भारत में मानसून(Indian Monsoon)
परिचय
भारत की जलवायु की सबसे बड़ी विशेषता है मानसून (Monsoon)। यह केवल मौसमी पवन प्रणाली नहीं है बल्कि भारत की कृषि, अर्थव्यवस्था, जल संसाधन और सामाजिक जीवन का आधार भी है। भारत को “मानसून का देश” कहा जाता है क्योंकि यहाँ की वर्षा का लगभग 70-80% भाग मानसून से प्राप्त होता है।
🌍 मानसून की परिभाषा
मानसून शब्द अरबी भाषा के “मौसिम” से बना है, जिसका अर्थ है ऋतु।
यह पवनों का ऐसा तंत्र है जिसमें हवा की दिशा हर छः महीने में बदलती है –
- ग्रीष्म ऋतु में – समुद्र से भूमि की ओर (वर्षा लाती है)।
- शीत ऋतु में – भूमि से समुद्र की ओर (शुष्क रहती है)।
🌀 मानसून का तंत्र (Mechanism)
- तापीय अंतर – ग्रीष्म ऋतु में उत्तर भारत की भूमि बहुत गर्म हो जाती है, जबकि हिंद महासागर अपेक्षाकृत ठंडा रहता है।
- निम्न दाब क्षेत्र – थार मरुस्थल और उत्तरी मैदानों में निम्न दाब क्षेत्र बनता है।
- दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें – भूमध्य रेखा पार करने के बाद ये पवनें दक्षिण-पश्चिमी हो जाती हैं और जलवाष्प से भरी होती हैं।
- हिमालय की भूमिका – मानसून की हवाओं को रोककर भारत में वर्षा कराने में सहायक।
🌧️ मानसून के प्रकार
1. दक्षिण-पश्चिमी मानसून (SW Monsoon)
- समय: जून से सितंबर
- यह भारत की मुख्य वर्षा ऋतु है।
- अरेबियन सागर शाखा – पश्चिमी घाट, गुजरात, राजस्थान तक।
- बंगाल की खाड़ी शाखा – असम, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत तक।
2. उत्तर-पूर्वी मानसून (NE Monsoon)
- समय: अक्टूबर से दिसंबर
- इसे “शीतकालीन मानसून” भी कहते हैं।
- मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में वर्षा।
- बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर वर्षा करता है।
📊 आँकड़े (2025 तक)
- भारत की औसत वार्षिक वर्षा: 1170 मिमी।
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून से: ~75% वर्षा।
- उत्तर-पूर्वी मानसून से: ~11% वर्षा।
- सर्वाधिक वर्षा: मौसिनराम (मेघालय) – ~11,872 मिमी/वर्ष (विश्व का सर्वाधिक वर्षा स्थल)।
- न्यूनतम वर्षा: जैसलमेर (राजस्थान) – ~10-15 सेमी/वर्ष।
🌱 भारतीय कृषि में मानसून का महत्व
- भारत की 55% कृषि भूमि वर्षा पर निर्भर है।
- खरीफ फसलें (धान, मक्का, कपास, ज्वार) मानसून पर आधारित हैं।
- समय पर मानसून आने से अन्न उत्पादन बढ़ता है, देर या कमजोर मानसून से सूखा और महँगाई।
⚠️ मानसून से जुड़ी समस्याएँ
- अनियमितता – कभी अधिक, कभी कम वर्षा।
- विलंब – देर से आने पर बोआई प्रभावित।
- बाढ़ और सूखा – एक ही वर्ष में अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों स्थिति।
- जलवायु परिवर्तन – मानसून की स्थिरता पर गंभीर असर डाल रहा है।
✅ समाधान और उपाय
- सिंचाई प्रणालियों का विस्तार।
- जल संरक्षण – तालाब, चेक डैम, रेनवाटर हार्वेस्टिंग।
- मौसम पूर्वानुमान तकनीक का विकास (IMD और ISRO की सैटेलाइट सेवाएँ)।
- फसल विविधिकरण और सूखा-प्रतिरोधी बीज का उपयोग।
निष्कर्ष
मानसून भारत के लिए केवल मौसम का चक्र नहीं बल्कि जीवन रेखा है। यह कृषि उत्पादन, ऊर्जा, पेयजल और पर्यावरण सभी को प्रभावित करता है। यदि हम मानसून की अनिश्चितताओं को आधुनिक तकनीक, जल प्रबंधन और कृषि सुधारों से संतुलित कर पाएँ, तो यह भारत के सतत विकास में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकता है।
 
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