संघीय व्यवस्था

 संघीय व्यवस्था (Federal System in India)

परिचय(Introduction)

भारत एक संघीय गणराज्य (Federal Republic) है, जहाँ सत्ता का बँटवारा केंद्र और राज्यों के बीच किया गया है। लेकिन भारतीय संघीय व्यवस्था अद्वितीय (Unique) है क्योंकि इसमें एकात्मक (Unitary) और संघात्मक (Federal) दोनों ही तत्व मौजूद हैं। इसीलिए विद्वान इसे “Quasi-Federal” या “अर्ध-संघीय व्यवस्था” कहते हैं।


📜 संघीय व्यवस्था की परिभाषा

संघीय व्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें शासन की शक्तियाँ संविधान द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बाँटी जाती हैं, और दोनों अपने-अपने अधिकार-क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं।


⚖️ भारतीय संघीय व्यवस्था का संवैधानिक आधार

1. संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद 1 – भारत राज्यों का संघ होगा।

  • अनुच्छेद 245-263 – केंद्र और राज्यों की विधायी, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियों का विभाजन।

सातवीं अनुसूची

  • केंद्रीय सूची (Union List) – रक्षा, विदेश नीति, रेल आदि (97 विषय)।
  • राज्य सूची (State List) – पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि आदि (66 विषय)।
  • समवर्ती सूची (Concurrent List) – शिक्षा, विवाह, दिवाला आदि (47 विषय)।
  • अनुच्छेद 356 – राष्ट्रपति शासन (राज्यों की स्वायत्तता पर नियंत्रण का प्रावधान)।

2. संघीय ढाँचे की संस्थाएँ

  • राज्यसभा – राज्यों का प्रतिनिधित्व।
  • राज्यपाल – केंद्र का प्रतिनिधि।
  • अंतर-राज्यीय परिषद (Art. 263) – विवाद समाधान हेतु।
  • वित्त आयोग – केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व बाँटने हेतु।


🏛️ भारतीय संघीय व्यवस्था की विशेषताएँ

  1. लिखित संविधान – स्पष्ट शक्तिविभाजन।
  2. शक्तियों का दोहरा ढाँचा – केंद्र और राज्य।
  3. स्वतंत्र न्यायपालिका – विवाद समाधान हेतु।
  4. द्विसदनीय संसद – राज्यों को प्रतिनिधित्व।
  5. कठोरता और लचीलापन – संशोधन प्रक्रिया दोनों स्तरों को शामिल करती है।


📊 भारत की संघीय व्यवस्था के अद्वितीय पहलू

संघात्मक तत्व

  • शक्तियों का विभाजन (Union, State, Concurrent list)।
  • द्विसदनीयता और लिखित संविधान।
  • सर्वोच्च न्यायपालिका।

एकात्मक तत्व

  • संविधान की सर्वोच्चता।
  • राज्यों का नाम, सीमा और अस्तित्व संसद द्वारा बदला जा सकता है (अनु. 3)।
  • आपातकाल की स्थिति में सत्ता का केंद्रीकरण
  • राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा।
  • अखिल भारतीय सेवाएँ (IAS, IPS, IFS)।


✅ संघीय व्यवस्था के लाभ

  1. विशाल और विविध देश में एकता और अखंडता
  2. राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार शासन की स्वतंत्रता।
  3. केंद्र सरकार को राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की क्षमता।
  4. विवाद समाधान के लिए संविधानिक व्यवस्था


⚠️ चुनौतियाँ

  • केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय असमानता
  • राजनीतिक टकराव (जैसे – राज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री विवाद)।
  • क्षेत्रीयता और अलगाववाद
  • आपातकालीन प्रावधानों का दुरुपयोग।
  • अंतर-राज्यीय जल विवाद, सीमा विवाद।


🌍 निष्कर्ष

भारतीय संघीय व्यवस्था वास्तव में “संघीय ढाँचे में एकात्मक झुकाव” का उत्कृष्ट उदाहरण है। संविधान ने ऐसा संतुलन बनाया है जिससे भारत की विविधता भी सुरक्षित है और राष्ट्रीय एकता भी मजबूत। भविष्य में केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाकर ही इस व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जा सकता है।



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