धर्मनिरपेक्षता (Secularism in India)
परिचय(Introduction)
भारतीय संविधान का एक मूल आधार है धर्मनिरपेक्षता (Secularism)। इसका अर्थ है – राज्य का सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करना और किसी विशेष धर्म को न तो प्रोत्साहित करना और न ही भेदभाव करना। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहाँ अनेक धर्म, पंथ और संप्रदाय साथ-साथ रहते हैं, वहाँ धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्र की आत्मा है।
📜 धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा
- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है – “राज्य और धर्म के बीच अलगाव, तथा सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण।”
- भारतीय संदर्भ में यह केवल अलगाव नहीं बल्कि “समान दूरी” (Equal Respect for All Religions) की अवधारणा है।
⚖️ संवैधानिक प्रावधान
1. प्रस्तावना (Preamble)
- 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा “धर्मनिरपेक्ष (Secular)” शब्द जोड़ा गया।
2. मौलिक अधिकार
- अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार।
- अनुच्छेद 15 – धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव निषेध।
- अनुच्छेद 25 – धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।
- अनुच्छेद 26 – धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 27 – किसी धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु कर नहीं लगाया जाएगा।
- अनुच्छेद 28 – शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा पर नियंत्रण।
3. नीति निदेशक तत्व
- अनुच्छेद 44 – समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की परिकल्पना।
🏛️ भारतीय धर्मनिरपेक्षता की विशेषताएँ
- सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता – राज्य सभी धर्मों का सम्मान करता है।
- धर्म की स्वतंत्रता – नागरिक अपनी पसंद का धर्म मान सकते हैं, बदल सकते हैं या कोई धर्म न मानें।
- धर्म और राज्य का सहयोग – राज्य धार्मिक संस्थाओं को सांस्कृतिक और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए सहायता दे सकता है।
- समान दूरी – राज्य सभी धर्मों से समान दूरी बनाकर चलता है।
📊 भारत में धर्मनिरपेक्षता का व्यवहारिक स्वरूप
- त्योहारों पर राष्ट्रीय अवकाश (दिवाली, ईद, क्रिसमस, गुरु पर्व आदि)।
- अल्पसंख्यकों को अपने शैक्षणिक संस्थान चलाने का अधिकार।
- विभिन्न धर्मों की व्यक्तिगत कानून प्रणाली (Personal Laws) लागू।
- राज्य द्वारा धार्मिक स्थलों और तीर्थयात्राओं (जैसे – हज सब्सिडी, अमरनाथ यात्रा व्यवस्था) में सहयोग।
✅ धर्मनिरपेक्षता का महत्व
- भारत की सांस्कृतिक विविधता की रक्षा।
- सभी नागरिकों में समानता और भाईचारा।
- धार्मिक अल्पसंख्यकों का संरक्षण।
- लोकतंत्र और मानवाधिकारों की मजबूती।
- साम्प्रदायिक तनाव को कम करने में सहायक।
⚠️ चुनौतियाँ
- सांप्रदायिक दंगे और हिंसा।
- वोट बैंक की राजनीति और धार्मिक ध्रुवीकरण।
- व्यक्तिगत कानूनों के कारण समान नागरिक संहिता पर विवाद।
- कुछ मामलों में राज्य और धर्म का अत्यधिक हस्तक्षेप।
- सोशल मीडिया और राजनीति में धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग।
🌍 निष्कर्ष
धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की आत्मा है। यह भारत की एकता और अखंडता का मूल आधार है। लेकिन इसे वास्तविक रूप में लागू करने के लिए आवश्यक है कि धर्म का प्रयोग राजनीति के बजाय व्यक्तिगत आस्था और सामाजिक समरसता तक सीमित रहे।
 
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