भारत की जनसंख्या वृद्धि

भारत की जनसंख्या वृद्धि

भारत विश्व का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है। 2023 में भारत ने चीन को पीछे छोड़कर विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या का दर्जा प्राप्त किया। इतनी तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संतुलन पर भी गहराई से पड़ रहा है।


भारत में जनसंख्या वृद्धि का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • 1901 में भारत की जनसंख्या लगभग 23.8 करोड़ थी।
  • 1951 की जनगणना में यह बढ़कर 36 करोड़ हो गई।
  • 1971 तक यह 54 करोड़ पहुँच गई।
  • 2001 की जनगणना में जनसंख्या 102.7 करोड़ दर्ज हुई।
  • 2011 की जनगणना में जनसंख्या 121 करोड़ के पार हो गई।
  • 2023 में अनुमानित जनसंख्या 142 करोड़ से अधिक पहुँच गई है।


भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

1. जन्म दर का उच्च स्तर

  • ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक बच्चों की चाह
  • बाल विवाह और जल्दी मातृत्व।
  • आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का सीमित उपयोग।

2. मृत्यु दर में कमी

  • बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
  • दवाओं और टीकाकरण की उपलब्धता।
  • जीवन प्रत्याशा में वृद्धि।

3. सामाजिक और सांस्कृतिक कारण

  • बच्चों को आर्थिक सहारा और वृद्धावस्था में सहारा मानना।
  • धार्मिक और सामाजिक मान्यताएँ।

4. आर्थिक कारण

  • ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार में अधिक श्रम की आवश्यकता।
  • गरीबी और शिक्षा की कमी।


भारत की जनसंख्या वृद्धि की विशेषताएँ

  1. विश्व जनसंख्या का लगभग 17% भारत में।
  2. जनसंख्या घनत्व लगभग 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।
  3. शहरीकरण में तीव्र वृद्धि – महानगरों पर बोझ।
  4. युवा जनसंख्या का प्रभुत्व – भारत की आधी से अधिक जनसंख्या 30 वर्ष से कम आयु की है।


जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएँ

1. आर्थिक समस्याएँ

  • संसाधनों पर बढ़ता दबाव।
  • बेरोज़गारी और अधरोज़गारी।
  • गरीबी में वृद्धि।

2. सामाजिक समस्याएँ

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी।
  • शहरी झुग्गियों और अव्यवस्थित बसावट का विस्तार।
  • अपराध और सामाजिक तनाव में वृद्धि।

3. पर्यावरणीय समस्याएँ

  • भूमि, जल और ऊर्जा पर दबाव।
  • प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन।
  • वन क्षेत्र और जैव विविधता में कमी।


जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उपाय

  1. परिवार नियोजन कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन।
  2. शिक्षा का प्रसार, विशेषकर महिलाओं के लिए।
  3. महिला सशक्तिकरण और विवाह की न्यूनतम आयु का पालन।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक साधनों की उपलब्धता।
  5. जागरूकता अभियान – छोटे परिवार, सुखी परिवार का संदेश।
  6. आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन।


जनसंख्या वृद्धि के सकारात्मक पहलू

  • विशाल युवा कार्यबल भारत की सबसे बड़ी पूँजी।
  • बड़ा उपभोक्ता बाज़ार, जिससे औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन।
  • वैश्विक स्तर पर मानव संसाधन निर्यात की क्षमता।


निष्कर्ष

भारत की जनसंख्या वृद्धि एक दोहरी धार वाली तलवार है। एक ओर यह विशाल मानव संसाधन का भंडार है, वहीं दूसरी ओर यह संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डालती है। यदि इसे शिक्षा, कौशल विकास, परिवार नियोजन और सतत विकास नीतियों से संतुलित किया जाए, तो यह जनसंख्या वृद्धि भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।



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