भारत की प्रमुख भौगोलिक विशेषताएँ
विविधता और सामरिक महत्व
परिचय
भारत, दक्षिण एशिया का विशाल और विविधताओं से भरा देश, अपनी भौगोलिक विशेषताओं के कारण विश्व में अद्वितीय स्थान रखता है। यहाँ के पर्वत, मैदान, पठार, रेगिस्तान, नदियाँ, तटरेखाएँ और द्वीप समूह मिलकर इसे एक भूगोलिक रूप से समृद्ध राष्ट्र बनाते हैं। इन विशेषताओं का प्रभाव न केवल यहाँ की जलवायु और वनस्पति पर पड़ता है, बल्कि देश के सांस्कृतिक, आर्थिक और सामरिक जीवन को भी आकार देता है।
1. हिमालय पर्वत श्रृंखला
स्थान: भारत के उत्तर में फैली, लगभग 2,400 किलोमीटर लंबी।महत्व
गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का उद्गम स्थल।
बर्फ और ग्लेशियरों का भंडार, जो सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
2. उत्तरी मैदान
विस्तार: पंजाब से असम तक, गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्र।विशेषताएँ:
कृषि के लिए आदर्श।
घनी जनसंख्या और प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र।
3. दक्कन का पठार
स्थान: भारत के दक्षिणी भाग में, त्रिकोणीय आकार का।विशेषताएँ:
कठोर चट्टानों से निर्मित।
खनिज संसाधनों (कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट) में समृद्ध।
गोडावरी, कृष्णा और कावेरी नदियाँ यहाँ से निकलती हैं।
4. तटीय मैदान
पूर्वी तट: बंगाल की खाड़ी के किनारे, चौड़े और उपजाऊ।महत्व:
5. थार मरुस्थल
स्थान: राजस्थान में, भारत के उत्तर-पश्चिम में।विशेषताएँ:
ऊँट और खजूर जैसी मरुस्थलीय जीवनशैली का विकास।
6. द्वीप समूह
लक्षद्वीप: अरब सागर में, प्रवाल द्वीपों से बना।महत्व:
7. प्रमुख नदियाँ और झीलें
नदियाँ: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी।महत्व:
8. वनस्पति और जैव विविधता
वन प्रकार: उष्णकटिबंधीय वर्षावन, शुष्क पर्णपाती वन, अल्पाइन वन।जैव विविधता:
9. जलवायु
प्रकार: उष्णकटिबंधीय मानसूनी।विशेषताएँ:
निष्कर्ष
भारत की भौगोलिक विशेषताएँ इसे न केवल प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाती हैं, बल्कि इसे कृषि, व्यापार, पर्यटन और सामरिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी अद्वितीय स्थान प्रदान करती हैं। पर्वतों से समुद्र तक, मैदानों से मरुस्थल तक, और द्वीपों से नदियों तक – भारत की यह विविधता इसकी संस्कृति और सभ्यता की नींव है।
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