भारतीय जलवायु का प्रकार

भारतीय जलवायु का प्रकार

परिचय

भारत की जलवायु उसकी भौगोलिक स्थिति, स्थलाकृति और महासागरों के निकटता के कारण विविध और जटिल है। भारत उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद यहाँ पर अत्यधिक ठंड से लेकर प्रचंड गर्मी और भारी वर्षा से लेकर शुष्क मरुस्थलीय परिस्थितियाँ तक देखने को मिलती हैं। कोप्पेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार भारत में मुख्यतः उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है, जो मौसमी हवाओं के बदलाव से नियंत्रित होती है।


भारतीय जलवायु की मुख्य विशेषताएँ

  • मौसमी हवाओं का प्रभाव: मानसून का आगमन और वापसी।
  • तापमान में भिन्नता: उत्तर के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर दक्षिण के तटीय क्षेत्रों तक तापमान में बड़ा अंतर।
  • वर्षा का असमान वितरण: मेघालय के मासिनराम में सबसे अधिक वर्षा और राजस्थान के थार मरुस्थल में न्यूनतम वर्षा।
  • चार स्पष्ट ऋतुएँ: शीत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, और शरद/उत्तर मानसून ऋतु।


भारतीय जलवायु के प्रकार

उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु

  • स्थान: पश्चिमी तट, केरल, कर्नाटक, गोवा, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्य।
  • विशेषता: वर्षभर ऊँचा तापमान और अधिक वर्षा (200 से 400 सेमी)।
  • मुख्य कारण: अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा के मानसून की नमी।

उष्णकटिबंधीय शुष्क जलवायु

  • स्थान: राजस्थान का थार मरुस्थल, गुजरात का कच्छ एवं सौराष्ट्र।
  • विशेषता: अत्यंत कम वर्षा (20 से 50 सेमी), गर्म दिन और ठंडी रातें।
  • मुख्य कारण: मानसून की हवाओं का अवरोध और समुद्र से दूरी।

उष्णकटिबंधीय अर्ध-शुष्क जलवायु

  • स्थान: पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भाग।
  • विशेषता: मध्यम वर्षा (50 से 100 सेमी), गर्मी में ऊँचा तापमान।

उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु

  • स्थान: गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदान, उत्तरी भारत का अधिकांश भाग।
  • विशेषता: गर्म ग्रीष्म, ठंडी शीत ऋतु, वर्षा मानसून से।

पर्वतीय जलवायु

  • स्थान: हिमालय, उत्तर-पूर्वी पहाड़ियाँ।
  • विशेषता: ऊँचाई के अनुसार तापमान और वर्षा में अंतर, उच्च हिमालय में बर्फबारी।


भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक

भौगोलिक स्थिति

भारत का उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में होना, भूमध्य रेखा से दूरी, और उत्तरी अक्षांशीय विस्तार जलवायु की विविधता में योगदान देता है।

हिमालय पर्वत

हिमालय ठंडी मध्य एशियाई हवाओं को रोकता है और मानसून की नमी को भारत में बनाए रखता है।

समुद्र का प्रभाव

तटीय क्षेत्रों में समुद्री हवाओं के कारण तापमान में कम उतार-चढ़ाव होता है।

मानसून

मानसून भारत की जलवायु का प्रमुख निर्धारक है, जो ग्रीष्मकालीन वर्षा का 80% लाता है।

ऊँचाई और स्थलाकृति

पठार, पर्वत, घाटियाँ और मैदान — सभी तापमान और वर्षा को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करते हैं।


निष्कर्ष

भारत की जलवायु की विविधता इसे कृषि, जैव विविधता और सांस्कृतिक जीवन के लिए अद्वितीय बनाती है। यहाँ का मानसूनी तंत्र जीवन का आधार है, जो जल, कृषि और पर्यावरण के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जलवायु परिवर्तन और असंतुलित मानव क्रियाकलाप इस तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं, इसलिए इसका संरक्षण अत्यावश्यक है।



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