भारत के द्वीप
परिचय
भारत केवल एक विशाल स्थलीय भू-भाग ही नहीं है, बल्कि यहाँ सैकड़ों छोटे-बड़े द्वीप (Islands) भी स्थित हैं। ये द्वीप भारत की भौगोलिक विविधता, सामरिक दृष्टि, पर्यटन और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। भारत के प्रमुख द्वीप समूह दो भागों में बाँटे जाते हैं – अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह। इसके अतिरिक्त गुजरात और अन्य तटीय क्षेत्रों में भी छोटे द्वीप पाए जाते हैं।
भारत के द्वीपों का वर्गीकरण
भारत के द्वीपों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह – बंगाल की खाड़ी में स्थित।
- लक्षद्वीप द्वीप समूह – अरब सागर में स्थित।
- अन्य छोटे द्वीप – जैसे गुजरात के कच्छ क्षेत्र, गोवा और केरल के तटवर्ती क्षेत्र।
1. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
- स्थिति – बंगाल की खाड़ी में, भारत के दक्षिण-पूर्व में।
- संख्या – लगभग 572 द्वीप, जिनमें से कुछ ही आबाद हैं।
- भूगोल – ये द्वीप ज्वालामुखीय और पर्वतीय हैं। यहाँ बैरन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है।
- वनस्पति और जीव-जंतु – सघन उष्णकटिबंधीय वर्षा वन और दुर्लभ जीव पाए जाते हैं।
- जनजातियाँ – यहाँ रहने वाली जनजातियों में ओंगे, जरावा, शॉम्पेन और सेंटीनेलीज शामिल हैं।
- आर्थिक महत्व – नारियल की खेती, मछली पालन और पर्यटन यहाँ के प्रमुख व्यवसाय हैं।
- सांस्कृतिक महत्व – सेल्यूलर जेल (काला पानी) स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर है।
- सामरिक महत्व – यह क्षेत्र भारत की नौसेना और वायुसेना के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2. लक्षद्वीप द्वीप समूह
- स्थिति – अरब सागर में, केरल के पश्चिमी तट के समीप।
- संख्या – 36 द्वीप, जिनमें से 10 आबाद हैं।
- भूगोल – ये द्वीप कोरल (प्रवाल) से बने एटॉल, रीफ और लैगून हैं।
- जनसंख्या – यहाँ की अधिकांश आबादी मुस्लिम है और मलयालम बोली जाती है।
- आर्थिक महत्व – नारियल, मछली पालन और कोयर उद्योग मुख्य व्यवसाय।
- पर्यटन – कावारत्ती, अगत्ती और बंगारम द्वीप अपने समुद्र तटों और लैगून के लिए प्रसिद्ध हैं।
- सामरिक महत्व – अरब सागर में भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत बनाते हैं।
3. अन्य छोटे द्वीप
- गुजरात के कच्छ क्षेत्र में कुछ छोटे द्वीप हैं, जैसे बेट द्वारका।
- मुंबई का एलीफेंटा द्वीप, जहाँ प्रसिद्ध गुफाएँ स्थित हैं।
- गोवा और केरल के तट पर भी कुछ छोटे द्वीप पाए जाते हैं।
- ये द्वीप सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
भारत के द्वीपों का आर्थिक महत्व
- पर्यटन – समुद्र तट, प्रवाल भित्तियाँ, जलक्रीड़ा और ऐतिहासिक धरोहरें।
- मछली पालन – भारत की समुद्री मछली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों से।
- नारियल और कोयर उद्योग – विशेषकर लक्षद्वीप और अंडमान में।
- सामरिक महत्व – हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और नौसैनिक शक्ति का आधार।
भारत के द्वीपों का सांस्कृतिक महत्व
- अंडमान की जनजातीय संस्कृति और लोककथाएँ अद्वितीय हैं।
- लक्षद्वीप में मलयाली संस्कृति और इस्लामी परंपराएँ प्रभावी हैं।
- गुजरात के बेट द्वारका जैसे द्वीप धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
चुनौतियाँ
- प्राकृतिक आपदाएँ – चक्रवात और सूनामी का खतरा।
- जलवायु परिवर्तन – समुद्र का बढ़ता जलस्तर द्वीपों को डुबाने की आशंका।
- जनजातीय जीवन पर संकट – बाहरी प्रभाव से उनकी संस्कृति खतरे में।
- सीमित संसाधन – कृषि योग्य भूमि और मीठे पानी की कमी।
निष्कर्ष
भारत के द्वीप न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन का केंद्र हैं, बल्कि ये भारत की आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक शक्ति के भी अभिन्न अंग हैं। अंडमान–निकोबार और लक्षद्वीप दोनों ही भारत को हिंद महासागर में एक सशक्त पहचान दिलाते हैं। यदि यहाँ की जैव विविधता और संस्कृति को संरक्षित रखते हुए विकास किया जाए, तो ये द्वीप भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और टिकाऊ विकास में और भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
 
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