भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाट

 भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाट

परिचय(Introduction)

भारत का प्रायद्वीपीय पठार प्राकृतिक रूप से दो प्रमुख पर्वतीय श्रृंखलाओं से घिरा है – पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट। ये दोनों ही घाटियाँ भारत की भौगोलिक, जलवायु, जैवविविधता और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।


🌍 पश्चिमी और पूर्वी घाट का परिचय

  • पश्चिमी घाट : इसे सह्याद्रि पर्वत भी कहा जाता है। यह भारत के पश्चिमी तट के समानांतर लगभग 1,600 किमी तक फैला है।
  • पूर्वी घाट : यह खंडित और असतत पर्वत श्रृंखला है, जो ओडिशा से तमिलनाडु तक लगभग 1,200 किमी तक फैली है।


🏞️ भौगोलिक विस्तार

विशेषता पश्चिमी घाट पूर्वी घाट
लंबाई लगभग 1,600 किमी लगभग 1,200 किमी
चौड़ाई 50–80 किमी 100–200 किमी
औसत ऊँचाई 900–1,600 मीटर 600–900 मीटर
सर्वोच्च चोटी अनाईमुड़ी (केरल) – 2,695 मीटर अरमा कोंडा (आंध्र प्रदेश) – 1,680 मीटर
राज्य महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु
प्रकृति सतत (लगातार फैली) श्रृंखला खंडित (अलग-अलग पर्वत खंड)

🌧️ जलवायु पर प्रभाव

  • पश्चिमी घाट : अरेबियन सागर की नमी भरी हवाओं को रोककर भारी वर्षा करवाता है।
  • पूर्वी घाट : बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं का प्रभाव, लेकिन यहाँ वर्षा कम और असमान होती है।


🌿 प्राकृतिक संसाधन और जैव विविधता

पश्चिमी घाट

  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
  • घने उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन
  • प्रमुख नदियाँ : गोदावरी, कृष्णा, कावेरी की सहायक नदियाँ।
  • वन्यजीव अभयारण्य : साइलेंट वैली (केरल), बांदीपुर (कर्नाटक), पेरियार (केरल)।

पूर्वी घाट

  • खंडित पहाड़ियाँ और शुष्क मिश्रित वन।
  • प्रमुख नदियाँ : महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी यहीं से समुद्र में गिरती हैं।
  • अभयारण्य : सिमलीपाल (ओडिशा), श्रीविल्लीपुथुर (तमिलनाडु), नल्लमला (आंध्र प्रदेश)।


⚡ आर्थिक महत्व

  • खनिज संसाधन – पूर्वी घाट में बॉक्साइट, लौह अयस्क, मैंगनीज।
  • कृषि – घाटों से निकलने वाली नदियों की घाटियाँ उपजाऊ।
  • ऊर्जा – बाँध और जलविद्युत (जैसे इडुक्की बाँध, नागार्जुनसागर बाँध)।
  • पर्यटन – ऊटी, मुन्नार, कोडाईकनाल (पश्चिमी घाट) और अराकू घाटी (पूर्वी घाट)।


📊 तथ्य और आँकड़े

  • पश्चिमी घाट का सर्वोच्च बिंदु – अनाईमुड़ी (2,695 मीटर), केरल।
  • पूर्वी घाट का सर्वोच्च बिंदु – अरमा कोंडा (1,680 मीटर), आंध्र प्रदेश।
  • पश्चिमी घाट – भारत की 39 जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक।
  • पूर्वी घाट – खंडित होने के कारण जैव विविधता अपेक्षाकृत कम, परंतु खनिज संपदा से समृद्ध।


⚠️ चुनौतियाँ

  • अतिक्रमण और वनों की कटाई।
  • खनन और उद्योगों का दबाव।
  • जैव विविधता का ह्रास।
  • भूमि कटाव और भूस्खलन।


✅ संरक्षण उपाय

  • राष्ट्रीय उद्यान और जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र।
  • सतत पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा।
  • खनन और अवैध दोहन पर नियंत्रण।
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी।


निष्कर्ष

पश्चिमी और पूर्वी घाट भारत के भौगोलिक और पारिस्थितिक संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल जलवायु नियंत्रक हैं बल्कि नदियों के उद्गम स्थल, जैव विविधता केंद्र और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इनके संरक्षण और सतत उपयोग से ही भारत की प्राकृतिक संपदा आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सकेगी।



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