भारत में चक्रवाती तूफान

भारत में चक्रवाती तूफान

कारण, प्रभाव और प्रबंधन

भारत भौगोलिक दृष्टि से ऐसा देश है जहाँ चक्रवाती तूफान (Cyclones) बार-बार आते हैं। विशेष रूप से पूर्वी तट (बंगाल की खाड़ी) और पश्चिमी तट (अरब सागर) पर हर वर्ष कई चक्रवात बनते हैं। ये तूफान न केवल तेज़ हवाओं और भारी वर्षा के कारण खतरनाक होते हैं, बल्कि समुद्री तटीय क्षेत्रों की जनसंख्या, कृषि और बुनियादी ढाँचे को भी व्यापक नुकसान पहुँचाते हैं।


चक्रवाती तूफान क्या है?

चक्रवाती तूफान एक कम दाब का क्षेत्र होता है, जो समुद्र की सतह से अत्यधिक वाष्पीकरण और गर्म हवा के ऊपर उठने से बनता है। जब हवा गोलाकार घूमने लगती है और केंद्र में कम दाब होता है, तो यह भयंकर हवाओं और मूसलाधार वर्षा का कारण बनता है।


भारत में चक्रवात बनने के प्रमुख कारण

  1. उच्च समुद्री सतह का तापमान (27°C से अधिक)
  2. नमी से भरा वातावरण
  3. पृथ्वी के घूर्णन (कोरिओलिस प्रभाव) से हवाओं का घूमना
  4. कम दबाव का क्षेत्र
  5. मॉनसून की हवाओं में बदलाव


भारत में चक्रवात प्रभावित क्षेत्र

भारत का लगभग 7,500 किमी लंबा तटवर्ती क्षेत्र चक्रवात संभावित है।

तट विशेषताएँ प्रमुख प्रभावित राज्य
पूर्वी तट (बंगाल की खाड़ी) सबसे अधिक चक्रवात, घनी आबादी ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु
पश्चिमी तट (अरब सागर) अपेक्षाकृत कम लेकिन शक्तिशाली चक्रवात गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक

भारत में प्रमुख चक्रवात घटनाएँ

वर्ष चक्रवात का नाम प्रभावित क्षेत्र मुख्य प्रभाव
1970 भोलाचक्रवात बंगाल की खाड़ी लाखों मौतें (विशेषकर बांग्लादेश)
1999 सुपर साइक्लोन ओडिशा 10,000 से अधिक मौतें, 2 करोड़ प्रभावित
2013 चक्रवात फाइलिन ओडिशा, आंध्र प्रदेश लाखों लोग बेघर
2014 चक्रवात हुदहुद आंध्र प्रदेश, ओडिशा 11,000 करोड़ का नुकसान
2017 चक्रवात ओखी केरल, तमिलनाडु मछुआरे लापता, भारी नुकसान
2019 चक्रवात फानी ओडिशा, पश्चिम बंगाल 64 मौतें, 1.6 करोड़ प्रभावित
2020 चक्रवात अम्फान पश्चिम बंगाल, ओडिशा कोलकाता में भारी तबाही
2021 चक्रवात तौकते गुजरात, महाराष्ट्र अरब सागर में सबसे खतरनाक तूफान
2021 चक्रवात यास ओडिशा, बंगाल तटीय गाँव जलमग्न

चक्रवात के प्रभाव

  • मानव जीवन की हानि – हज़ारों लोगों की मृत्यु और विस्थापन।
  • कृषि पर प्रभाव – फसलें बर्बाद, भूमि लवणीय हो जाती है।
  • बुनियादी ढाँचे को नुकसान – सड़क, बिजली, मकान और पुल नष्ट।
  • आर्थिक हानि – उद्योग, व्यापार और मत्स्य पालन प्रभावित।
  • स्वास्थ्य संकट – दूषित पानी से बीमारियाँ (हैजा, डेंगू)।


भारत में चक्रवात प्रबंधन और रोकथाम

  1. चक्रवात पूर्व चेतावनी प्रणाली (IMD, NDMA) – उपग्रह और रडार से निगरानी।
  2. चक्रवात शेल्टर का निर्माण – तटीय क्षेत्रों में सुरक्षित भवन।
  3. तटबंध और मैंग्रोव संरक्षण – समुद्री लहरों से सुरक्षा।
  4. आपदा प्रबंधन दल (NDRF, SDRF) – राहत और बचाव कार्य।
  5. सामुदायिक भागीदारी – स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण और जागरूकता।
  6. सस्टेनेबल तटीय विकास – पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।


निष्कर्ष

भारत में चक्रवाती तूफान एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जो हर वर्ष लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यदि समय पर पूर्व चेतावनी, आपदा प्रबंधन और तटीय संरक्षण उपाय अपनाए जाएँ, तो इन तूफानों से होने वाली जनहानि और आर्थिक हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है।


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