नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक

 नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक

(Comptroller and Auditor General of India – CAG)

परिचय(Introduction)

भारतीय संविधान ने लोकतंत्र और वित्तीय अनुशासन को मजबूत करने के लिए कई स्वतंत्र संस्थाएँ बनाई हैं। इन्हीं में से एक है नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG)। इसे अक्सर संसद और जनता के लिए “संविधान का प्रहरी” कहा जाता है क्योंकि यह सरकार के खर्च और आय पर नज़र रखता है।


📜 संवैधानिक आधार

  • अनुच्छेद 148 – CAG का पद और नियुक्ति।
  • अनुच्छेद 149 – CAG के कर्तव्य और शक्तियाँ।
  • अनुच्छेद 150 – भारत और राज्यों के खातों का प्रारूप राष्ट्रपति द्वारा CAG की सलाह पर।
  • अनुच्छेद 151 – केंद्र और राज्यों की ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा संसद/विधानसभा में प्रस्तुत।


🏛️ CAG की नियुक्ति और कार्यकाल

  • नियुक्ति : राष्ट्रपति द्वारा।
  • कार्यकाल : 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो)।
  • हटाने की प्रक्रिया :
  • सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह – केवल संसद के महाभियोग द्वारा।
  • शपथ : राष्ट्रपति द्वारा।


⚖️ प्रमुख कार्य और शक्तियाँ

लेखा परीक्षण (Audit)

केंद्र और राज्य सरकारों के सभी व्यय और प्राप्तियों का परीक्षण।
सार्वजनिक उपक्रमों और स्वायत्त संस्थाओं का लेखा परीक्षण।

संवैधानिक संस्थाओं की जाँच

संसद और विधानसभाओं द्वारा विनियोजित धन का सही उपयोग हुआ या नहीं।

रिपोर्ट तैयार करना

वार्षिक रिपोर्ट राष्ट्रपति/राज्यपाल को भेजना।
संसद/विधानसभा में प्रस्तुत कराना।

लेखांकन संबंधी परामर्श

भारत सरकार और राज्य सरकार के खातों के प्रारूप के संबंध में सलाह देना।

स्वायत्त शक्तियाँ

सरकार CAG की रिपोर्ट को बदल नहीं सकती।
यह संस्था पूरी तरह स्वतंत्र है।

📊 CAG की भूमिका

  • इसे अक्सर “लोक लेखा समिति (PAC) की आँख और कान” कहा जाता है।
  • संसद में वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करना।
  • भ्रष्टाचार और ग़ैरकानूनी खर्च पर नज़र रखना।
  • पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देना।


✅ महत्वपूर्ण तथ्य

  • CAG की सिफारिशों के आधार पर ही कई घोटाले उजागर हुए, जैसे –

    2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2010)
  • कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला (2012)
  • वर्तमान समय (2025 तक) में भारत के CAG हैं गिरिशचंद्र मुर्मू (2020 से पद पर)।
  • CAG भारत का प्रतिनिधित्व संयुक्त राष्ट्र के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में भी करता है।


⚠️ सीमाएँ और चुनौतियाँ

  • CAG केवल रिपोर्ट तैयार करता है, दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता।
  • रिपोर्ट का असर इस पर निर्भर करता है कि संसद/विधानसभा और PAC कितनी गंभीरता से कार्यवाही करती है।
  • अत्यधिक कार्यभार और सीमित संसाधन।


🌍 अंतरराष्ट्रीय तुलना

  • ब्रिटेन में Auditor General और अमेरिका में GAO (Government Accountability Office) जैसी संस्थाएँ हैं।
  • परंतु भारत का CAG अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक स्थिति के कारण विश्व स्तर पर विशेष स्थान रखता है।


🔑 निष्कर्ष

भारतीय लोकतंत्र में CAG एक संवैधानिक प्रहरी है। यह सुनिश्चित करता है कि जनता का पैसा सही जगह और सही तरीके से खर्च हो। इसकी स्वतंत्रता और रिपोर्टिंग व्यवस्था लोकतंत्र को जवाबदेह और पारदर्शी बनाती है।



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