गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानी क्षेत्र
भारत का उपजाऊ हृदय
परिचय
गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानी क्षेत्र भारत और बांग्लादेश के विशाल भाग में फैला हुआ उपजाऊ मैदान है, जो अपनी समृद्ध कृषि, घनी जनसंख्या और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाए गए उपजाऊ जलोढ़ मृदा के कारण दुनिया के सबसे उत्पादक कृषि क्षेत्रों में से एक है।
1. भौगोलिक विस्तार
- पश्चिम से पूर्व: पंजाब के मैदानी भाग से लेकर असम और बांग्लादेश के डेल्टा क्षेत्र तक।
- उत्तर में: हिमालय पर्वत।
- दक्षिण में: प्रायद्वीपीय भारत का मालवा और छोटानागपुर पठार।
मुख्य उप-क्षेत्र
गंगा का मैदान (उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल)।
ब्रह्मपुत्र का मैदान (असम और बांग्लादेश का भाग)।
2. प्रमुख नदियाँ और उनकी भूमिका
- गंगा नदी – हिमालय से निकलकर उत्तर भारत में जीवनदायिनी भूमिका।
- ब्रह्मपुत्र नदी – तिब्बत से निकलकर असम और बांग्लादेश में प्रवाह।
- सहायक नदियाँ – यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा, तीस्ता।
इन नदियों का योगदान
जलोढ़ मृदा का निर्माण।
सिंचाई और जल परिवहन।
सिंचाई और जल परिवहन।
बाढ़ एवं गाद जमाव से भूमि की उर्वरता।
3. जलवायु विशेषताएँ
- मानसूनी जलवायु: गर्मी में उच्च तापमान और बरसात में भारी वर्षा।
- वार्षिक वर्षा: 75–300 सेमी, पूर्वी भाग में अधिक।
- बाढ़ और सूखा दोनों की संभावना, लेकिन मृदा की उर्वरता बनी रहती है।
4. मृदा और कृषि
प्रमुख मृदा प्रकार: जलोढ़ मृदा – उपजाऊ और नमी धारण करने वाली।मुख्य फसलें
खरीफ – धान, जूट, मक्का।
रबी – गेहूँ, चना, सरसों।
नकदी फसलें – गन्ना, आलू, सब्ज़ियाँ।
रबी – गेहूँ, चना, सरसों।
नकदी फसलें – गन्ना, आलू, सब्ज़ियाँ।
यह क्षेत्र भारत का अन्न भंडार कहलाता है।
5. जनसंख्या और बसावट
- दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक।
- बड़े शहर – दिल्ली, लखनऊ, पटना, वाराणसी, कोलकाता, गुवाहाटी।
- ग्रामीण बसावट अधिक, लेकिन शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है।
6. आर्थिक महत्व
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था: धान और गेहूँ का अधिक उत्पादन।
- औद्योगिक केंद्र: जूट उद्योग (कोलकाता), चीनी मिलें (उत्तर प्रदेश और बिहार), चाय उद्योग (असम)।
- परिवहन: जलमार्ग, रेलमार्ग और सड़क नेटवर्क का घना जाल।
7. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
- यह क्षेत्र आर्य सभ्यता, बौद्ध धर्म, और मध्यकालीन साम्राज्यों का केंद्र रहा।
- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ धार्मिक दृष्टि से पवित्र मानी जाती हैं।
- लोक नृत्य, गीत, मेले और पर्व यहाँ की सांस्कृतिक पहचान हैं।
8. प्रमुख समस्याएँ और चुनौतियाँ
- बाढ़ की समस्या – विशेषकर कोसी और ब्रह्मपुत्र घाटी में।
- भूमि क्षरण और गाद जमाव।
- जनसंख्या दबाव – भूमि पर अत्यधिक बोझ।
- प्रदूषण – औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट से नदियों का प्रदूषण।
निष्कर्ष
गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानी क्षेत्र न केवल भारत की कृषि और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अमूल्य धरोहर है। उपजाऊ भूमि, समृद्ध जल संसाधन और जीवंत संस्कृति इस क्षेत्र को भारत का जीवंत हृदय बनाते हैं।
 
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