हिमालय और अन्य पर्वत श्रृंखलाएँ

हिमालय और अन्य पर्वत श्रृंखलाएँ

भारत की प्राकृतिक सीमाएँ और धरोहर

परिचय

भारत की भौगोलिक संरचना में हिमालय पर्वत श्रृंखला और अन्य पर्वतीय क्षेत्र देश की प्राकृतिक सीमाओं, जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु और सांस्कृतिक जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं। हिमालय अपनी ऊँचाई, सुंदरता और प्राकृतिक संसाधनों के कारण न केवल भारत की पहचान है बल्कि यह विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला भी है। इसके साथ ही, अरावली, विंध्य, सतपुड़ा, पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट जैसी अन्य पर्वत श्रंखलाएँ भी देश की पारिस्थितिकी और जीवनशैली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।


हिमालय पर्वत श्रृंखला

भौगोलिक स्थिति और विस्तार

हिमालय भारत के उत्तरी भाग में स्थित है और यह पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक लगभग 2,400 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई औसतन 150–400 किलोमीटर के बीच होती है।

हिमालय की प्रमुख श्रेणियाँ

  1. शिवालिक (बाहरी हिमालय) – सबसे निचला भाग, ऊँचाई 900–1,200 मीटर, यहाँ उपजाऊ दून घाटियाँ पाई जाती हैं।

  2. मध्य हिमालय (हिमाचल) – ऊँचाई 3,500–4,500 मीटर, यहाँ प्रमुख हिल स्टेशन और देवदार-चीड़ के वन पाए जाते हैं।

  3. महान हिमालय (हिमाद्रि) – सबसे ऊँचा भाग, औसत ऊँचाई 6,000 मीटर से अधिक, इसमें माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) और कंचनजंघा (8,586 मीटर) जैसे शिखर शामिल हैं।

हिमालय का महत्व

  • प्राकृतिक दीवार: ठंडी हवाओं और विदेशी आक्रमणों से रक्षा।

  • जल संसाधन: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का उद्गम।

  • जैव विविधता: अल्पाइन से लेकर उष्णकटिबंधीय वनस्पति तक की विविधता।

  • पर्यटन: ट्रैकिंग, स्कीइंग, तीर्थयात्रा स्थलों का केंद्र।


अरावली पर्वतमाला

भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला, जो राजस्थान से हरियाणा तक फैली हुई है।

  • लंबाई: लगभग 700 किलोमीटर।

  • महत्व: राजस्थान के पश्चिमी भाग को रेगिस्तान बनने से रोकना, खनिज संपदा का स्रोत।

  • मुख्य शिखर: गुरु शिखर (1,722 मीटर)।


विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला

ये दोनों मध्य भारत में स्थित हैं और उत्तर तथा दक्षिण भारत के बीच प्राकृतिक सीमा का निर्माण करती हैं।

  • विंध्य: मुख्यतः बलुआ पत्थर से निर्मित, नर्मदा घाटी के उत्तर में।

  • सतपुड़ा: नर्मदा घाटी के दक्षिण में, धूल-धूसरित पठारों और घने वनों का क्षेत्र।

  • महत्व: खनिज संसाधनों का भंडार, वन्यजीव अभयारण्यों का केंद्र।


पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट

पूर्वी घाट

  • बंगाल की खाड़ी के समानांतर, असंगत और टुकड़ों में फैली हुई पर्वत श्रृंखला।

  • महत्व: खनिज संपदा, कॉफी और मसालों की खेती।

पश्चिमी घाट

  • अरब सागर के समानांतर, सतत और ऊँची पर्वत श्रृंखला।

  • विशेषता: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, जैव विविधता हॉटस्पॉट।

  • मुख्य शिखर: अनैमुदी (2,695 मीटर)।


पर्वत श्रृंखलाओं का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व

  • कृषि में योगदान: नदियों का उद्गम स्थल, सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराना।

  • पर्यटन और तीर्थयात्रा: धार्मिक स्थल, प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक खेल।

  • खनिज संपदा: लौह अयस्क, बॉक्साइट, कोयला, चूना पत्थर का स्रोत।

  • सांस्कृतिक विविधता: पर्वतीय क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ, परंपराएँ और जीवनशैली।


निष्कर्ष

भारत के हिमालय और अन्य पर्वत श्रृंखलाएँ देश की भौगोलिक संरचना, जलवायु, कृषि, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में गहरा योगदान देती हैं। ये पर्वत न केवल प्राकृतिक संसाधनों के भंडार हैं, बल्कि वे भारत की सभ्यता के रक्षक और जीवनदायिनी धरोहर भी हैं। इनका संरक्षण और सतत उपयोग हमारी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनकी भव्यता और महत्व को अनुभव कर सकें।



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