भारतीय खाद्यान्न उत्पादन
भारत विश्व के प्रमुख कृषि उत्पादक देशों में से एक है। यहाँ की विशाल जनसंख्या का मुख्य आहार अनाज है, इसलिए खाद्यान्न उत्पादन भारतीय कृषि का आधार स्तंभ माना जाता है। भारत में धान, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा और दलहन प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं। कृषि वैज्ञानिकों, हरित क्रांति और आधुनिक तकनीक ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया है।
भारतीय खाद्यान्न उत्पादन का महत्व
- देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य सहारा।
- रोजगार और आय का प्रमुख स्रोत।
- खाद्यान्न अधिशेष से निर्यात क्षमता में वृद्धि।
- औद्योगिक विकास के लिए कच्चे माल की आपूर्ति।
भारत में प्रमुख खाद्यान्न फसलें
1. धान (Rice)
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक देश है।
- प्रमुख क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, बिहार।
- मुख्यतः खरीफ फसल।
- सिंचित क्षेत्रों में वर्षभर दो से तीन बार खेती संभव।
2. गेहूँ (Wheat)
- भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक।
- प्रमुख क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान।
- मुख्यतः रबी फसल।
- भारत का "धान-गेहूँ उत्पादन पट्टी" सबसे अधिक उपजाऊ।
3. मक्का (Maize)
- "अनाजों की रानी" कहलाती है।
- प्रमुख क्षेत्र: कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश।
- खाद्य, पशु आहार और औद्योगिक उपयोग में प्रयोग।
4. ज्वार (Jowar)
- प्रमुख क्षेत्र: महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश।
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों की फसल।
- मोटा अनाज, पोषण में समृद्ध।
5. बाजरा (Bajra)
- प्रमुख क्षेत्र: राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात।
- शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाने वाली फसल।
- पोषण का अच्छा स्रोत, "मिलेट्स" के रूप में प्रसिद्ध।
6. दलहन (Pulses)
- भारत विश्व का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक।
- प्रमुख फसलें: अरहर, मसूर, चना, मूंग, उड़द।
- क्षेत्र: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- दलहन मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती हैं।
भारतीय खाद्यान्न उत्पादन में प्रगति
हरित क्रांति का योगदान
- 1960 के दशक में प्रारंभ हुई।
- उच्च उपज वाली किस्में (HYV seeds)।
- सिंचाई सुविधाएँ और रासायनिक उर्वरक का उपयोग।
- परिणाम: भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना।
आधुनिक तकनीक का प्रयोग
- ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, ड्रिप इरिगेशन का प्रसार।
- जैविक और हाइब्रिड बीजों का उपयोग।
- डिजिटल खेती और स्मार्ट एग्रीकल्चर।
भारतीय खाद्यान्न उत्पादन की चुनौतियाँ
- भूमि का विखंडन और छोटे जोत।
- सिंचाई और जल प्रबंधन की समस्या।
- अत्यधिक रासायनिक खादों से मिट्टी की उर्वरता कम होना।
- जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून।
- फसल कटाई के बाद भंडारण और विपणन की कमी।
- किसानों को उचित मूल्य न मिलना।
खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के सुधारात्मक उपाय
- सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का उपयोग।
- फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना।
- जैविक खाद और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन।
- कोल्ड स्टोरेज और आधुनिक गोदामों का निर्माण।
- किसानों को MSP और प्रत्यक्ष बाजार पहुँच उपलब्ध कराना।
- अनुसंधान और विकास में निवेश।
निष्कर्ष
भारतीय खाद्यान्न उत्पादन न केवल करोड़ों लोगों का पेट भरता है बल्कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है। यदि वैज्ञानिक तकनीकों, जल प्रबंधन, जैविक खेती और बेहतर विपणन की दिशा में सुधार किए जाएँ, तो भारत खाद्यान्न उत्पादन में विश्व में अग्रणी स्थान बनाए रख सकता है।
 
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