कोरल सागर (Coral Sea)
भूगोल, इतिहास और सामरिक महत्व
कोरल सागर (Coral Sea) दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत महासागर का एक प्रमुख सागर है, जो अपने कोरल रीफ (प्रवाल भित्ति), समृद्ध जैव विविधता, सामरिक स्थिति और द्वितीय विश्व युद्ध के ऐतिहासिक युद्ध के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह सागर ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत द्वीपों के बीच स्थित है और इसमें दुनिया की सबसे बड़ी ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef) मौजूद है।
कोरल सागर का परिचय
- स्थान: दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर
- पश्चिम: ऑस्ट्रेलिया (क्वींसलैंड तट)
- उत्तर: पापुआ न्यू गिनी
- पूर्व: सोलोमन द्वीप समूह और वानुअतु
- दक्षिण: प्रशांत महासागर का खुला भाग
- क्षेत्रफल: लगभग 47 लाख वर्ग किमी
- औसत गहराई: 2,394 मीटर
- अधिकतम गहराई: लगभग 9,140 मीटर
कोरल सागर से जुड़े देश
- ऑस्ट्रेलिया
- पापुआ न्यू गिनी
- सोलोमन द्वीप समूह
- वानुअतु
प्रमुख क्षेत्र और द्वीप
ग्रेट बैरियर रीफ (Great Barrier Reef)
विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति प्रणाली, जो युनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।कोरल सागर द्वीप (Coral Sea Islands)
ऑस्ट्रेलिया का संरक्षित क्षेत्र।चेस्टरफील्ड द्वीप (Chesterfield Islands, फ्रांस के अधीन)
कोरल सागर का ऐतिहासिक महत्व
प्राचीन काल
यहाँ के द्वीपों का उपयोग प्रशांत द्वीपों के निवासियों द्वारा समुद्री यात्रा और मत्स्य पालन के लिए किया जाता था।आधुनिक काल
द्वितीय विश्व युद्ध (1942) का "कोरल सागर का युद्ध (Battle of the Coral Sea)" यहाँ हुआ था।
यह इतिहास का पहला नौसैनिक युद्ध था जिसमें विरोधी जहाज एक-दूसरे से सीधे भिड़े बिना हवाई जहाजों के जरिए लड़े।
इस युद्ध में जापान को बड़ी रणनीतिक हार मिली और इसका प्रशांत युद्ध पर गहरा प्रभाव पड़ा।
यह इतिहास का पहला नौसैनिक युद्ध था जिसमें विरोधी जहाज एक-दूसरे से सीधे भिड़े बिना हवाई जहाजों के जरिए लड़े।
इस युद्ध में जापान को बड़ी रणनीतिक हार मिली और इसका प्रशांत युद्ध पर गहरा प्रभाव पड़ा।
आर्थिक महत्व
मत्स्य उद्योग:
यह क्षेत्र टूना, झींगा, लॉब्स्टर और कोरल मछलियों के लिए प्रसिद्ध है।पर्यटन उद्योग:
ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री पर्यटन आकर्षण है।
यहाँ पर हर साल लाखों पर्यटक स्नॉर्कलिंग और स्कूबा डाइविंग के लिए आते हैं।
यहाँ पर हर साल लाखों पर्यटक स्नॉर्कलिंग और स्कूबा डाइविंग के लिए आते हैं।
ऊर्जा संसाधन:
यहाँ तेल और प्राकृतिक गैस की संभावनाएँ हैं, हालांकि पर्यावरणीय कारणों से दोहन सीमित है।सामरिक महत्व
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसका महत्व असाधारण था।
- आज भी यह सागर ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और प्रशांत देशों की नौसैनिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह क्षेत्र हिंद-प्रशांत रणनीति (Indo-Pacific Strategy) में प्रमुख स्थान रखता है।
पर्यावरणीय महत्व और चुनौतियाँ
जैव विविधता
यह सागर हजारों प्रजातियों की मछलियों, कोरल, समुद्री कछुओं और समुद्री घासों का घर है।चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन और समुद्र का बढ़ता तापमान – जिसके कारण कोरल ब्लीचिंग (Coral Bleaching) बढ़ रही है।
अत्यधिक मछली पकड़ना (Overfishing)
प्रदूषण और पर्यटन का दबाव
समुद्र स्तर में वृद्धि
अत्यधिक मछली पकड़ना (Overfishing)
प्रदूषण और पर्यटन का दबाव
समुद्र स्तर में वृद्धि
प्रमुख बंदरगाह
देश | प्रमुख बंदरगाह |
---|---|
ऑस्ट्रेलिया | केर्न्स, टाउनस्विल, ब्रिस्बेन |
पापुआ न्यू गिनी | पोर्ट मोरेस्बी |
सोलोमन द्वीप | होनिआरा |
निष्कर्ष
कोरल सागर (Coral Sea) केवल एक समुद्री क्षेत्र नहीं बल्कि प्राकृतिक धरोहर, आर्थिक संसाधन और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र है। ग्रेट बैरियर रीफ इसे अद्वितीय बनाता है, जबकि द्वितीय विश्व युद्ध का युद्धक्षेत्र इसे ऐतिहासिक महत्व देता है। यह सागर आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन और सामरिक रणनीति के लिए और भी महत्वपूर्ण होता जाएगा।
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