ईस्ट इंडिया कंपनी(East India Company)
भारत में स्थापना, विस्तार और प्रभाव
ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीय इतिहास का वह अध्याय है जिसने भारत के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया। यह केवल एक व्यापारिक कंपनी के रूप में भारत आई थी, लेकिन धीरे-धीरे अपनी चालाकियों, युद्धनीति और राजनीतिक षड्यंत्रों के माध्यम से उसने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर अधिकार कर लिया। आइए विस्तार से जानते हैं ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में इतिहास।
ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना
- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ईस्वी में इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम के आदेश से हुई।
- इसका उद्देश्य था पूर्वी देशों (भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया) से मसाले, कपड़े, रेशम और अन्य वस्तुओं का व्यापार करना।
- भारत में कंपनी के पहले कारखाने की स्थापना 1613 ईस्वी में सूरत में हुई।
मुगल सम्राट से विशेषाधिकार
- अंग्रेज़ व्यापारी सर थॉमस रो को 1615 में मुग़ल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा गया।
- उन्हें व्यापार करने की अनुमति मिली और अंग्रेज़ों ने धीरे-धीरे अपने कारखाने (फैक्ट्री) बंगाल, मद्रास और बंबई में स्थापित किए।
फ्रांसीसी और अंग्रेज़ी प्रतिद्वंद्विता
18वीं शताब्दी में भारत में अंग्रेज़ और फ्रांसीसी व्यापारी आपस में टकराने लगे।
- इस संघर्ष को कर्नाटक युद्ध कहा जाता है।
- अंग्रेज़ों की जीत के बाद भारत में फ्रांसीसियों का प्रभाव समाप्त हो गया और अंग्रेज़ों का वर्चस्व स्थापित हुआ।
प्लासी का युद्ध (1757 ईस्वी)
- ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण युद्ध प्लासी का युद्ध था।
- यह युद्ध नवाब सिराजुद्दौला और रॉबर्ट क्लाइव के बीच हुआ।
- युद्ध में मीर जाफर की विश्वासघातपूर्ण भूमिका से अंग्रेज़ों को विजय मिली।
- इसके बाद बंगाल पर कंपनी का अधिकार हो गया और अंग्रेज़ भारत की राजनीति में सक्रिय हो गए।
बक्सर का युद्ध (1764 ईस्वी)
- यह युद्ध मीर क़ासिम, शुजा-उद-दौला और शाह आलम द्वितीय तथा अंग्रेज़ों के बीच हुआ।
- अंग्रेज़ों की विजय ने उन्हें बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर स्थायी अधिकार दिलाया।
- 1765 में इलाहाबाद संधि के तहत कंपनी को बंगाल की दीवानी (राजस्व वसूली का अधिकार) प्राप्त हुआ।
कंपनी का प्रशासन और शोषण
ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापारिक लाभ से आगे बढ़कर राजनीतिक सत्ता अपने हाथ में ले ली।
- राजस्व प्रणाली: कंपनी ने किसानों पर कठोर कर लगाए।
- उद्योगों का पतन: भारत के कुटीर उद्योग और वस्त्र उद्योग नष्ट हुए।
- शोषण: भारत केवल कच्चे माल का स्रोत बन गया और इंग्लैंड के तैयार माल का बाजार।
प्रमुख गवर्नर जनरल और सुधार
- वॉरेन हेस्टिंग्स (1773-1785) – कंपनी का पहला गवर्नर जनरल, जिसने प्रशासनिक ढांचे की नींव रखी।
- लॉर्ड कॉर्नवालिस – स्थायी बंदोबस्त लागू किया।
- लॉर्ड वेलेजली – सहायक संधि (Subsidiary Alliance) लागू की।
- लॉर्ड डलहौज़ी – लापरवाही का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) लागू किया।
भारतीय समाज और संस्कृति पर प्रभाव
- अंग्रेज़ों ने शिक्षा में अंग्रेज़ी भाषा को प्रोत्साहन दिया।
- आधुनिक रेलवे, डाक प्रणाली और टेलीग्राफ का विकास हुआ।
- लेकिन साथ ही भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ा।
1857 की क्रांति : कंपनी का अंत
- कंपनी के शोषण और अत्याचारों के खिलाफ भारत में 1857 की क्रांति हुई।
- इस क्रांति को भारतीय इतिहास का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है।
- यद्यपि क्रांति असफल रही, लेकिन इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने कंपनी से शासन छीन लिया।
- 1858 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत हुआ और भारत सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया।
निष्कर्ष
ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक संस्था के रूप में भारत आई थी, लेकिन धीरे-धीरे उसने भारत को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ दिया। इसका भारत पर प्रभाव बहुत गहरा रहा – आर्थिक शोषण, सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक अधीनता। अंततः कंपनी के अत्याचारों ने भारतीय जनता को विद्रोह के लिए प्रेरित किया, जिसने आगे चलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी।
 
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