए रखते हैं।
- अनुसंधान एवं शिक्षा – वैज्ञानिक अध्ययन और पर्यावरण शिक्षा का केंद्र।
- पर्यटन और रोजगार – इको-टूरिज्म से स्थानीय लोगों को लाभ।
- संस्कृति एवं परंपरा – कई अभयारण्य जनजातीय जीवन और परंपराओं से जुड़े हैं।
चुनौतियाँ
- शिकार और अवैध व्यापार (हाथी दांत, बाघ की खाल)।
- वनों की कटाई और आवास का विनाश।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष।
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण।
- पर्यटन का अत्यधिक दबाव।
संरक्षण उपाय
- प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट जैसी राष्ट्रीय योजनाएँ।
- राष्ट्रीय उद्यान, बायोस्फीयर रिजर्व और संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क।
- सामुदायिक भागीदारी – ग्राम वनों का संरक्षण।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) की सक्रियता।
- ईको-टूरिज्म के नियम और सीमाएँ।
निष्कर्ष
भारत के वन्यजीव अभयारण्य हमारी प्राकृतिक धरोहर हैं। ये न केवल दुर्लभ जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित घर हैं बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, पर्यटन और शिक्षा के भी केंद्र हैं। यदि हम इनका संरक्षण सामूहिक रूप से करें तो आने वाली पीढ़ियाँ भी हमारी तरह इन वन्य आश्चर्यों का आनंद ले सकेंगी।
 
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