वन और वन्यजीव संरक्षण

वन और वन्यजीव संरक्षण

भारत की प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा

परिचय

भारत विश्व के उन देशों में से एक है जहाँ विविध जलवायु, भौगोलिक परिस्थितियाँ और पारिस्थितिकी तंत्र होने के कारण असीमित वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं। परंतु वनों की कटाई, अवैध शिकार, औद्योगिक विकास और जलवायु परिवर्तन के कारण इन संसाधनों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में वन और वन्यजीव संरक्षण न केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए, बल्कि मानव अस्तित्व के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।


वन संरक्षण का महत्व

पर्यावरणीय संतुलन

वन ऑक्सीजन उत्पादन, कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण और वर्षा चक्र बनाए रखने में मदद करते हैं।

जैव विविधता का संरक्षण

वन हजारों प्रकार की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के प्राकृतिक आवास हैं।

मृदा और जल संरक्षण

पेड़ों की जड़ें मिट्टी को कटाव से बचाती हैं और वर्षा जल का भंडारण करती हैं।

आर्थिक संसाधन

लकड़ी, औषधीय पौधे, रबर, गोंद और अन्य वन उत्पाद जीवन और उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।


वन्यजीव संरक्षण का महत्व

पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका

हर जीव-जंतु का पारिस्थितिकी तंत्र में विशिष्ट स्थान और भूमिका होती है, जो खाद्य श्रृंखला को संतुलित रखती है।

विलुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण

टाइगर, शेर, गैंडा, हाथी जैसी प्रजातियों की संख्या तेजी से घट रही है, जिन्हें बचाना आवश्यक है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

अनेक वन्यजीव भारतीय संस्कृति, लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं में विशेष स्थान रखते हैं।


भारत में वन और वन्यजीव संरक्षण के प्रमुख प्रयास

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972

वन्यजीवों के शिकार, व्यापार और आवास के विनाश पर रोक लगाने के लिए बनाया गया।

राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य

संरक्षित क्षेत्रों में वनस्पति और जीव-जंतुओं को सुरक्षित आवास प्रदान किया जाता है।

बायोस्फीयर रिजर्व

ये क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र के संपूर्ण संरक्षण और अनुसंधान के लिए बनाए गए हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट

विशेष योजनाएँ जिनका उद्देश्य बाघ और हाथी जैसे प्रमुख प्रजातियों का संरक्षण करना है।


वन और वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियाँ

वनों की कटाई

शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और कृषि विस्तार के कारण वनों का क्षरण।

अवैध शिकार और तस्करी

वन्यजीवों की खाल, हड्डी, दाँत और अन्य अंगों के लिए अवैध शिकार।

मानव-वन्यजीव संघर्ष

आवासीय क्षेत्रों के वन्यजीव क्षेत्र में घुसपैठ से टकराव की घटनाएँ बढ़ना।

जलवायु परिवर्तन

तापमान में वृद्धि और मौसम पैटर्न में बदलाव से आवास प्रभावित होना।


संरक्षण के उपाय

कानूनी प्रवर्तन

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और वन अधिनियम का सख्ती से पालन।

सामुदायिक भागीदारी

स्थानीय लोगों को वन संरक्षण में शामिल करना और उनके लिए वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध कराना।

पर्यावरणीय शिक्षा

स्कूल और समाज में जागरूकता कार्यक्रम चलाना।

वनरोपण और पुनर्वास

कटे हुए वनों को पुनः उगाना और वन्यजीव आवास का पुनर्स्थापन।


निष्कर्ष

भारत के वन और वन्यजीव हमारी सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय धरोहर हैं। इन्हें संरक्षित रखना न केवल हमारी जिम्मेदारी है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अनिवार्यता भी है। यदि हम कानूनी सुरक्षा, जनभागीदारी और सतत विकास के सिद्धांतों पर चलें, तो हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को लंबे समय तक संरक्षित रख सकते हैं।



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