भारत में कोयला
भारत एक खनिज संपदा सम्पन्न देश है और यहाँ कोयला सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा खनिजों में से एक है। भारत में कोयला संसाधन न केवल ऊर्जा उत्पादन का प्रमुख आधार हैं, बल्कि यह देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास की रीढ़ भी है।
भारत में कोयले का महत्व
- ऊर्जा उत्पादन: भारत की कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 55% हिस्सा थर्मल पावर प्लांट्स से आता है, जो कोयले पर आधारित हैं।
- औद्योगिक उपयोग: इस्पात, सीमेंट, ईंट-भट्टों और रसायन उद्योग में कोयले का प्रयोग होता है।
- परिवहन: रेलवे इंजन पहले कोयले से चलते थे और अब भी कई औद्योगिक परिवहन तंत्र में इसका उपयोग होता है।
- रोजगार: खनन क्षेत्र में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
भारत में कोयले के भंडार
भारत में कोयला भंडार लगभग ३१९ अरब टन (2024 के अनुमान अनुसार) है, जो इसे विश्व के सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देशों में शामिल करता है।
प्रमुख कोयला क्षेत्र
- झारखंड: झरिया, बोकारो, गिरिडीह।
- ओडिशा: तलचेर, इब वैली।
- छत्तीसगढ़: कोरबा, हसदो-अरंड।
- पश्चिम बंगाल: रानीगंज।
- मध्य प्रदेश: सिंगरौली।
- तेलंगाना: सिंगरेनी कोलफील्ड्स।
इनके अलावा महाराष्ट्र, मेघालय, असम और नागालैंड में भी छोटे भंडार पाए जाते हैं।
भारत में कोयले के प्रकार
भारत में कोयले को उसकी गुणवत्ता और कार्बन प्रतिशत के आधार पर निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
एन्थ्रासाइट (Anthracite):
सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला।कार्बन की मात्रा: 80–90%।
क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर।
बिटुमिनस (Bituminous):
कार्बन की मात्रा: 60–80%।
लिग्नाइट (Lignite):
पीट (Peat):
सबसे निम्न श्रेणी का कोयला, ऊर्जा उत्पादन में कम उपयोगी।भारत में कोयला उत्पादन
भारत कोयला उत्पादन में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है।प्रमुख कोयला उत्पादक कंपनियाँ:
सिंगरेनी कोलफील्ड्स कंपनी लिमिटेड (SCCL)।
भारत में कोयले से संबंधित चुनौतियाँ
गुणवत्ता की समस्या:
भारत में अधिकतर कोयला निम्न श्रेणी का है और इसमें राख की मात्रा अधिक होती है।पर्यावरण प्रदूषण:
कोयला खनन और जलाने से वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और भूमि क्षरण होता है।भंडारण और परिवहन की समस्या:
कोयले को खदान से बिजलीघरों तक पहुँचाने में कठिनाई होती है।आयात पर निर्भरता:
भारत अपनी आवश्यकताओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला कोयला ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया से आयात करता है।कोयला संरक्षण और भविष्य की दिशा
- स्वच्छ कोयला तकनीक (Clean Coal Technology): प्रदूषण कम करने हेतु।
- खनन क्षेत्र का आधुनिकीकरण: नई मशीनों और तकनीक का प्रयोग।
- वैकल्पिक ऊर्जा पर ध्यान: सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा।
- नीतिगत सुधार: सरकार द्वारा कोयला खनन में निजी निवेश को बढ़ावा।
निष्कर्ष
भारत में कोयला देश की ऊर्जा और औद्योगिक प्रगति का आधारभूत स्तंभ है। यद्यपि इसके उपयोग से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, फिर भी वर्तमान समय में यह भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति का सबसे बड़ा साधन है। यदि सतत खनन और स्वच्छ तकनीक अपनाई जाए, तो कोयला आने वाले दशकों तक भारत की अर्थव्यवस्था को गति देता रहेगा।
 
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