यूरोपीय सुधार आंदोलन
धार्मिक पुनर्गठन और आधुनिक विचारों की नींव
परिचय
यूरोपीय सुधार आंदोलन (European Reformation) 16वीं शताब्दी में यूरोप में हुआ एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक परिवर्तन था, जिसने ईसाई धर्म, राजनीति और संस्कृति की दिशा बदल दी। यह आंदोलन कैथोलिक चर्च की शक्ति और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध के रूप में शुरू हुआ और आगे चलकर नए धार्मिक संप्रदायों के निर्माण का कारण बना।
सुधार आंदोलन की पृष्ठभूमि
- कैथोलिक चर्च में भ्रष्टाचार – पादरियों द्वारा पदों की बिक्री, पापमुक्ति पत्र (Indulgences) का व्यापार।
- धार्मिक रूढ़िवादिता – लोगों को बाइबिल पढ़ने और समझने से रोकना।
- मानवतावाद का प्रभाव – पुनर्जागरण के विचारों से लोग तर्क और विवेक की ओर उन्मुख हुए।
- मुद्रण कला का आविष्कार – धार्मिक विचारों और आलोचनाओं का तेज़ प्रसार।
मुख्य कारण
1. धार्मिक कारण
- चर्च की शिक्षाओं और प्रथाओं में भ्रष्टाचार।
- बाइबिल की व्याख्या में एकाधिकार का विरोध।
2. राजनीतिक कारण
- राष्ट्र-राज्यों के शासक चर्च की शक्ति को सीमित करना चाहते थे।
- स्थानीय प्रशासन पर रोम के प्रभाव को कम करने की इच्छा।
3. आर्थिक कारण
- चर्च द्वारा भारी कर और दान वसूली।
- व्यापारिक वर्ग पर आर्थिक बोझ।
प्रमुख नेता और उनके योगदान
1. मार्टिन लूथर (Martin Luther)
- 1517 में 95 थिसिस प्रकाशित कर पापमुक्ति पत्रों का विरोध।
- "केवल आस्था से मुक्ति" का सिद्धांत दिया।
- जर्मनी में लूथरन चर्च की स्थापना।
2. जॉन कैल्विन (John Calvin)
- जिनेवा में धार्मिक सुधार का नेतृत्व।
- पूर्वनियति सिद्धांत (Doctrine of Predestination) का प्रचार।
3. हेनरी अष्टम (King Henry VIII)
- पोप से अलग होकर चर्च ऑफ इंग्लैंड की स्थापना।
- धार्मिक सुधार को राजनीतिक उद्देश्यों से जोड़ा।
कैथोलिक प्रतिउत्तर (Counter-Reformation)
- कैथोलिक चर्च ने ट्रेंट की परिषद (Council of Trent, 1545-1563) आयोजित की।
- चर्च की आंतरिक सुधार और शिक्षा पर जोर।
- जेसुइट संगठन की स्थापना (1540) – शिक्षा और मिशनरी कार्य में सक्रिय।
प्रभाव और परिणाम
धार्मिक प्रभाव
- ईसाई धर्म कई संप्रदायों में बंट गया – प्रोटेस्टेंट, लूथरन, कैल्विनिस्ट, एंग्लिकन।
- बाइबिल का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद और प्रसार।
राजनीतिक प्रभाव
- राष्ट्र-राज्यों का उदय और चर्च की शक्ति में कमी।
- धार्मिक स्वतंत्रता की अवधारणा का विकास।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
- शिक्षा और साक्षरता में वृद्धि।
- तर्कवाद और वैज्ञानिक सोच का प्रसार।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और विवेक पर जोर।
निष्कर्ष
यूरोपीय सुधार आंदोलन ने न केवल धार्मिक मान्यताओं में बदलाव लाया, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक संरचना को भी नया स्वरूप दिया। यह आंदोलन आधुनिक यूरोप के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने धार्मिक स्वतंत्रता, शिक्षा और तर्कवाद की नींव रखी।
 
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