भारत में स्वास्थ्य(Health Sector in India)

 भारत में स्वास्थ्य(health sector in india)

विकास, संभावनाएँ और चुनौतियाँ

भारत में स्वास्थ्य (Health) को न केवल व्यक्तिगत सुख और सामाजिक समृद्धि का आधार माना जाता है, बल्कि यह आर्थिक विकास की भी महत्वपूर्ण शर्त है। एक स्वस्थ समाज ही उत्पादक, सशक्त और उन्नत राष्ट्र की नींव रख सकता है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन चुनौतियाँ भी उतनी ही बड़ी हैं।

इस लेख में हम भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था की वर्तमान स्थिति, उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे।


1. भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था का स्वरूप

भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था मुख्यतः तीन स्तरों पर आधारित है:

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ (Primary Health Care)

  • स्वास्थ्य उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC)।
  • ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ।

माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाएँ (Secondary Health Care)

  • जिला अस्पताल और विशेष चिकित्सा केंद्र।
  • सामान्य बीमारियों और दुर्घटनाओं का इलाज।

तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएँ (Tertiary Health Care)

  • AIIMS, PGI जैसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल।
  • गंभीर बीमारियों और उच्च स्तरीय चिकित्सा अनुसंधान की सुविधा।

2. स्वास्थ्य क्षेत्र की उपलब्धियाँ

  1. औसत आयु में वृद्धि – 1951 में 32 वर्ष से बढ़कर आज लगभग 70 वर्ष।
  2. शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी – सरकारी योजनाओं और संस्थागत प्रसव से सुधार।
  3. टीकाकरण अभियान – पोलियो उन्मूलन में सफलता, मीज़ल्स और टीबी नियंत्रण के प्रयास।
  4. स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ – आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना।
  5. चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान – AIIMS, JIPMER, PGIMER जैसे संस्थान।
  6. डिजिटल हेल्थ मिशन – ई-हॉस्पिटल, टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य कार्ड।


3. स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. ग्रामीण और शहरी असमानता – ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की कमी और डॉक्टरों की अनुपलब्धता।
  2. स्वास्थ्य पर कम व्यय – GDP का केवल 2% स्वास्थ्य पर खर्च होता है, जो विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है।
  3. कुपोषण – बच्चों और महिलाओं में अभी भी कुपोषण और एनीमिया गंभीर समस्या है।
  4. संक्रामक और असंक्रामक रोग – टीबी, डेंगू जैसी बीमारियों के साथ-साथ मधुमेह और हृदय रोग जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं।
  5. स्वास्थ्यकर्मियों की कमी – डॉक्टर, नर्स और तकनीशियनों की कमी।
  6. स्वास्थ्य बीमा की सीमाएँ – अभी भी बड़ी आबादी स्वास्थ्य बीमा के दायरे से बाहर है।


4. सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य योजनाएँ

  • आयुष्मान भारत योजना – 10 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य बीमा।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
  • पोषण अभियान – कुपोषण दूर करने के लिए।
  • जननी सुरक्षा योजना – सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा।
  • टीकाकरण अभियान (Mission Indradhanush) – बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण।
  • आयुष मंत्रालय – आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी को बढ़ावा।


5. स्वास्थ्य क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएँ

  1. डिजिटल हेल्थ केयर – टेलीमेडिसिन, AI आधारित निदान और डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड।
  2. पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) – निजी क्षेत्र की भागीदारी से आधुनिक अस्पताल और मेडिकल रिसर्च।
  3. स्वास्थ्य बीमा कवरेज का विस्ता – हर नागरिक को स्वास्थ्य सुरक्षा।
  4. कौशल विकास – डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाना।
  5. नवाचार और अनुसंधान – भारतीय दवा उद्योग और वैक्सीन निर्माण में वैश्विक नेतृत्व।
  6. प्रिवेंटिव हेल्थ केयर – बीमारियों से पहले बचाव और स्वास्थ्य जागरूकता।


6. निष्कर्ष

भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था ने बीते दशकों में बेहतर आयु, कम होती मृत्यु दर और आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी, ग्रामीण-शहरी असमानता, स्वास्थ्य पर कम खर्च, कुपोषण और बीमारियों का बढ़ता बोझ गंभीर चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

यदि भारत आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य ढाँचे का विस्तार, डिजिटल तकनीक का उपयोग और स्वास्थ्य शिक्षा पर विशेष ध्यान देता है, तो यह न केवल अपने नागरिकों के जीवनस्तर को ऊँचा करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के रूप में अग्रणी भूमिका निभा सकेगा।



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