गंगा नदी (Ganga River)
धार्मिक, भौगोलिक और आर्थिक महत्व
परिचय
गंगा नदी (Ganga River) भारत और बांग्लादेश की सबसे पवित्र एवं ऐतिहासिक नदियों में से एक है। इसे भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया है। लगभग 2,525 किलोमीटर लंबी यह नदी हिमालय से निकलकर मैदानों में बहती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। गंगा केवल एक नदी ही नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था, संस्कृति और जीवनरेखा है।
गंगा नदी का उद्गम और प्रवाह क्षेत्र
- गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से भागीरथी नदी के रूप में होता है।
- भागीरथी और अलकनंदा नदी देवप्रयाग (उत्तराखंड) में मिलकर गंगा का निर्माण करती हैं।
- गंगा भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है।
- यह बांग्लादेश में प्रवेश कर पद्मा नदी कहलाती है और अंततः सुंदरबन डेल्टा बनाकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ
- यमुना नदी
- घाघरा नदी
- गंडक नदी
- कोसी नदी
- सोन नदी
- रामगंगा और गोमती नदी
गंगा नदी की भौगोलिक विशेषताएँ
- लंबाई: लगभग 2,525 किमी
- जलग्रहण क्षेत्र: लगभग 10 लाख वर्ग किलोमीटर
- प्रवाह क्षेत्र: भारत और बांग्लादेश
- डेल्टा: सुंदरबन डेल्टा, जो विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा है।
गंगा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- गंगा नदी को हिंदू धर्म में माँ गंगा के रूप में पूजा जाता है।
- वाराणसी, हरिद्वार, प्रयागराज जैसे पवित्र नगर गंगा किनारे बसे हैं।
- कुंभ मेले और गंगा स्नान हिंदू धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं।
- गंगा को मोक्षदायिनी और पाप नाशिनी माना जाता है।
गंगा नदी का आर्थिक महत्व
कृषि:
गंगा के मैदान भारत का सबसे उपजाऊ क्षेत्र है।चावल, गेंहू, गन्ना और जूट जैसी फसलें यहाँ बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं।
परिवहन:
गंगा नदी प्राचीन काल से व्यापार और परिवहन का प्रमुख मार्ग रही है।
वाराणसी से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग (NW-1) विकसित किया गया है।
वाराणसी से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग (NW-1) विकसित किया गया है।
मत्स्य पालन:
गंगा की अनेक मछलियाँ स्थानीय आबादी की आजीविका का साधन हैं।ऊर्जा:
गंगा और इसकी सहायक नदियों पर जलविद्युत परियोजनाएँ चलाई जाती हैं।गंगा नदी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- प्रदूषण: औद्योगिक कचरा, सीवेज और प्लास्टिक कचरे से गंगा गंभीर रूप से प्रदूषित हो रही है।
- जनसंख्या दबाव: करोड़ों लोग गंगा पर अपनी आवश्यकताओं के लिए निर्भर हैं।
- अवैध खनन: रेत खनन से नदी की पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है।
- जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा का जल स्रोत खतरे में है।
गंगा संरक्षण के प्रयास
- नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Programme): केंद्र सरकार द्वारा गंगा की सफाई और संरक्षण के लिए विशेष अभियान।
- गंगा एक्शन प्लान (GAP): गंगा में प्रदूषण कम करने हेतु प्रारंभिक योजना।
- जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों, साधुओं और समाजसेवियों की भागीदारी।
👉 निष्कर्ष
गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक जीवनरेखा है। यह केवल एक प्राकृतिक जलधारा नहीं बल्कि भारतीय सभ्यता की आत्मा है। यदि गंगा का संरक्षण नहीं किया गया तो भविष्य में इसका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। अतः हमें गंगा नदी को प्रदूषण और अतिक्रमण से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
 
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