भारत के विभिन्न जातीय समूह

भारत के विभिन्न जातीय समूह और उनके पारंपरिक क्षेत्र

भारत विश्व का एक ऐसा देश है जहाँ जातीय, सांस्कृतिक और भाषाई विविधता अत्यधिक पाई जाती है। यहाँ के जातीय समूह न केवल भाषा और संस्कृति में अलग हैं, बल्कि उनके पारंपरिक क्षेत्र, जीवन शैली, खान-पान और पहनावा भी विशिष्ट हैं। इस विविधता ने भारत को "विविधता में एकता" का उदाहरण बनाया है।


भारत में जातीय समूहों का वर्गीकरण

भारत के जातीय समूहों को मुख्यतः निम्न आधार पर बाँटा जा सकता है –

  1. आर्य जातीय समूह
  2. द्रविड़ जातीय समूह
  3. ऑस्ट्रिक या ऑस्ट्रो-एशियाटिक समूह
  4. मंगोलॉयड जातीय समूह
  5. नीग्रिटो जातीय समूह


भारत के प्रमुख जातीय समूह और उनके पारंपरिक क्षेत्र

जातीय समूह विशेषताएँ पारंपरिक क्षेत्र
आर्य इंडो-यूरोपीय भाषा बोलने वाले, कृषि प्रधान समाज उत्तर भारत, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार
द्रविड़ द्रविड़ भाषा परिवार, प्राचीन सिंधु सभ्यता से जुड़ाव दक्षिण भारत – तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल
ऑस्ट्रिक (ऑस्ट्रो-एशियाटिक) मुंडा और संथाली भाषाएँ बोलने वाले, जनजातीय जीवन शैली झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश
मंगोलॉयड तिब्बती-बर्मी भाषा समूह, पूर्वोत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्र असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम
नीग्रिटो भारत का सबसे प्राचीन जातीय समूह, शिकारी-संग्राहक जीवन शैली अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (जैसे – ओंगे, जारवा, सेंटिनलीज़)

जनजातीय समुदाय और उनके क्षेत्र

भारत की पहचान उसके जनजातीय समुदायों से भी है, जो अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए हैं।

जनजाति पारंपरिक क्षेत्र विशेषताएँ
संथाल झारखंड, पश्चिम बंगाल कृषि प्रधान, नृत्य और संगीत की परंपरा
भील राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश तीरंदाजी में निपुण
गोंड मध्य भारत – छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश प्रकृति पूजा और लोककथाएँ
नागा नागालैंड युद्धकला और रंग-बिरंगे परिधान
मिज़ो मिज़ोरम 'चेराव' बांस नृत्य
खासी मेघालय मातृसत्तात्मक समाज
टोड़ा नीलगिरि (तमिलनाडु) पशुपालन आधारित जीवन
भोटिया उत्तराखंड, हिमालय क्षेत्र व्यापार और ऊन उद्योग
ओंगे, जारवा, सेंटिनलीज़ अंडमान-निकोबार द्वीप शिकार और संग्रह पर आधारित जीवनशैली

जातीय समूहों की सांस्कृतिक विशेषताएँ

  • भाषा – भारत में 22 अनुसूचित भाषाएँ और 1600 से अधिक बोलियाँ।
  • पहनावा – उत्तर भारत में धोती-कुर्ता और साड़ी, दक्षिण में लुंगी और साड़ी, पूर्वोत्तर में पारंपरिक जनजातीय परिधान।
  • खान-पान – उत्तर भारत में गेहूँ आधारित भोजन, दक्षिण भारत में चावल, पूर्वोत्तर में मछली और मांस आधारित आहार।
  • धार्मिक मान्यताएँ – हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिख और आदिवासी धार्मिक प्रथाएँ।


निष्कर्ष

भारत के विभिन्न जातीय समूह और उनके पारंपरिक क्षेत्र इस देश को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाते हैं। प्रत्येक जातीय समूह अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली के माध्यम से भारत की विविधता और बहुलता को मजबूत करता है। यह विविधता ही भारत की सांस्कृतिक धरोहर और पहचान है।


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