भारत के जल संसाधन

भारत के जल संसाधन

भारत, अपनी विविध भौगोलिक संरचना और विस्तृत नदियों, झीलों तथा वर्षा आधारित प्रणालियों के कारण जल संसाधनों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध देश माना जाता है। यहाँ उपलब्ध जल संसाधन कृषि, उद्योग, ऊर्जा उत्पादन और पेयजल आपूर्ति के लिए अनमोल आधार प्रदान करते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि भारत के जल संसाधन कितने विशाल, विविध और महत्वपूर्ण हैं।


भारत के जल संसाधनों का महत्व

भारत में जल केवल प्राकृतिक संपदा नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का आधार है। कृषि उत्पादन, ग्रामीण जीवन की स्थिरता, औद्योगिक विकास और विद्युत उत्पादन के लिए जल अत्यावश्यक है। यहाँ लगभग 85% ग्रामीण जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी है और कृषि का लगभग 80% हिस्सा सिंचाई पर निर्भर करता है।


भारत में जल संसाधनों के प्रमुख स्रोत

भारत में जल संसाधन कई रूपों में उपलब्ध हैं:

1. नदियाँ

भारत को "नदियों का देश" कहा जाता है। प्रमुख नदी प्रणालियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी शामिल हैं।

  • गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना बेसिन देश का सबसे बड़ा नदी बेसिन है, जो कुल जल संसाधनों का लगभग 60% प्रदान करता है।
  • सिंधु नदी प्रणाली उत्तर-पश्चिम भारत में सिंचाई का आधार है।
  • नर्मदा और ताप्ती नदियाँ मध्य भारत की कृषि और जल विद्युत परियोजनाओं में सहायक हैं।

2. भूजल (Groundwater)

भारत में भूजल संसाधन अत्यधिक उपयोग में लाए जाते हैं। यह पेयजल और सिंचाई दोनों के लिए सबसे विश्वसनीय स्रोत है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार में भूजल पर सर्वाधिक निर्भरता है।

3. झीलें और तालाब

भारत में प्राकृतिक झीलों के साथ-साथ मानव निर्मित झीलें और तालाब भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरणस्वरूप, डल झील (कश्मीर), चilka झील (ओडिशा) और सांभर झील (राजस्थान)। ये न केवल जल का स्रोत हैं बल्कि पर्यटन और जैव विविधता का भी आधार हैं।

4. हिमनद (Glaciers)

हिमालयी क्षेत्र में हजारों हिमनद स्थित हैं, जिनसे नदियों का उद्गम होता है। ये ग्लेशियर ग्रीष्म ऋतु में पिघलकर निरंतर जल आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।

5. वर्षा और मानसून

भारत की कुल वर्षा का लगभग 80% भाग मानसून पर निर्भर करता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश की जल आवश्यकताओं को पूरा करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।


भारत में जल संसाधनों का भौगोलिक वितरण

भारत में जल संसाधनों का वितरण समान नहीं है।

  • उत्तर-पूर्वी भारत जल संसाधनों में सबसे समृद्ध है।
  • राजस्थान और गुजरात के मरुस्थलीय क्षेत्र जल संकट का सामना करते हैं।
  • दक्षिण भारत की नदियाँ वर्षा आधारित और मौसमी प्रवाह वाली हैं, जबकि उत्तर भारत की नदियाँ हिमालयी ग्लेशियरों से जल प्राप्त करती हैं।


जल संसाधनों का कृषि में उपयोग

भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है।

  • कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 45% हिस्सा सिंचित है।
  • कैनाल सिंचाई, कुएँ और ट्यूबवेल सिंचाई प्रमुख तरीके हैं।
  • हरित क्रांति (Green Revolution) के समय सिंचाई संसाधनों के बेहतर उपयोग ने उत्पादन में वृद्धि की।


जल संसाधनों का औद्योगिक महत्व

भारत का औद्योगिक ढांचा जल पर आधारित है।

  • इस्पात, सीमेंट, वस्त्र, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में जल का उपयोग आवश्यक है।
  • बिजली उत्पादन हेतु थर्मल और हाइड्रो पावर प्लांट्स बड़ी मात्रा में जल की मांग करते हैं।


जल संसाधनों से ऊर्जा उत्पादन

भारत जलविद्युत उत्पादन में विश्व के प्रमुख देशों में से एक है।

  • वर्तमान में लगभग 45,000 मेगावाट क्षमता जलविद्युत परियोजनाओं से आती है।
  • भाखड़ा नांगल, टिहरी, हीराकुंड, सरदार सरोवर जैसी परियोजनाएँ देश की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।


जल संसाधनों से संबंधित चुनौतियाँ

1. जल की असमान उपलब्धता

भारत के कुछ हिस्सों में प्रचुर जल है, जबकि कुछ क्षेत्र जल संकट से जूझ रहे हैं।

2. भूजल का अत्यधिक दोहन

तेजी से बढ़ती जनसंख्या और कृषि की आवश्यकताओं के कारण भूजल स्तर लगातार गिर रहा है।

3. प्रदूषण

नदियाँ और झीलें औद्योगिक अपशिष्ट, घरेलू सीवेज और रसायनों से प्रदूषित हो रही हैं। गंगा और यमुना इस समस्या का उदाहरण हैं।

4. जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून का स्वरूप अस्थिर हो रहा है, जिससे सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।


जल संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता

जल संसाधनों के बेहतर उपयोग हेतु संरक्षण और प्रबंधन जरूरी है।

  • वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) को बढ़ावा देना।
  • ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का प्रयोग।
  • नदियों और तालाबों की सफाई और पुनर्जीवन।
  • इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स (नदियों को जोड़ना) जैसी परियोजनाओं पर कार्य।
  • जनजागरूकता अभियान के माध्यम से जल बचत पर बल।


निष्कर्ष

भारत के जल संसाधन हमारी आर्थिक प्रगति, सामाजिक स्थिरता और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए अनमोल धरोहर हैं। यदि इन संसाधनों का विवेकपूर्ण और सतत उपयोग किया जाए, तो भारत न केवल अपने नागरिकों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जल सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।



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